Saturday, January 20, 2018

" पांच रुपया बारह आना " वाले किशोर कुमार के गीत के पीछे की असली कहानी...


 बहुमुखी प्रतिभा के धनी गायक, संगीतकार, अभिनेता, निर्माता, लेखक जैसे किशोर कुमार के कई रूप हमें देखने को मिले संगीत की बिना तालीम हासिल किए जिस तरह से उन्होंने फिल्म संगीत जगत में अपना स्थान बनाया वह तारीफ के काबिल है अपनी मधुर आवाज में गाए गीतों के जरिए किशोर कुमार आज भी हमारे आसपास मौजूद हैं पुरानी के साथ-साथ नई पीढ़ी भी उनकी आवाज की दीवानी है किशोर जितने उम्दा कलाकार थे, उतने ही रोचक इंसान वे कब क्या कर बैठे, यह कोई नहीं जानता था ? जिस तरह से किशोर कुमार फिल्मों में मस्त मौला आदमी का किरदार निभाया करते थे, ठीक उसी तरह वो अपनी असल ज़िंदगी में भी थे उनके कई किस्से बॉलीवुड में प्रचलित हैं उनकी एक फिल्म चलती का नाम गाड़ी (1958 ) आई थी जिसमे अशोक कुमार, किशोर कुमार और अनूप कुमार तीनो भाइयो ने अभिनय किया इस फिल्म के सारे गाने हिट थे लेकिन "पांच रुपया बारह आना "वाले गीत के साथ एक असली कहानी जुडी हुई शायद बहुत कम लोगों को पाँच रुपया बारह आना वाले गीत की यह असली कहानी मालूम होगी आज आपको वही बताने जा रहा हूँ 


बात तब की है जब किशोर कुमार इन्दौर के क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ते थे उनकी आदत थी की कॉलेज की कैंटीन से उधार लेकर खुद भी खाना और दोस्तों को भी खिलाना ........वह ऐसा समय था जब 10-20 पैसे की उधारी भी बहुत मायने रखती थी किशोर कुमार पर जब कैंटीन वाले के पाँच रुपया बारह आना उधार हो गए तो वो रोज़ पैसो के लिए तकाज़ा करने लगे और कैंटीन का मालिक जब उनको अपने पाँच रुपया बारह आना चुकाने को कहता तो वे कैंटीन में बैठकर ही टेबल पर गिलास, और चम्मच बजा बजाकर पाँच रुपया बारह आना गा-गाकर कई धुन निकालते थे और कैंटीन वाले की बात अनसुनी कर देते थे उन धुनों को सुनकर कैंटीन वाला खीझ उठता अब कैंटीन कैंटीन वाले का उधार तो किशोर कुमार ने देर सवेर चुकता कर दिया लेकिन ये "पांच रुपया बारह आना ' वाली धुन उनके जेहन में बैठ गई ये धुन फिल्म चलती का नाम गाड़ी के एक गाने की सिचुएशन पर उन्हें फिट लगी उन्होंने फिल्म के इस गीत में इस पाँच रुपया बारह आना का बहुत ही खूबसूरती से इस्तेमाल किया जहाँ वो मधुबाला से अपने उधारी के पैसे वापिस मांगते है 


जब निर्माता सत्येन बोस जी ने ये धुन सुनी तो भड़क गए ''ये क्या वाहियात गाना है इसे भला कौन सुनेगा '' उन्होने फिल्म में इसे रखने से मना ही कर दिया लेकिन किशोर कुमार एस.डी बर्मन को समझाने में कामयाब रहे और ये गाना ना सिर्फ फिल्म में शामिल हुआ बल्कि हिट हो कर लोगो की जुबान पर भी चढ़ गया .....'चलती का नाम गाड़ी 'भारत की दस प्रमुख हास्य फिल्मो में शुमार है और इस फिल्म में जो गाड़ी दिखाई गई है वो किशोर कुमार के पिता जी की विंटेज गाड़ी थी फिल्म की नंबरिंग में एक स्टार की तरह गाड़ी का नंबर दिया गया था "CHAMPION  CAR  MODAL 1928 " एक और दिलचस्प बात जो आप को बताने जा रहा हूँ की किशोर कुमार ने ' चलती का नाम गाड़ी और एक बंगाली फिल्म' लुको चोरी (1958) को अनमने ढंग से बनाया था ताकि फिल्म पिट जाये और वो इनकम टैक्स विभाग को घाटा दिखा सके लेकिन इसका उल्टा हो गया 25 लाख से अधिक कमाई कर चलती का नाम गाड़ी उस साल की सांतवी सबसे बड़ी हिट साबित हो गई ...'मरता क्या न करता ' ....किशोर कुमार ने फिर इनकम टैक्स से बचने के लिए फिल्म के निर्माता और अपने सचिव अनूप शर्मा को फिल्म के सारे राईट दे दिए किशोर कुमार ने अपनी गुगली में इनकम टैक्स विभाग को ऐसा उलझाया की इनकम टैक्स विभाग किशोर कुमार का ये केस अगले चालीस वर्षो तक नहीं सुलझा सका  


हिन्दी सिनेमा जगत में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जो किशोर कुमार से प्रभावित ना हो यदि आप हिंदी गानों के शौकीन हैं और आपकी पसंदीदा लिस्ट में किशोर दा के गाने ना हों यह मुमकिन ही नहीं चाहे आज की युवा पीढ़ी हो या अधेड़ उम्र के लोग सभी को किशोर दा बहुत पसंद हैं.अपनी गायिकी से किशोर दा ने ऐसा असर छोड़ा है कि लोग आज भी उनके गानों को उसी तरह पसंद करते हैं जैसा जब वह जीवित थे तब करते थे


  पवन मेहरा  
 (सुहानी यादे ...बीते सुनहरे दौर की  ...).
 

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