जुलाई 1999 में भारतीय टेलीविज़न के इतिहास में करगिल भारत-पाकिस्तान के संघर्ष की पहली लड़ाई थी जिसकी तस्वीरें देश के घर-घर में पहुंचीं पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ की ख़बर भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की फरवरी 1999 की लाहौर यात्रा के चंद महीनों के बाद ही आई थी भारतीय सैनिकों के शहीद होने की बढ़ती संख्या ने सरकार को कोई ठोस निर्णय लेने पर विवश किया आर्मी के सपोर्ट में इंडियन एयरफोर्स ने 26 मई को ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ शुरू किया, भारतीय जवानों के लिए स्थिति कठिन थी.घुसपैठिए ऊंची पहाड़ियों पर भारी हथियार, गोला बारूद लेकर बैठे थे और भारतीय जवानों के लिए गोलियों की बौछार के बीच में पहाड़ियों की चोटियों पर पहुंचना बेहद चुनौतीपूर्ण था लेकिन फिर भी उनमें ऐसा जोश था कि उन्होंने दिमाग में ठान ली है वो ये जंग जीत कर रहेंगे रहेंगे जहाँ इस बात की चिंता उस वक्त पूरी दुनिया को थी कि कहीं ये इलाका कारगिल युद्ध के कारण ''न्यूक्लियर फ़्लैशप्वाइंट ''न बन जाए वही पाकिस्तान की अवाम को भी लगता था कि पाकिस्तान की तरफ़ से करगिल लड़ाई की शुरुआत बहुत ग़ैर-ज़िम्मेदाराना क़दम है जिसका भारत मुंहतोड़ जवाब देगा
कारगिल युद्ध शुरू होने के बाद भारत के तब के प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपई ने नवाज़ शरीफ से शिकायत की थी की .."आप ने मेरे साथ धोखा किया है" अटल बिहारी वाजपई जी ने नवाज़ की बात भारत के दिग्गज कहे जाने वाले अभिनेता दलीप कुमार से भी करवाई थी इस बात का खुलासा एक किताब से हुआ है जिसे पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने लिखा है उन का कहना है की वे उस दिन नवाज शरीफ के साथ बैठे हुए थे तभी भारत से प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपई का फोन आया और वो तत्काल पाकिस्तान के प्रधान मंत्री से बात करना चाहते थे इस बातचीत में वाजपई जी ने शिकायत की ..."नवाज़ शरीफ साहिब आपने एक तरफ मेरा लाहौर में स्वागत किया और दूसरी और आप ने कारगिल में कब्ज़ा करवा दिया ये आपने उचित व्यवहार नहीं किया "..अपनी बात ख़त्म करने से पहले वाजपई जी अपने पास बैठे एक शख्स से भी नवाज़ शरीफ की बात करवाई .. ये शख्स कोई और नहीं भारत के दिग्गज हरदिल अज़ीज़ अभिनेता '' दलीप कुमार '' थे
दिलीप कुमार की आवाज सुनकर नवाज चौंक गए दलीप साहिब ने नवाज़ शरीफ से दो टूक कहा..." आप तो अमन के बड़े समर्थक होने का दावा करते है आप से ऐसी उम्मीद तो कतई नहीं थी आपने पहले अटल जी को लाहौर बुलाया, उसके बाद मेरे देश के साथ ऐसा बर्ताव किया इसलिए आप से गुजारिश है की हालात को काबू में कीजिये .....मै एक भारतीय मुस्लमान होने के नाते आप को बताना चाहता हूँ ये आप के हित में होगा " पाकिस्तान के सबसे बड़े सम्मान "निशान -ए -इम्तियाज़" से नवाजे जा चुके दलीप कुमार के मुँह से ये बात सुन कर नवाज शरीफ हक्के बक्के रह गए थे दलीप कुमार के " युसूफ खान " होने के कारण उनको ऐसे जवाब की उम्मीद कतई नहीं थी शायद वो भूल गए की वो मुस्लमान बाद में हिंदुस्तानी पहले है खैर नवाज शरीफ ने अपने आर्मी प्रमुख से बात करने के बाद फिर से दलीप कुमार से बात करने का वादा भी किया ....खैर पाकिस्तान निरकुंश की सेना के सामने उनकी क्या चलती लेकिन भारतीय सैनिकों के लौटते शवों ने करगिल की लड़ाई को देश के कोने-कोने में पहुंचा दिया जब करगिल युद्ध चरम पर था तो हज़ारों गोले रोज़ दागे जाते थे भारतीय सेना के जवाबी हमलों के कारण स्थिति मज़बूत होनी शुरू हुई भारतीय सैनिकों ने ज़बरदस्त लड़ाई के बाद घुसपैठियों को भगाते हुए तोलोलिंग, टाइगर हिल जैसी महत्वपूर्ण चोटियों पर दुबारा कब्ज़ा किया और कारगिल की लड़ाई जीत ली पाकिस्तान की बुदजिल सेना जान बचा कर भागते भागते अपने जवानो के शव भी यहाँ छोड़ गई जबकि हमारी सेना के करगिल में मारे गए जवानों की प्रतिमाएं, उनके नाम पर पार्क आज भी आपको भारत के कोने-कोने में मिलेंगे
' Neither a hawk nor a dove 'author Pakistani foreign minister Khurshid Mahmud Kasuri |
"नीदर अ हॉक नॉर अ डव " नामक अपनी पुस्तक में पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री ने इस वाकये को लिखा है यही कारण है की भारत के लोग अपने दलीप साहिब को सर -आँखों पे बिठाते है और और अपने दिल में रखते है पाकिस्तान ये बात अच्छी तरह जानता है की जब भारत पर संकट आता है तो नेता ,अभिनेता ,अवाम और खास सब जाति और धर्म की दीवारे तोड़ कर देश हित में एक हो जाते है शायद इसलिए पाकिस्तान भारत से युद्ध नहीं जीत सका ये बात इस वाकये से साबित भी होती है.मूलत: पेशावर (पाकिस्तान) के रहने वाले दिलीप कुमार का असली नाम यूसुफ खान है और पाकिस्तान की अवाम भी उनकी फिल्मों की मुरीद है।
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