अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वाह के कारण अभिनय सम्राट 'दिलीप कुमार ' ने वैवाहिक जीवन में प्रवेश करने का निर्णय अपेक्षाकृत विलंब से स्वीकार किया। 11 अक्टूबर 1966 को जब उन्होंने 25 वर्षीय अभिनेत्री 'सायरा बानो' के साथ शादी की तब उनकी उम्र 44 की हो गई थी जबकि उनके सिने दर्शक दो दशकों से उनके विवाह की प्रतीक्षा कर रहे थे। स्वयं दिलीप कुमार भी फिल्म इंडस्ट्रीज़ के 'द मोस्ट इलिजिबल बैचलर' संबोधित किए जा रहे थे। ऐसे में उनके विवाह की घोषणा से सिने-जगत में खुशी की लहर दौड़ गई थी। निकाह परंपरागत मुस्लिम रीति से हुआ 'राज कपूर' दलीप कुमार की शादी में घोड़ी की लगाम पकड़ कर झूम के नाचे थे खुद 'पृथ्वीराज कपूर ' सारा प्रबंध देख रहे थे ,बरात की अगुवाई पृथ्वीराज कपूर ने की थी। दूल्हे मियाँ दलीप कुमार सेहरा बाँधकर घोड़ी पर चढ़े थे और अगल बगल राज कपूर, देव आनंद चल रहे थे। दलीप कुमार और सायरा बानो के इस विवाह का खूब प्रचार हुआ था और बड़ी संख्या में लोग आए थे। संगीत और आतिशबाजी की धूमधाम के बीच जोरदार दावत हुई थी। राजकपूर खुद अपने पेशावर के जिगरी दोस्त दलीप कुमार को दुल्हन के कमरे के बाहर तक झूमते ,नाचते छोड़ने गए ,राजकपूर दलीप कुमार की शादी से बेहद खुश थे
जैसा की सब जानते है की सायरा बानो गुजरे जमाने की अभिनेत्री 'नसीम बानो 'की
बेटी हैं। नसीम ने 'अहसान मियाँ 'नामक एक अमीर आदमी से प्रेम विवाह किया था।
अहसान मियाँ ने नसीम की खातिर कुछ फिल्मों का निर्माण भी किया भारत-पाक विभाजन के बाद नसीम बानो के शोहर अहसान मियां कराची जा बसे। लेकिन नसीम मुंबई में बनी रहीं। बाद में वे अपनी बेटी सायरा और बेटे 'सुल्तान' को लेकर लंदन में जा बसीं। सायरा की स्कूली शिक्षा लंदन में हुई। छुट्टियों में वे मुंबई आती थीं तभी से सायरा खुदा से यह दुआ करने लगी थीं कि मुझे अपनी अम्मी जैसी बड़ी अभिनेत्री बना दो और जब मैं बड़ी हो जाऊँ तो 'श्रीमती दिलीप कुमार 'कहलाऊँ ......लंदन से लौटकर फिल्मी दुनिया में सायरा 1959 में ही दाखिल हो गई थीं। नसीम के पुराने हितैषी फिल्मालय के.एस मुखर्जी ने सायरा को फिल्म 'जंगली' (1959 ) में स्टार शम्मी कपूर के साथ लांच किया था और इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वो एक सफल अभिनेत्री बनी और उनका एक ख्वाब पूरा हो गया
सन् साठ में नसीम बानो ने पाली हिल इलाके में दिलीप कुमार के बंगले के पास ही जमीन खरीदी थी। जब सायरा प्लॉट देखने गईं, तभी वे दिलीप कुमार की बहनों से मिलने भी गईं। दिलीप घर में ही थे। यही दोनी की पहली मुलाकात हुई नसीम उन दिनों जुबली कुमार और सायरा की गॉसिप और अफवाहों से परेशान थी नसीम बानो को भी अपनी बेटी की नादानी पर बहुत गुस्सा आ रहा था। जिसके कारण उन्होंने दलीप साहेब से सायरा को समझाने और अपने कॅरियर पर तव्वजो देने की बात कही दलीप कुमार कुमार ने सायरा को प्यार से समझाया भी,उस वक्त अपने सपने के शहज़ादे को देख सायरा मुग्ध थी उस वक्त सायरा को ये अंदाज़ा नहीं था की वो एक दिन दलीप कुमार की बेगम बनेगी उस दौरान सायरा बानो को 'के.आसिफ' की फिल्म 'सस्ता खून, महँगा पानी' में भी
साइन किया गया था लेकिन दिलीप-सायरा की शादी के बाद आसिफ ने इस फिल्म को
नहीं बनाने का फैसला किया। स्वयं आसिफ ने दिलीप की बहन अख्तर से विवाह किया था और वे अपने साले की जिंदगी में कोई खलबली नहीं चाहते थे। वैसे भी अपनी बहन अख्तर की शादी को लेकर दलीप साहेब उनसे बेहद नाराज़ चल रहे थे उन्होंने तो आसिफ की महत्वाकांक्षी फिल्म' मुग़ले-ऐ-आज़म ' (1960 ) के प्रीमियर पर भी जाना मुनासिब नहीं समझा
आखिर वो खुशनसीब दिन भी आया ,जब सायरा का दूसरा खवाब भी पूरा हुआ जब दिलीप कुमार ओर उनकी शादी हुयी सायरा जी को अपने सपनो का नायक मिल गया उनकी जिंदगी दलीप साहेब की मोहब्बत की छांव में डूब गई। .......ये वो वक्त था तब सायरा बानो का कॅरियर ऊंचाइयों पर था और उन्होंने बहुत सारी फिल्में साईन कर रखी थीं । शादी के 5 सालों बाद खुशखबरी थी की सायरा जी 'उम्मीद ' से है । दिलीप कुमार की खुशी का ठिकाना ना था ,लेकिन साथ साथ एक मुश्किल थी की डॉक्टरों ने गर्भवती सायरा को फिल्मो काम करने के लिये मना कर दिया जाहिर है की उन्हें आराम की सख्त जरुरत थी लेकिन इधर सायरा जी की फ़िल्मो पर प्रोड्यूसर्स और इंडस्ट्रीज़ के लाखो रुपये दाँव पर लगे थे। प्रोड्यूसर्स को भी लगने लगा की अगर सायरा जी ने प्रेग्नेन्सी लीव के लिए ब्रेक ले लिया तो उनकी फिल्में अटक जाएगी ओर और वो फिल्म फायनेंसरों के ब्याज के क़र्ज़ में डूब जायेगे .......भयंकर परेशानी के आसार नज़र आने लगे ......बहुत ही क्रिटिकल कंडिशन थी क्या करें ? गर्भवस्था में शूटिंग एक मुश्किल काम था ,उधर शूटिंग नहीं करना मतलब प्रोड्यूसर्स का आर्थिक नुकसान। .......दलीप कुमार ने भी सायरा को सारी फिल्मे छोड़ने के लिए कह दिया........ लेकिन यहाँ सायरा जी की प्रोफेशनल ईमानदारी के आगे वो हार गए ,सायरा जी ने फ़ैसला किया की कुछ भी हो जाये वो शूटिंग करेंगी ताकि उनके कारण किसी का नुकसान न हो......... दलीप कुमार ने उन्हें शूटिंग के दौरान पूरी एतिहात बरतने को कहा और फिल्म निर्माताओं को भी सहयोग करने के लिए कहा .....फिल्म निर्माताओं ने भी दलीप कुमार से वादा किया की वो सेट पर सायरा जी के आराम का पूरा ख्याल रखेंगे ,लेकिन दिलीप कुमार अब भी अपनी पत्नी सायरा के फ़ैसले से सहमत नही थे वो नहीं चाहते थे की उनके पिता बनने और सायरा के माँ बनने के दौरान सायरा किसी भी तरह के शारीरिक और दिमागी तनाव मे रहें पर सायरा जी ने दलीप कुमार को भरोसा दिलाया की ''वो सब संभाल लेगी और अपना पूरा धयान रखेगी ''.........लेकिन दलीप कुमार को सायरा का यही भरोसा भारी पड़ने वाला था
भगवान को शायद कुछ और ही मंजूर था निर्माता ब्रिज सदाना की फ़िल्म 'विक्टोरिया नंबर 203' (1972) की शूटिंग शुरू हुई ..... कितनी ही एह्तियात बरती पर शूटिंग के काम का बोझ इतना बढ गया की अचानक सायरा जी को 'हाइ ब्लड' प्रेशर रहने लगा शूटिंग के दौरान बार बार तबियत खराब रहने लगी बहरहाल किसी भी तरह से उन्होंने फ़िल्म की शूटिंग पूरी कर ली ये एक ऐसी दुःखदाई लापरवाही थी जो भारी पड़ गई गर्भ मे जो बच्चा था उसकी सेहत पर असर पड़ा ओर वक्त से पहले 'प्री मैच्चोर' डिलीवरी के हालात बन गये सायरा जी को तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया डिलीवरी हुई और उसके साथ ही दलीप कुमार और सायरा जी पर ऐसी गाज गिरी की उनके जीवन की सबसे बड़ी ट्रैजिडी बन गई ! ....बच्चे का जन्म हुआ ,जो बेटा था.... पर बच्चा जीवित ,नहीं मृत पैदा हुआ था .....ये दिल दहला देने वाला हादसा दिलीप साहब की ज़िंदगी का सबसे दर्दनाक पल था
,उन्होने अपनी अदाकारी से बहुत लोगों को रुलाया ,लेकिन वक्त गवाह है दुनिया
ने दिलीप कुमार को बिलखते देखा था ओर ये पहली बार हुआ था अपने गम मे डूबे
दलीप कुमार ऐसे लगते थे की वो आँसुओ के समन्दर मे खुद समा जायेगे ,उस हादसे
के बाद सायरा जी कभी मां नहीं बन सकी दलीप साहेब जैसे नेक इंसान के साथ
हुई इस न इंसाफ़ी से कोई पत्थर दिल इंसान भी दहल जायेगा लेकिन जो कुदरत को
मंज़ूर था वो हुआ ,क्या कर सकते हैं ..फ़िल्मो के लिये सायरा जी के समर्पण और काम
के प्रति जूनून ने उनकी जिंदगी ही बदल कर रख दी है इस दर्दनाक घटना का जिक्र दलीप साहेब ने 2014 में '' The Substance and the Shadow" में भी किया है दलीप कुमार और सायरा जी ने इसे भगवान की इच्छा और भाग्य का लिखा मान संतोष कर लिया
लेकिन इस हादसे के कई साल गुजरने के बावजूद आज भी सायरा बानो की रील लाइफ से ज्यादा उनकी रियल लाइफ दूसरो को प्रभावित करती है और प्रेरणा देती है ,दलीप साहेब और सायरा जी एक दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते है उन्होंने एक दूसरे को कभी भी औलाद की कमी महसूस नहीं होने दी ,आज भी सायरा बानो जी दिलीप साहिब की सेवा दिलो जान से कर रही हैं । उनका प्यार और सेवा भाव ही हिंदुस्तान के दिल में बसने वाले अजीमो शान शहज़ादे 'दिलीप साहब ' को स्वस्थ और सलामत रखे हुए है ...आज दोनों के करोडो फैन्स है जो उन्हें सच्चा प्यार करते है शायद ये वो सच्ची दौलत है जिसे हर कोई न तो कमा सकता है ,न दौलत से खरीद सकता है ...ऊपरवाले से दुआ है कि दोनों अच्छी सेहत के साथ लम्बी उम्र जिये .....खुदा क़यामत तक इस जोड़ी को महफूज़ रखे ....अमीन
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