संजीव कुमार और शबाना आज़मी ,नमकीन- (1982) |
राहो पे रहने वाला ये मुसाफिर गेरुलाल है
सफर करते करते एक बार दूरदराज़ के पहाड़ो में जा कर रुक गया
एक छोटा सा गांव था और उस गांव में एक टूटा फूटा सा घर
जहाँ चार औरतों का एक अधूरा सा परिवार रहता था
अम्मा थी साठ से ऊपर की ...कुछ सठियाई हुई सी... कुछ बहकी हुई सी
अपने आप से ही बाते करती रही थी और उसकी तीन बेटियाँ
निमकी ,मिट्ठू और चिंकी .....शादी किसी की नहीं हो पाई
लोग कहते है अगर माँ बाप के छींटे न पड़े होते तो तीनो ब्याही जाती
देखने में भी तो आखिर अच्छी खासी है
बड़ी शादी की उम्र से गुजर चुकी है
और छोटी लड़को की तरह रास्तो में ठुड्डे मारती चलती है
शादी की उम्र को बस अब पहुंची की ...अब पहुंची..
और मंझली बेचारी गूंगी है
गेरुलाल ने अक्सर उसे गुनगुनाते सुना है
बहने कहती हो वो गीत लिखा करती है ..
वहीदा रेहमान फिल्म नमकीन (1982 ) के सेट पर |
गोबर जमा करती है, ..उपले थापती है, ...सुखाती है ,
और जा कर गाँव में बेच आया करती है
बदलते हुए वक्तो से बड़ी शिकायत है उसे
गाँव से तो क्या.... गालिंयो से भी शिकायत करती है
मुई ....बड़ी कंजूस हो गई सारा दिन में टोकरी भर गोबर भी नहीं देती
पुराने वक्तो को याद कर कभी रोती है
कभी हँसने लगती है
रोती है तो भी आंसू भर आते है
हंसती है तो भी आंसू बहने लगते है
आँखों से 'नमकीन 'आंसुओं का स्वाद नहीं जाता .....😢
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फिल्म - नमकीन
रिलीज़ - 2 अप्रैल 1982
स्टार- संजीव कुमार ,वहीदा रेहमान , शबाना आज़मी ,किरण वैराले
निर्देशक - गुलज़ार
संवाद - गुलज़ार
संगीत - आर.डी बर्मन
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