नॉटी बॉय " (1962) |
ये बात कोई 1957 के आस पास की है मशहूर फिल्म मेकर शक्ति सामंत अभिनेत्री मधुबाला को लेकर एक फिल्म प्लान कर रहे है फिल्म की कहानी का विषय कोयले की खदानों के इर्द गिर्द घूमता था ........ये वो समय था जब किशोर कुमार मधुबाला के प्यार में पागल थे और मधुबाला के साथ कोई भी फिल्म करने का मौका जाने नहीं देना चाहते थे जब किशोर कुमार को इस फिल्म की जानकारी हुई तो वो सीधे शक्ति सामंत के घर जा धमके और उनसे बोले की ......."ये फिल्म तो मैं ही मधु के साथ करूँगा "..... शक्ति सामंत ने किशोर दा को समझाया की इस फिल्म का सब्जेक्ट अलग है और उनकी छवि के अनुरूप नहीं है शक्ति सामंत के इंकार करने से किशोर दा निराश हो गए और बोले ..."तो फिर मुझ से वादा करो की कोई ऐसी फिल्म मधु के साथ बनाओगे जो मेरी छवि के अनुरूप हो "..शक्ति सामंत ने समय आने पर ऐसी एक फिल्म बनाने का वादा किशोर दा से कर दिया किशोर कुमार मधुबाला की बीमारी के बारे में जानते थे और ये भी जानते थे की मधुबाला इस हालत में कोयले की खदानों के धूल भरे वातावरण में शूटिंग नहीं कर सकती इसलिए ये फिल्म भी बनना नामुमकिन है लेकिन मधुबाला के साथ काम न करने का फिर भी उन्हें मलाल था
हुआ भी ऐसा मधुबाला के पिता अताउल्लाह खान मधुबाला की सेहत का हवाला देकर फिल्म की शूटिंग धूल भरे वातावरण में करने के पक्ष में नहीं थे उन्होंने सेट बना कर शूट करने के लिए कहा लेकिन शक्ति सामंत सिर्फ ओरिजनल लोकेशन पर ही शूटिंग करना चाहते थे बात नहीं बनी उन्होंने इस फिल्म से फ़िलहाल किनारा कर लिया आखिर अपनी इस फिल्म को दरकिनार कर किशोर साहेब की जिद और अपने दिए वचन के मुताबिक शक्ति सामंत ने मधुबाला और किशोर कुमार को लेकर एक कॉमेडी फिल्म लॉन्च कर दी नाम रखा गया " नॉटी बॉय " लेकिन किशोर कुमार जी की हसरत पूरी नहीं हो सकी फिल्म 8 या 10 रील बन कर बंद हो गई क्योंकि मधु की तबियत बहुत गंभीर रूप से बिगड़ गयी और उन्हे डॉक्टर ने काम करने से मना कर दिया मधुबाला को शल्य चिकित्सा के लिए देश से बाहर लन्दन ले जाना पड़ा अब शक्ति सामंत को अपनी अधूरी फिल्म तो पूरी करनी ही थी और वो मधुबाला के लन्दन से आने तक इंतज़ार नहीं करना चाहते थे .उन्होंने एक नई अभिनेत्री कल्पना के साथ ये फिल्म करने का फैसला कर लिया कल्पना का असली नाम 'कल्पना मोहन' था वो स्वतंत्रता सेनानी अवनी मोहन की बेटी थी जो पंडित जवाहरलाल नेहरू के करीबी थे और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के एक सक्रिय सदस्य थे कल्पना कथक में पूर्णयता प्रशिक्षित नृत्यांगना थी उंसने पंडित शंभु महाराज से दीक्षा ली थी दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में नृत्य प्रोग्राम करने के लिए उन्हें अक्सर आमंत्रित किया था जहाँ कई गणमान्य हस्तिया भी उपस्थित होती थी यही पर उनकी मुलाकात बलराज साहनी और विवादस्पद लेखिका इस्मता चुगताई से हुई उन्होंने उन्हें बम्बई आने के लिए प्रोत्साहित किया और उनकी मुलाकात शक्ति सामंत से हुई उन्होंने उन्हें अपनी फिल्म "नॉटी बॉय" के लिए साइन कर लिया उन्होंने उन्हें स्क्रीन नेम 'कल्पना' दिया शक्ति सामंत ने अभिनत्री 'कल्पना 'को लेकर मधुबाला के बिना ये फिल्म "नॉटी बॉय " पूरी की इस तरह से किशोर दा की ज़िद की वजह से ये फ़िल्म बनी तो मगर बहुत नुकसान के बाद देर से बनी और सफल भी नहीं हुई किशोर दा ने भी अनमने ढंग से फिल्म पूरी की क्योंकि जिस के लिए वो ये फिल्म कर रहे थे वो इस फिल्म में नहीं थी जबकि उनकी शादी इस दौरान मधुबाला से हो चुकी थी इस फिल्म में पहली बार किशोर कुमार के लिए गायक मन्ना डे की आवाज़ " हो गई शाम दिल बदनाम " गाने में इस्तेमाल की गई कुछ लोग 'प्रोफेसर 'फिल्म को कल्पना की पहली फिल्म मानते है लेकिन 'नॉटी बॉय' को ही उनकी पहली फिल्म कहना सही होगा क्योंकि प्रोफेसर की शूटिंग नॉटी बॉय के बाद शुरू हुई थी नॉटी बॉय फिल्म लेट भी हुई कल्पना की एक अन्य एक फिल्म 'प्यार की जीत' भी इसी वर्ष रिलीज़ हुई जिसमे उनके हीरो महिपाल थे लेकिन तीनो ही फिल्मे एक ही साल 1962 में कम अंतराल पर रिलीज़ हुई थी किशोर कुमार और ओम प्रकाश ,मदन पुरी जैसे कुछ मशहूर चेहरों के आलावा किसी अन्य चर्चित सितारे का इस फिल्म में ना होना भी शायद 'नॉटी बॉय' की असफलता का कारण बना
हलाकि
मधुबाला ने अपनी मौत से पहले किशोर कुमार के साथ हाफ टिकट (1962 ) और झुमरू
(1961) भी की लेकिन विडंबना देखिये कोयले की खदानों के जिस विषय पर शक्ति सामंत मधुबाला के साथ जो फिल्म करना चाहते थे किशोर कुमार जिस फिल्म मे मधुबाला के साथ काम करना चाहते थे जो फिल्म मधुबाला बीमारी की वजह से पूरी नहीं हो सकी वो फिल्म भी बनी उसको मधुबाला ने तबियत सुधरने और लन्दन से वापिस आने पर पूरा किया ये फिल्म 'नॉटी बॉय' से पहले सिनेमा घरो में रिलीज़ भी हो गई इस फिल्म के हीरो बने सुनील दत्त ......और
शक्ति सामंत की इस फिल्म नाम था "इंसान जाग उठा (1959 )" मधुबाला की हिम्मत देखिये बीमारी और पिता के विरोध के बाद भी 'इंसान जाग उठा' की शूटिंग हैदराबाद से लगभग 100 किलोमीटर दूर कृष्णा नदी पर
बन रहे नागार्जुन बांध के निर्माण की असली लोकेशन पर की बीमारी के
कारण डॉक्टरों ने मधुबाला को धूल भरे वातावरण में शूट करने से मना किया था
लेकिन फिर भी मधुबाला ने आउटडोर शूटिंग पर वास्तविक लोकेशन पर जा कर शूटिंग
की उन्होंने शूटिंग के दौरान सुनीलदत्त से कहा था
......." मुझे अपने देश के मजदूरों के साथ कंधे से कन्धा मिला कर काम करना
अच्छा लग रहा है मैं अपने भारत को बनते हुए देख रही हूँ ..............मधुबाला जितनी खूबबसूरत थी उसकी असल जिंदगी उतनी ही अवसाद भरी थी दरसअल
मधुबाला को विवाह के लिये तीन अलग - अलग लोगों से प्रस्ताव मिले वह सुझाव
के लिये अपनी मित्र नर्गिस के पास गयी नर्गिस ने भारत भूषण से विवाह करने
का सुझाव दिया जो कि एक विधुर थे नर्गिस के अनुसार भारत भूषण, प्रदीप कुमार
एवं किशोर कुमार से बेहतर थे लेकिन मधुबाला ने अपनी इच्छा से किशोर
कुमार को चुना किशोर कुमार एक तलाकशुदा व्यक्ति थे मधुबाला के पिता
अताउल्लाह खान ने किशोर कुमार से बताया कि वह शल्य चिकित्सा के लिये विदेश
जा रही है तथा उसके लौटने पर ही वे विवाह कर सकते है मधुबाला मृत्यु से
पहले विवाह करना चाहती थीं ये बात किशोर कुमार को पता था मधुबाला
का विवाह एक औपचारिकता मात्र थी और मधुबाला की अन्तिम इच्छा की पूर्ति हेतु ये शादी की गई थी मधु सुहागन मरना चाहती थी और किशोर ने यह जानते हुये भी कि इस विवाह से दाम्पत्य जीवन के किसी भी कर्म की पूर्ति नहीं होगी फिर भी यह विवाह मधु की अन्तिम इच्छा पूरी करने हेतु किया .....1960 में
उन्होने विवाह किया... परन्तु किशोर कुमार के माता-पिता ने कभी भी मधुबाला
को स्वीकार नही किया उनका विचार था कि मधुबाला ही उनके बेटे की पहली शादी
टूटने की वज़ह थीं किशोर कुमार ने माता-पिता को खुश करने के लिये
हिन्दू रीति-रिवाज से पुनः शादी की लेकिन वे उन्हे मना न सके .......वैसे तो इस दुनिया में कोई किसी का नहीं परन्तु लगता है कि यह कहावत फिल्मी दुनिया को मद्दे नज़र रख कर ही रची गई है किशोर कुमार के माता पिता ने मधुबाला के मरने तक स्वीकार नहीं किया अब किशोर ने मधु से विवाह तो कर लिया लेकिन अंतिम दिनों में मधुबाला को अकेला और तनहा छोड़ने का इलज़ाम भी उन पर भी लगा
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