
'जागीरदार' महबूब की एक रोमांटिक ,ड्रामा फिल्म थी इसमें पिता-पुत्र की भूमिकाएँ सुरेंद्र और मोतीलाल ने निभाई थी हिन्दी सिनेमा में कुछ अभिनेता ही ऐसे हुए जिन्होंने नैसर्गिक अभिनय (नैचरल एक्टिंग) के सहारे कामयाबी हासिल की। जिसमे से मोतीलाल सर्वप्रमुख हैं मोती लाल जी तब फिल्मो में नए नए आये थे लेकिन बाद में उन्होंने आगे चल कर अपने वास्तविक अभिनय से हिंदी सिनेमा के पहले "रियलिस्टिक एक्टर " की इमेज बनाई उनके खाते में अनेक अच्छी फिल्में दर्ज हैं मोतीलाल ने अपनी शालीन,मैनरिज्म और स्वाभाविक संवाद अदायगी से तमाम नायकों को पीछे छोड़ दिया। ......फिल्म जागीरदार अन्य कलाकार थे - बिब्बो, याकूब, माया बनर्जी, पांडे, जिया सरहदी और भूड़ो आडवाणी ......मोती लाल जी को छोड़ कर सारे कलाकार अपने ज़माने के मंझे हुए कलाकार थे जिन दिनों महबूब सागर मूवीटोन में निर्देशक के रूप में कार्य करते थे उन दिनों सागर मूवीटोन को कलाकरों की नर्सरी कहा जाता था।...... बेनर्जी, कुमार और चिमनलाल लोहार जैसे जबरदस्त कलाकार वहाँ मोजूद थे संगीतकारों में हीरेन बोस और अनिल बिस्वास अपनी मधुर धुनों से ‘सिल्वर-किंग’, ‘जागीरदार ’ और ‘फारबिडन-ब्राइड’ जैसी फिल्मों को सजा रहे थे यही से महबूब खान को अनिल विश्वास जैसा संगीतकार मिला और दोनों ने एक साथ कई फिल्मो में काम किया उन दिनों पाश्व गायकी का प्रचलन में नहीं थी इसलिए सुरेंदर बिब्बो और मोतीलाल के साथ साथ खुद अनिल विश्वास ने भी 'जागीदार ' में गीत गाये
बाबू भाई मेहता की लिखी कहानी एक जागीरदार सुरेंद्र ( सुरेंद्र ) की है जो सामाजिक रूढ़ियों के चलते अपनी गरीब प्रेमिका नीला ( बिब्बो ) से गुप्त विवाह करने के लिए बाध्य होता है जागीरदार सुरेंद्र जिसे एक दुर्घटना में उसे मृत मान लिया जाता है प्रेमिका अपने होने वाले बच्चे को वैधता प्रदान करने के लिए एक गरीब किसान श्रीपत ( पांडे ) से विवाह कर लेती है। जागीरदार सुरेंद्र के लौटने पर स्त्री के हक का द्वंद्व उठ खड़ा होता है। इसका फायदा उठाकर खलनायक नारायण लाल ( याकूब ) श्रीपत की हत्या कर देता है क्योंकि नारायण लाल खुद नायिका नीला पर आसक्त है वो ना केवल जागीरदार को ही हत्या के जुर्म में फंसा देता है बल्कि उसके बेटे रमेश ( मोतीलाल ) को भी उसके खिलाफ खड़ा कर देता है। और अंत में जब हर कोई मान लेता है की जागीरदार कातिल है। तो बेटे को असली खलनायक का पता चलता है और अंत में वो जागीरदार को अपने पिता के रूप में स्वीकार करता है। ..फिल्म फोटोग्राफी के निदेशक केकी मिस्त्री और फरदून ईरानी थे इस फिल्म में महबूब साहेब का हॉलीवुड की फिल्मों के प्रति आकर्षण प्रखरता से सामने आता है।नायक और खलनायक को ओवरकोट और फेल्ट हैट ठीक हिचकॉक की फिल्मों की स्टाइल में पहनाए गए 'जागीरदार' टिकट खिड़की पर सफल रही आजकल हिट फिल्मी जोड़ियों की धूम है लेकिन उस समय भी ऐसी जोड़ियों की कमी नहीं थी। सुरेंद्र-बिब्बो की जोड़ी भी खूब चली थी। गायिका-अभिनेत्री बिब्बो और सुरेंद्र की फिल्में लोग बार-बार देखते थे।

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