Thursday, March 8, 2018

जब एक शख्स ने बेवजह लगे चोरी के इलज़ाम से नर्गिस का बड़ी चतुराई से पीछा छुड़वाया

नरगिस
अभिनेत्री नर्गिस ने अपनी दमदार अदाकारी से रुपहले पर्दे पर ऐसी छाप छोड़ी की उनके मुकाबले कोई अभिनेत्री आजतक नहीं हुई। ये बात कोई साठ के दशक की है प्रसिद्ध अभिनेत्री नर्गिस अपने यूरोप के दौरे पर थी इस दौरान उनका लन्दन जाना हुआ उन्होनो जी भर कर लन्दन की सैर की और अपने लंदन प्रवास के दौरान ही वो वहाँ के एक मशहूर डिपार्टमेंटल स्टोर मे खरीदारी करने चली गई उन्होंने शॉपिंग की और उसका जो बिल बना केश काउन्टर पर बिल चुका दिया बिल क्लियर करने के बाद जब वो दूकान से बाहर निकल रही थी तो अचानक उन्हे याद आया की वो जुराबे (SOCKS ) लेना तो भूल गयी हैं वो वापस गयीं और जुराबो की एक जोड़ी ले आयीं लेकिन जुराबे खरीदने के बाद उसका बिल देना ये सोच कर भूल गयीं की शायद वो इसका पेमेन्ट पहले ही कर चुकी हैं उन्होने अपना शोप्पिंग बैग लिया और डिपार्टमेंटल स्टोर की एग्जिट की तरफ़ आ गई अब जब वहाँ के स्टाफ ने उनके ख़रीदे सामान और बिल का दुबारा मिलान किया गया तो जुराबो का बिल था ही नहीं अब स्टाफ ने गाहे बगाहे उन पर डिपार्टमेंटल स्टोर से जुराबे चुराने का आरोप लगा दिया नर्गिस जी ने अपनी सफाई पुरजोर तरीके से दी लेकिन सब व्यर्थ गया डिपार्टमेंटल स्टोर वालो ने पुलिस को सूचित कर दिया पुलिस आ भी गई पुलिस ऑफिसर ने उन्हें कहा तो "आप अपना जुर्म कबूल करे नहीं तो आप को पोलिस स्टेशन चलना होगा " घबराहट मे नर्गिस को लगा की इस मुसीबत से बचने के लिए पुलिस ऑफिसर के सामने अपना जुर्म कुबूल कर लेना सही रहेगा है और सिर्फ जुर्माना भर के इस मुसीबत से छुटकारा मिल जायेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ.......... लन्दन पुलिस ने उनके खिलाफ़ कार्यवाही करते हुए अगले दिन सुबह कोर्ट मे आने का नोटिस थमा दिया अब नर्गिस जी घबरा गयीं और बेहद परेशान हो उठी उन्हें कुछ समझ मे नही आ रहा था वो क्या करे उन्हें लगा की लोगों को इस घटना का पता चल गया तो ये खबर लन्दन के साथ साथ भारत के अखबारों मे भी छप जायेगी और उनकी बदनामी हो जाएगी ......आवारा (1951) और मदर इंडिया (1957) की कामयाबी के बाद तो उनकी ख्याति रूस सहित पूरी दुनिया में फ़ैल चुकी थी

अब किसी ने उन्हें लन्दन में भारतीय दूतावास से मदद मांगने की सलाह दी इस बैचेनी और डर के मारे नर्गिस जी ने लन्दन मे भारतीय तत्कालीन उच्चायुक्त को फ़ोन लगाया उस समय लन्दन में हमारे भारतीय हाइ कमिश्नर थे "कुंवर नटवर सिंह " नर्गिस ने उन्हें पूरा वाकया बताया और मदद माँगी उन्होने कहा ...''किसी तरह इस खबर को ब्रिटिश मिडिया मे छपने से रोक दें नही तो उनकी बदनामी हो जायेगी ''नटवर सिंह ने नर्गिस को आश्वासन दिया ...."आप घबराये नहीं मैं देखता हूँ की आखिर मामला क्या है ?" नटवर सिंह ने ब्रिटिश अधिकारियो से बात की और इस समस्या का हल निकालने की कोशिश की लेकिन ब्रिटिश अधिकारियो ने कहा... "नर्गिस अपना जुर्म कुबूल कर चुकी है और जुर्म कबूल कर लेने के बाद कुछ भी मदद करना उनके लिए मुश्किल है कोर्ट में हाजिर तो होना ही पड़ेगा " अब पेशोपश में फंसे नटवर सिंह जी की निगाह अचानक नर्गिस के भिजवाए पासपोर्ट की ज़ेरोक्स कॉपी पर पर गयी उन्हे पता चला की पासपोर्ट पर उनका नाम नर्गिस नही बल्कि उनका असली नाम "फातिमा राशिद " लिखा था उनकी आँखों में चमक आ गई उन्होंने उन्होंने तुरंत नर्गिस को फ़ोन कर भरोसा दिलाया  ..."आप घबराये नहीं जैसा मैं कहता हूँ आप वैसा करे आप इस मुसीबत से बच जाएगी .....अब कल कोर्ट में हाज़िर तो होना ही पड़ेगा आप कल कोर्ट में बिना मेकअप साधारण कपड़ो में और आँखों पर काला चश्मा लगा कर जाये और चुपचाप अपना जुर्माना भर के वापिस आ जाये क्योंकि जुर्माना और चोरी का इलज़ाम "फातिमा रशीद " पर है अभिनेत्री ''नर्गिस '' पर नहीं..... बाकी सब हम सम्भाल लेंगे " उन्होंने अपने दूतावास के अधिकारियो को कुछ निर्देश दिए और नरगिस जी की पूरी मदद करने को कहा नर्गिस जी ने भी राहत की सांस ली


और ऐसा ही हुआ .....नर्गिस अगले यूँ ही कोर्ट गयीं जैसा नटवर सिंह जी ने उन्हें कहा था और फातिमा राशिद पर लगे जुर्माने को भर कर वापिस आ गई उन्हें किसी ने नहीं पहचाना इस प्रकार वो इस अनचाही और बेबजह की मुसीबत से बच गयीं प्रेस को खबर भी नही हुई  ....पर बताते हैं कि यह इस बात की भनक उस समय के कुछ भारतीय प्रिंट मीडिया के लोगो को लग गई थी मगर प्रधानमंत्री इंदिरा जी ने बड़े अखबार घराने को ये खबर नहीं छापने को निर्देश दिया था .....इस प्रकार नर्गिस पर डिपार्टमेंटल स्टोर से 'सोक्स 'चुराने का जो बेवजह आरोप लगा है वो उससे भारतीय हाइ कमिश्नर रहे "कुंवर नटवर सिंह की चतुराई से बच गई और उनकी ताउम्र एहसानमंद रही यही कुंवर नटवर सिंह जी आगे जाकर अपनी प्रसाशनिक सेवा से त्यागपत्र देकर कांग्रेस में शामिल हुए और कई वर्षो तक अनेक पदों पर देश की सेवा की 2004 में वो भारत के विदेश मंत्री भी बने उन्होंने अपनी किताब "प्रोफाइल्स एंड लेटर्ज " में इस मजेदार घटना का जिक्र भी किया है नरगिस जब ये किस्सा अपने पति सुनील दत्त को सुनाती तो वो प्यार से उन्हें छेड़ते  ....."तुम्हे भी चुराने को बस जुराबे ही मिली थी " और दोनों देर तक हंसते रहते बाद में जब सुनील दत्त ने भी कांग्रेस ज्वाइन की तो नटवर सिंह उन्हें भी ये मजेदार किस्सा बड़े चाव से सुनाते थे की कैसे उनके जरा सा दिमाग लगाने से नर्गिस जी एक अनचाही मुसीबत से बची थी नर्गिस को साड़ियों का बड़ा शौक था, उनके पास देश के हर प्रांत की साड़ियों का कलेक्शन था। नर्गिस पर साड़ी खूब जचती थीं। नर्गिस के इसी शौक को देखते हुए उनके पति सुनील दत्त जहां भी जाते थे उनके लिए साड़ी जरूर लाते थे। सुनील दत्त की लाई हुई साड़ियों को नर्गिस संभालकर रखती थी और बहुत खुश होकर उनकी तारीफ भी करती थीं। एक दिन सुनील दत्त ने नोटिस किया कि नर्गिस उनकी लाई हुई साड़ियां रख तो लेती हैं, लेकिन आखिर पहनती क्यों नहीं है ? आखिर हिम्मत करके सुनील ने नर्गिस से पूछ ही लिया ......."आखिर तुम मेरी लाई हुई साड़ियों पहनती क्यों नहीं हो।" बड़ी मुश्किल से नर्गिस ने सुनील दत्त को बताया कि उन्हें कोई भी साड़ी पसंद नहीं आई, इसलिए वो नहीं पहनती हैं, लेकिन उन्हें बुरा ना लग जाए इसलिए अपने पास रख लेती हैं। दोनों एक दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते थे नर्गिस जी भी 1980 में राज्यसभा के लिए नॉमिनेट हुई और संसद पहुंची लेकिन एक वर्ष बाद ही 3 मई 1981 को मात्र 51 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया आज दोनों ही महान कलाकार हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी बाते हमें हमेशा मीठी यादे बनकर गुगुदाती रहेगी 
 
नटवर सिंह  की किताब  "प्रोफाइल्स एंड लेटर्ज "

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