'कमला बाई गोखले' |
अपनी फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' की अपार सफलता के बाद दादा साहब फाल्के ने वर्ष 1913 में ‘मोहिनी भस्मासुर’ का निर्माण किया। ये फिल्म भी 'राजा हरिश्चंद्र ' की तरह एक पौराणिक कथा पर आधारित थी भस्मासुर हिन्दू पौराणिक कथाओं में वर्णित एक ऐसा राक्षस था जिसे वरदान था कि वो जिसके सिर पर हाथ रखेगा, वह भस्म हो जाएगा। कथा के अनुसार भस्मासुर ने इस शक्ति का गलत प्रयोग शुरू किया और स्वयं शिव जी को भस्म करने चला। शिव जी ने विष्णु जी से सहायता माँगी। विष्णु जी ने एक सुन्दर स्त्री का रूप धारण किया, भस्मासुर को आकर्षित किया और नृत्य के लिए प्रेरित किया। नृत्य करते समय भस्मासुर विष्णु जी की ही तरह नृत्य करने लगा और उचित मौका देखकर विष्णु जी ने अपने सिर पर हाथ रखा, जिसकी नकल शक्ति और काम के नशे में चूर भस्मासुर ने भी की। भस्मासुर अपने ही वरदान से भस्म हो गया। ......दादा साहब फाल्के की राजा हरिश्चंद्र में अन्ना सालुंके ने महिला किरदारों को निभाया था क्योंकि उस समय सभ्य समाज की महिलाये फिल्मो में काम करना तो दूर शहर में मंचित नाटकों तक को देखने नहीं जाती थी दादा साहब फाल्के ने नायिका के लिए कुछ पेशेवर बाज़ारी औरतों से भी संपर्क किया लेकिन बात बन न सकी लिहाज़ा 'राजा हरिश्चंद्र' में महिला पात्र भी पुरुष ने निभाया लेकिन अपनी आगामी फिल्म मोहिनी भस्मासुर’ में दादा साहब फाल्के सती पार्वती के रोल के लिए एक महिला पात्र को लेने का मन बना चुके थे फिर तलाश शुरू हुई और हिंदी सिनेमा को अपनी पहली महिला अभिनेत्री 'कमला बाई गोखले' मिली कमलाबाई गोखले जे.जे स्कूल आफ आर्ट्स में इतिहास के प्रोफेसर रहे आनंद नानोसकर और दुर्गाबाई कामत की बेटी थी 1903 में जब कमलाबाई छोटी थी तो था तो उसके माता-पिता अलग हो गए। यही कारण है कि जीवन यापन के लिए दुर्गाबाई ने घूम घूम के नाटक करने वाली थिएटर कंपनी में शामिल होने का फैसला किया। क्रोधित महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण समुदाय को उनके इस फैसले ने विचलित कर दिया दुर्गाबाई को सामाजिक विरोध का सामना करना पड़ा उनका बहिष्कार किया गया दुर्गाबाई पढ़ी लिखी थी लेकिन उन्होंने अपनी बेटी कमला बाई को स्कूल भेजने की बजाय घर पर ही शिक्षित किया वह कमला बाई को घर पर ही पढ़ाती थी कमलाबाई ने चार साल की उम्र में एक मंच शो में प्रदर्शन करके अपना अभिनय करियर शुरू किया। कमलाबाई 15 साल की उम्र में एक सेलिब्रिटी बन गए। कमलाबाई ने अपने करियर में बहुत संघर्ष किया क्योंकि उन दिनों महिलाओं को स्वतंत्र रूप से काम करने की इजाजत नहीं थी
1913 में दादा साहेब फाल्के अपनी फिल्म 'मोहिनी भस्मासुर 'के लिए कमला बाई गोखले को कास्टिंग किया साथ ही उनकी बेटी कमलाबाई को भी फिल्म में रोल दिया उनकी मां दुर्गाबाई ने 'मोहिनी भस्मासुर 'में पार्वती का रोल किया था और कमलाबाई 'मोहिनी 'की भूमिका में थी इसी फिल्म के जरिये कमला गोखले और उनकी मां दुर्गा गोखले दोनों अभिनेत्रियों को भारतीय फिल्म जगत की पहली महिला अभिनेत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ इसी फिल्म में पहला डांस नंबर भी फिल्माया गया था जबकि फिल्म मूक थी कमला गोखले पर फिल्माए इस इस नृत्य सिक़्वेन्स को दादा फाल्के ने निर्देशित किया था। जो अपने आप में बड़ा टेढ़ा काम था लेकिन विलक्षण प्रतिभा के धनी और दादा साहेब जैसे जुनूनी के लिए कोई काम असंभव नहीं था वह पलक झपकते ही फिल्म निर्माता निर्देशक के आलावा नृत्य निर्देशक ,ड्रेस डिजाइनर ,कैमरामैन ,स्पॉटबॉय ,सेट डिज़ाइनर ,सब बन जाते थे फिल्म निर्माण से जुडी हर विधा से वो बखूबी वाकिफ थे
'मोहिनी भस्मासुर’ फिल्म के निर्माण के दौरान दादा फाल्के की पत्नी सरस्वती बाई ने उनकी काफी सहायता की। इस दौरान वह फिल्म में काम करने वाले लगभग सभी लोगों के लिये खुद खाना बनाती थीं और उनके कपड़े तक धोती थीं। फिल्म के निर्माण में लगभग 15000 रुपए लगे जो उन दिनों काफी बड़ी रकम हुआ करती थी। लेकिन जब फिल्म रिलीज़ हुई तो इस फिल्म को दर्शकों का अपार प्यार मिला। मोहिनी भस्मासुर’ टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई।...वर्ष 19।4 मे दादा फाल्के ने ‘राजा हरिश्रचंद्र’, ‘मोहिनी भस्मासुर’ और ‘सत्यवान सावित्री’ को लंदन में प्रर्दशित किया। इसी वर्ष आर वैकैया और आर.एस प्रकाश ने मद्रास में पहले स्थायी सिनेमा हॉल गैटी का निर्माण किया। वर्ष 1917 में बाबू राव पेंटर ने कोल्हापुर में महाराष्ट्र फिल्म कंपनी की स्थापना की वही जमशेदजी फरामजी मदन ( जे.एफ मदन ) ने एलफिंस्टन बाईस्कोप के बैनर तले कोलकाता में पहली फीचर फिल्म 'सत्यवादी राजा हरिश्रचंद्र ' का निर्माण किया। फाल्के साहेब का ये प्रयोग और आइडिया हिट हुआ और भारत में फिल्म कंपनियां धड़ाधड़ खुलने लगीं
कमला बाई गोखले ने अभिनेता रघुनाथराव गोखले से विवाह किया जो 'किर्लोस्कर नाटक कंपनी' सी जुड़े हुए थे बाद में, रघुनाथराव अपने भाई की नाटक कंपनी में चले गए जहां कमलाबाई और दुर्गाबाई को हाथो हाथ लिया गया और जल्द ही ये जोड़ी कई नाटकों में लीड रोल में नजर आने लगी उन्होंने ज्यादातर ऐतिहासिक और पौराणिक कहानियो पर आधारित शो किए। उन दिनों फिल्मो और नाटकों को प्रमोट करने का एक मात्र साधन था पोस्टर और इश्तिहार ....फिल्म कम्पनिया हैंडबिल के माध्यम से अपनी फिल्मों का विज्ञापन करती थी कमलाबाई और रघुनाथ राव वितरकों के साथ गाँव गाँव जा कर अपने हाथ से हैंडबिल बांटते और प्रचार करते ये इतना आसान काम भी नहीं था सिर्फ बैलगाड़ियों से 18 -20 दिन तक लगातार थका देने वाली यात्राएं करनी पड़ती थी लेकिन माँ,बेटी ने कभी हिम्मत नहीं हारी ......कमलाबाई के तीन बच्चे ,चंद्रकांत गोखले, लालजी गोखले और सूर्यकांत गोखले थे चंद्रकांत गोखले उनमें से एक थे जो विक्रम गोखले के पिता थे विक्रम गोखले हिंदी और मराठी रंगंमंच के मंझे हुए सम्मानित कलाकार है जिन्हें आपने अग्निपथ (1990) में अमिताभ बच्चन के पिता के रोल में देखा होगा कमलाबाई ने 'मनोहर स्ट्रीट संगीत नाटक मंडल' और 'नाट्य कला प्रसारक' जैसी कंपनियों के साथ भी काम किया था। कमलाबाई जी ने क्रांतिकारी वीर सावरकर के साथ हरिजनों की दुर्दशा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक नाटक "उषाप " भी किया था निति विजय (1932 ) , भूतिया महल , मिर्ज़ा साहिबान कृष्ण सुदामा, भूल भुलैयाँ ,औरत का दिल (1933 ) अंबरीश ,अफगान ,अबला (1934 ) आखरी गलती (1936 ) स्ट्रीट सिंगर, चाबुक वाली (1938 ) सोना चांदी ,हक़दार (1946 ) अलादीन और जादुई चिराग (1952 ) नास्तिक कमला (1954 ) हलचल (1971 ) एक नजर (1972 ) कमलाबाई गोखले की प्रमुख फिल्मे थी कमलाबाई गोखले ने लगभग 35 से ज्यादा फिल्मो में काम किया उनकी आखरी फिल्म गहराई (1980 ) थी ये एक हॉरर फिल्म थी और अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे के न्यूड सीन के कारण चर्चा में रही थी 1992 में कमलाबाई को फिल्म 'डिवीजन ऑफ़ इंडिया' के एक वृत्तचित्र में देखा गया था जो उनके जीवन पर आधारित था कमलाबाई गोखले जी की मृत्यु पुणे ,महाराष्ट्र में 17 मई 1997 को 98 वर्ष की आयु में हुई
उनके जीवन पर वृत्तचित्र बनाने वाली 'रीना मोहन' एक बार उन्हें देख कर दंग रह है जब वो आवर्धक ग्लास ( magnifying glass ) के सहारे न्यूज़ पेपर पढने की कोशिश कर रही थी 1991 में उन्होंने रीना मोहन द्वारा बनाये वृत्तचित्र में कहा था ''मेरी एक आंख में अंधेरा है मैं देख नहीं सकती ,एक पैर में दिक्कत है इसलिए चल नहीं सकती लेकिन मेरा विश्वास अब भी मजबूत है। '' ........जी हाँ ये कमला बाई गोखले और उनकी माँ दुर्गाबाई कामत का विश्वास ही था जो उन्होंने उन्नसवीं शताब्दी के आरम्भ में ही जबरदस्त सामाजिक विरोध के बाद भी भारतीय महिलाओं के लिए फिल्मो में काम करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया
No comments:
Post a Comment