ये सौभाग्य की बात है की सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने फ़िल्म इंडस्ट्री में 75 साल पूरे कर लिए हैं भगवान करे वो अनंत काल तक अपनी स्वर लहरियाँ बिखेरती रहे लेकिन बहुत ही कम लोग जानते है भारत की स्वर कोकिला लता जी को एक बार जहर दे कर मारने की नाकाम कोशिश भी हुई थी अपनी मधुर गायकी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाली स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को एक समय धीमा जहर देकर जान से मारने की कोशिश की गई थी जब वे 33 वर्ष की थीं .............ये साल 1962 की एक सामान्य सुबह थी वैसे तो लता जी जल्दी उठ जाती है लेकिन उस दिन वो देर तक बिस्तर पर पड़ी रही उन्हें फ़िल्म '20 साल बाद ' के एक गाने को रेकोर्ड करने के लिये जाना था फ़िल्म के म्यूजिक डाइरेक्टर हेमंत कुमार गीत रेकोर्ड करने के लिये स्टूडियो में तैयार थे काफी देर तक इंतज़ार करने के बाद उन्होंने लता जी के घर पर फ़ोन लगाया तो उन्हें पता चला की लता जी आज उनकी रिकोर्डिंग पर नही आएगी उनकी तबियत ठीक नहीं है हेमंत कुमार जी ने इसे कोई सामान्य सर्दी बुखार की समस्या समझ कर रिकॉर्डिंग कैंसिल कर दी
उधर घर पर सुबह बिस्तर से उठने पर लता जी को पेट में अजीब सा दर्द महसूस हुआ इसके बाद उन्हें पतले पानी जैसी दो-तीन उल्टियां हुईं जिनका रंग हरा था.... धीरे धीरे उनकी हालत बिगड़ने लगी वे अब हिल भी नहीं पा रही थीं और पेट दर्द से बेहाल थीं फ़ौरन पारिवारिक डॉक्टर को बुलाया गया दर्द बर्दाश्त से बाहर होने पर डॉक्टर ने उन्हें बेहोशी के इंजेक्शन लगाए उनको मामला गंभीर लगा उन्होंने कई प्रकार की जाँच करवाने के लिए लिख दिया और लता जी को बिस्तर से उठने से मना कर दिया अगले तीन दिन तक लता जी जीवन और मौत के बीच संघर्ष करती बेसुध पड़ी रही अब सबको इंतज़ार पेट जांच की रिपोर्ट आने का था किसी को समझ नहीं आ रहा था की आखिर लता जी हुआ क्या है ? क्योंकि केवल दो दिन पहले तक वो अपने सारे दिनचर्या के काम सामान्य ढंग से कर रही थी और कोई समस्या नहीं थी
आखिरकार अगले दिन जांच की मेडिकल रिपोर्ट भी आ गई उस रिपोर्ट में जो कुछ लिखा था उसे पढ़ कर उनके डॉक्टर समेत सभी घर के लोग अवाक् रह गए पता चला की इन्हे स्लौ पोइजन ( धीमा जहर ) दिया जा रहा है रिपोर्ट देख कर डाक्टर और सभी हैरान और परेशान हो गए डॉक्टरों ने घर वालो को उनके जल्द ठीक होने का भरोसा दिलाया और तुरंत इलाज शुरू कर दिया उस इलाज दौरान वह कुछ खा भी नहीं पाती थीं सिर्फ ठंडा सूप उन्हें पीने को दिया जाता था जिसमें बर्फ के टुकडे पडे रहते थे पेट साफ नहीं होता था और पेट में हमेशा जलन होती रहती थी उनको डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाता था घरवालों और डॉक्टरों के अलावा कोई भी उनके नज़दीक नहीं जा सकता था आखिर उनके परिवारवालों और डॉक्टरों की मेहनत रंग लाई लता जी के शरीर से जहरीले टॉक्सिन का प्रभाव कम होने लगा पहले दस दिन तक हालत खराब होने के बाद फिर धीरे-धीरे सुधरी लेकिन लता जी काफी कमजोर हो गई थीं और इस के बाद लता जी को वापस रिकवर होने मे पूरे तीन महीने लग गये घर पर ही इलाज होता रहा इस घटना के बाद उनके घर में खाना पकाने वाला रसोइया अचानक किसी को कुछ बताए और बिना पगार लिए भाग गया बाद में लता मंगेशकर को पता चला कि उस रसोइये ने फिल्म इंडस्ट्री में भी काम किया था जिससे यही माना गया की ज़रूर किसी ने लता के खिलाफ़ साज़िश रची होगी ओर इस रसोइये को काम पर लगाया होगा कुछ लोगो के नाम भी सामने आये पर कोई पुख्ता सबूत नहीं थी खाना पकाने वाला फरार था कुछ लोगो ने उन्हें पुलिस में शिकायत करने की भी सलाह दी लेकिन लता जी सब को माफ़ कर और सब कुछ भूल कर अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में वापिस लौट आई उन्होंने दोषी को सज़ा देने का फैसला भगवान के भरोसे छोड़ दिया
अब लता जी की सुरक्षा के लिए ये निर्णय लिया गया की उनकी छोटी बहन उषा जी ही उनके लिये खाना बनायेगी ओर कोई भी अन्य रसोई मे नही जायेगा उनको बाहर से किसी भी चीज़ को खाने की भी सख्त मनाही थी इस दौरान उनके एक दोस्त ने उनका बहुत साथ दिया ओर वो दोस्त थे शायर गीतकार 'मजरूह सुल्तानपुरी ' मजरूह साब शाम 6 बजे अपने घर से आ जाते लता जी को घंटों तक कवितायें सुनाते शायरी सुनाते गप्पें मारते और जो कुछ वह खाती थीं सबसे पहले खुद चखते थे फिर लता को को खाने को देते थे ये सिलसिला लगातार 3 महीने तक चला जब तक लता जी ठीक नही हो गयीं आखिर लता मंगेशकर अपने दोस्तों और घरवालो की मेहनत ,प्यार और डॉक्टरों के मुकम्मल इलाज से पूरी तरह ठीक हो गई लेकिन एक सवाल रह रह कर उनके जेहन में उठता रहा की आखिर जिस पर उन्होंने भरोसा किया उसने ऐसा क्यों किया ? क्या प्रतिस्पर्धा और लालच में आदमी इतना भी गिर सकता है की किसी की जान लेने पर आमादा हो जाये ?
ये साल 1962 की बात है जब ‘स्वर कोकिला’ को जहर दे दिया गया था उन्होंने अपनी किताब ‘ऐसा कहां से लाऊं’ में इस बात का जिक्र भी किया है इस दौरान मजरूह सुल्तान पुरी उनके निरंतर संपर्क में रहे ....पूरी तरह स्वस्थ होने के आप जानते है लता जी ने सबसे पहले जो गीत रिकॉर्ड कराया वो गीत कौन सा था ?...वो गीत था ‘कहीं दीप जले कहीं दिल’.जिसका संगीत हेमन्त कुमार ने दिया था इसी गीत की रिकॉर्डिंग के वक्त ही उनकी तबियत ख़राब हुई थी कुछ महीने बाद ये बात प्रिंट मिडिया के सामने भी आई और कई फ़िल्मी पत्रिकाओं में इसे जगह भी मिली आज हम सब इस दर्दनाक वाकये को भूल कर उनके फिल्म इंडस्ट्रीज़ में 75 साल पूरे होने पर दिल से यही कामना करते है की लता मंगेशकर जी हज़ारो साल जिए .... भारत की ये कोयल हमेशा चहकती रहे ....
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