बंधन - (1940) |
बॉम्बे टाकीज़ द्वारा निर्मित निर्माता शशिधर मुकर्जी और निर्देशक
एन.आर.आचार्य की फिल्म " बंधन " संभवत पहली फिल्म थी, जिसमें देश प्रेम की
भावना को रूपहले परदे पर दिखाया गया था। कवि प्रदीप रचित 'चल चल रे नौजवान
के बोल ' वाले गीत ने आजादी के दीवानों में एक नया जोश भरने का काम किया।
इस वजह से इसे ब्रिटिश हकूमत के गुस्से का शिकार भी होना पड़ा अशोक
कुमार, लीला चिटनीस ,सुरेश ,वी.एच् देसाई ,अरुण कुमार और पूर्णिमा देसाई
ने इस फिल्म में मुख्य भूमिकाये निभाई थी ये उस वर्ष 1940 की दूसरी सबसे
ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी इसी वर्ष रिलीज़ हुई के.एल सहगल की फिल्म
'जिंदगी ' पहले नंबर पर रही
देश को अंग्रेज़ो की चुंगल से आज़ाद करने में जितनी भूमिका देशभक्तो और
क्रांतिकारियों की रही उतनी ही बड़ी भूमिका लोगो में देश भक्ति का जज़्बा
जगाने में राष्ट्रभक्त कवियों की भी रही वर्ष 1940 में भारतीय स्वतंत्रता
संग्राम अपने चरम पर था देश को स्वतंत्र कराने के लिय छिड़ी मुहिम में 'कवि प्रदीप 'भी शामिल हो गए और इसके लिये उन्होंने अपनी कविताओं और रचनाओं का
बखूबी का सहारा लिया अपनी कविताओं के माध्यम से प्रदीप देशवासियों में
जागृति और जोश पैदा किया करते थे उन्होंने फ़िल्म ‘बंधन’ (1940) के लिए गीत
लिखा फ़िल्म 'बंधन' में उनके लिखे सभी गीत लोकप्रिय हुए, लेकिन ‘चल चल रे
नौजवान...' के बोल वाले गीत ने आजादी के मतवालों में एक नया जोश भरने का
काम किया उस समय स्वतंत्रता आन्दोलन अपनी चरम सीमा पर था और हर प्रभात
फेरी में इस देश भक्ति के गीत को गाया जाता था। इस गीत ने भारतीय जनमानस पर
जादू-सा प्रभाव डाला था। पंडित जवाहर लाल जी ने उनसे मिलकर खुद
बताया था की उनकी बेटी इंदिरा प्रभात फेरियों में 'चल-चल रे नौजवान' गाकर
अपनी 'वानर सेना' की परेड कराती थीं यह राष्ट्रीय गीत बन गया था सिंध और
पंजाब की विधान सभा ने इस गीत को राष्ट्रीय गीत की मान्यता तक दे दी ये गीत
विधानसभा में गाया जाने लगा। बाद में अभिनेता बने सोशलिजम विचारधारा के
बलराज साहनी उस समय लंदन में थे उन्होने किसी तरह अपने प्रभाव का इस्तेमाल
कर इस गीत ‘चल चल रे नौजवान..' को लंदन बी.बी.सी. से प्रसारित कर दिया। फिर
क्या भारत में ब्रिटिश हकूमत में तहलका मचना स्वाभिक था प्रदीप
ब्रिटिश हकूमत के निशाने पर आ गए कवि प्रदीप को गिरफ़्तारी से बचने के लिए कई महीने तक अंडरग्राउंड होना पड़ा
चालीस का दशक इसलिए भी खास रहा
क्योंकि इसी वर्ष प्रदर्शित फिल्म 'प्रेम नगर ' से संगीत सम्राट नौशाद ने
अपने करियर का आगाज किया इसी दशक में क्षेत्रीय भाषाओं में भी बड़ी संख्या
में फिल्में भी बनने लगीं दिलीप, राज, देवानंद की त्रिमूर्ति तथा लता, रफी,
मुकेश, किशोर, आशा और कई महान पार्श्वगायकों के उदय के अलावा
आर.के.फिल्म्स, नवकेतन, राजश्री समेत कई प्रोडक्शन हाउस के आने के साथ ही
चालीस के दशक में भारतीय सिनेमा के साथ नया आयाम जुड़ा। यही वह दौर था जब
उत्तम कुमार और एन.टी.रामाराव जैसे महानायक, सदी के खलनायक प्राण, जुबली
स्टार राजेंद्र कुमार, ट्रेजडी क्वीन मीना कुमारी, बेपनाह हुस्न की मल्लिका
मधुबाला और नरगिस ने अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा। इस दौर में उभरे
गुरूदत्त, के.आसिफ., कमाल अमरोही, चेतन आंनद जैसे फिल्मकार और शंकर-जयकिशन,
सचिन देव बर्मन, खय्याम, शैलेन्द्र, हसरत जयपुरी, मजरूह सुल्तानपुरी जैसे
गीतकारों ने भारतीय सिनेमा को अपनी कला से समृद्ध किया।
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