अभिनेत्री कामिनी कौशल को कैसे भुलाया जा सकता है यही वो अभिनेत्री थीं जिनके साथ प्राण, राज कपूर और देव आनंद ने अपनी पहली फ़िल्म की थी ऐसा अब कम ही देखा जाता है कि किसी फ़िल्म में अभिनेत्री का नाम हीरो के नाम से पहले आए लेकिन 40 के दशक में कामिनी कौशल की फ़िल्मों में उनका नाम हीरो से पहले आता था राज कपूर की फ़िल्म 'आग'(1948) में उन्होंने नरगिस के साथ मुख्य अभिनेत्री का रोल निभाया लेकिन सुपरहिट जोड़ी दिलीप कुमार के साथ बनी .......इन दोनों ने चार फिल्मों में साथ काम किया था इनमें 'शहीद' (1948) के अलावा अन्य तीन फिल्में 'नदिया के पार',(1948) 'शबनम',(1949) और 'आरजू' (1950) थीं 'नदिया के पार' फ़िल्म में उन्हें एक साड़ी पहननी थी जिसमें उनके कंधे दिखने थे उन्होंने साफ़ मना कर दिया कि ...'ये तो बहुत ज्यादा हो जाएगा' ......लेकिन दलीप कुमार के कहने पर उन्होंने वो साड़ी पहनी और ये सीन पूरा किया दोनों की नजदीकियां भी बढ़ी बड़े परदे पर दोनों की जबरदस्त रोमांटिक केमिस्ट्री देखकर ही इनके बीच उठ रही इश्क की चिंगारियों का अंदाजा सबको हो जाता था इससे पहले की ये कहानी किसी अंजाम तक पहुंचती इस लव स्टोरी में विलेन बनकर सामने आये कामिनी कौशल के भाई जो कि आर्मी में थे उन्होंने पहले तो हर तरह से दोनों को समझाया लेकिन दलीप साहेब भी अड़ गए बताया जाता है कि कामिनी कौशल के भाई ने दिलीप कुमार को एक बार बंदूक दिखाकर कामिनी कौशल से दूर रहने की सलाह दी थी तब ये खबर फ़िल्मी और गॉसिप पत्रिकाओं में भी प्रमुखता से छपी थी ...........कामिनी भी परिवार के दबाव में दिलीप कुमार का साथ नहीं दे सकती थीं क्योंकि वह पहले से ही शादीशुदा थीं दरअसल कामिनी की बड़ी बहन की एक कार दुर्घटना में आकस्मित मौत हो गई अपनी बहन की दो बेटियों की बेहतर परवरिश के लिए उन्हें अपने जीजा ब्रह्मस्वरूप सूद से विवाह करना पड़ा था इसलिए जिम्मेदारियों के खातिर उन्होंने दिलीप साहब का दिल तोड़ दिया और हमेशा के लिए उनसे दूर हो गईं..... दिलीप कुमार साहेब ने अपनी बायोग्राफी में बड़ी बेबाकी से स्वीकार किया है कामिनी कौशल पहली महिला थी, जिसके प्यार में वो पागल थे कामिन जी फ़िल्मों को बहुत गंभीरता से नहीं लेती थी क्योंकि मानना था की उनका काम ही फिल्में करना था और ज़िंदगी फ़िल्मों से बाहर थी......कभी किसी ज़माने में रेडियो, फ़िल्मों और नाटकों की लंबी लंबी स्क्रिप्ट याद कर लेने में कामिनी कौशल जी को महारत हासिल थी दलीप कुमार को याद करते हुए वो अक्सर कहती हैं, ...."वो एक शानदार व्यक्तित्व के स्वामी थे और उनका एक करिश्मा था जो उन्हें हीरो बनाता था कामिनी कौशल ने एक समय के बाद दिलीप कुमार के साथ काम करना बंद कर दिया था. शायद इसकी वजह दिलीप कुमार का इज़हारे इश्क था जिसे कामिनी कौशल स्वीकार नहीं कर सकी थीं तब के हालात पर कामिनी कौशल का कहना था, ...."मुझ पर मेरी बहन की दो बेटियों की जिम्मेदारी थी. उनके चलते मैंने अपनी बहन के पति से शादी की. मेरे लिए हमेशा से परिवार महत्वपूर्ण रहा. ऐसे में किसी दूसरे प्रस्ताव या प्यार के लिए जगह नहीं थी. आप आकर्षित होते हैं, प्यार करते हैं लेकिननिजी जीवन में आपकी कई मजबूरियां होती हैं जिनके चलते आप बेबस होते हैं.''........अपनी फ़िल्म 'नदिया के पार' को याद करते हुए कामिनी जी शिकायत के लहज़े में अक्सर कहती थी ..."उनके अभिनय वाली 'नदिया के पार' को कोई टीवी पर नहीं दिखाता लेकिन सचिन वाली 'नदिया के पार' आती रहती है"......साल 2015 में फ़िल्म फ़ेयर की ओर से उन्हें लाइफ़ टाईम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया था ......चेतन आनंद की फिल्म नीचा नगर (1946 ) में अग्रणी नायिका की भूमिका निभाई कामिनी कौशल का वास्तविक नाम' उमा कश्यप 'था चेतन आनन्द की पत्नी का नाम भी ‘उमा’ था इस कारण वे उनका नाम बदलना चाह रहे थे चेतन आनंद ने कामिनी कौशल को उसके असली नाम उमा कश्यप के बजाय फिल्मी नाम कामिनी कौशल दे दिया था ...नीचा नगर कान फिल्मोत्सव में भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड ले कर आई थी 'नीचा नगर के निर्माण के बाद भारत में "ऑफ बीट" सिनेमा का युग शुरू हुआ...
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