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मीना कुमारी और कमाल अमरोही |
यूं तो मीना कुमारी की जिदंगी में खुशियां कम और गम ज्यादा रहे लेकिन फिर भी उनकी लव स्टोरी काफी दिलचस्प है उन्होंने अपने से दोगुनी उम्र के डायरेक्टरकमाल अमरोही से शादी की थी जो पहले से शादीशुदा थे इतना ही नहीं ये शादी उन्होंने अपने घरवालों को बताए बिना चोरी छुपे की थी एक बार की बात है मीना कुमारी के पिता अली बख्श ने उन्हें बताया कि कमाल
अमरोही उन्हें अपनी फिल्म में लेना चाहते हैं तो मीना को उनका अक्खड़पन याद
आ गया और उन्होंने फिल्म में काम करने से मना कर दिया। दरअसल 1949 में आई
हिट फिल्म 'महल' के डायरेक्टर अमरोही थे इसी बीच एक बार जब मीना और अमरोही
का आमना -सामना हुआ तो और मीना ने उन्हें सलाम किया तो अमरोही जवाब दिए
बिना ही आगे निकल गए। मीना को यही वाकया याद आ गया और उन्होंने अमरोही की
फिल्म में काम करने से मना कर दिया हालांकि, बाद में अमरोही ने उन्हें
फिल्म
'अनारकली' (1951) में काम करने के लिए मना लिया था इसी फिल्म
की शूटिंग से लौट रही मीना कुमारी का भयानक एक्सीडेंट हो गया था इस
एक्सीडेंट की वजह से उन्हें तकरीबन 3-4 महीने अस्पताल में गुजारने पड़े थे
हालांकि, ये फिल्म 'अनारकली' कभी बनी नहीं लेकिन दोनों में मोहब्बत जरूर हो
गई जब अमरोही उन्हें देखने अस्पताल बार-बार गए तो दोनों की मोहब्बत परवान
चढ़ी मीना ही नहीं अमरोही भी उन्हें बेइंतहा मोहब्बत करने लगे थे एक दिन
अमरोही के दोस्त ने पूछा ....
"अगर इतनी मोहब्बत है तो निकाह क्यों नहीं कर लेते?".... कमाल ने कहा.....
" क्या मीना तैयार होगी ?"......
इसी बात का जवाब बता करने के लिए कमाल के दोस्त मीना कुमारी के पास पहुंच
गए मीना ने कमाल से प्यार की बात तो मानी, लेकिन शादी से इनकार कर दिया
वे बोलीं थी अब्बा नहीं मानेंगे क्योंकि कमाल अमरोही पहले से शादीशुदा थे
दोस्त ने यह कह कर किसी तरह राजी किया कि अभी निकाह कर लें, बाद में अब्बा
को बता दें दोनों के निकाह की कहानी भी दिलचस्प है 4-6 लोगों की मौजूदगी
में दो घंटे के अंदर दोनों का निकाह हुआ था एक क्लिनिक में मीना की
फिजियोथेरेपी चल रही थी पिता अली बख्श रोज रात को आठ बजे मीना और उनकी बहन
मधु को क्लिनिक पर छोड़ जाते थे और दस बजे लेने आते थे 14 फरवरी (1952) को
इसी दो घंटे के दौरान निकाह की प्लानिंग की गई थी कमाल के दोस्त, काजी और
काजी के दो बेटों के साथ तैयार थे मीना के पिता अली बख्श के जाते ही सब
क्लिनिक पहुंच गए काजी अताउद्दीन ने फटाफट निकाह पढ़वाया आपकी जानकारी के
लिए बता दे ये काजी साहेब महमूद ,दलीप कुमार,जानी वॉकर और अभिनेता फारुख
शेख का निकाह भी पढ़वा चुके है ....निकाह होने के बाद सब वहां से चले गए और
तय समय पर अली बख्श बेटियों को लेने क्लिनिक पहुंच गए पिता का गुस्सा देख
मीना को अपने निकाह की बात बतानी पड़ी पिता नाराज हुए और तलाक लेने को कहा
उन्होंने दोनों के मिलने पर पाबंदी लगा दी शूटिंग पर मीना के साथ खुद
जाने लगे और हर तरह से यह सुनिश्चित किया कि दोनों करीब नहीं आ सकें वहीं,
कमाल की पत्नी को भी निकाह की बात पता चल गई और वे अपने बच्चों को लेकर घर
छोड़कर चली गई
शायद ज्यादा लोगो को पता नहीं की इस फिल्म 'अमर (1954) में मधुबाला का 'अंजू 'वाला रोल पहले मीना कुमारी करने वाली थी लेकिन दुर्भाग्यवश ये रोल वो नहीं कर सकी एक दिन मीना कुमारी ने पिता से कहा भी कि कमाल फिल्म 'दायरा ' (1952) बना रहे हैं और इसके लिए उन्हें उनकी जरूरत है हीरो दलीप कुमार के भाई नसीर खान थे और हीरोइन मीना कुमारी को लेना तय हुआ... अली बख्श भड़क गए ...लिहाज़ा उन्होंने मीना से ये फिल्म छोड़ देने को कहा और उनकी सारी शूटिंग डेट महबूब खान की 'अमर 'के लिए दे दी इसे कमाल अमरोही ने अपनी तौहीन समझा और अपनी बेगम मीना से महबूब खान की 'अमर 'छोड़ कर उनकी फिल्म' दायरा 'करने के लिए दबाव डाला इधर महबूब खान ने भी दिलीप ,मीना ,निम्मी को लेकर फ़िल्म "अमर " की शूटिंग शुरू कर दी हालाँकि मीना कुमारी ने कमाल अमरोही और महबूब खान दोनों की फिल्मो में तालमेल बिठाने की कोशिश भी की अभी शूटिंग के कुछ दिन ही बीते थे की मीना कुमारी जी सेट पर देर से पहुंचने लगी महबूब खान ने कुछ दिन तो अनदेखा किया लेकिन उसके बाद मामला गंभीर होता चला गया दिलीप कुमार साब उन दिनो बहुत बिजी स्टार थे सेट पर सारी तैयारियाँ हो चुकी होती थीं और सब बैठकर मीना जी का इंतज़ार करते रहते थे ये सिलसिला कई दिनो तक चला मीना जी से बात की तो उन्होने समय से आने का आश्वासन दिया मगर दूसरे दिन से फ़िर वही देरी से आना हुआ महबूब खान ने गुस्से मे कारण पूछा तो जो कारण मीना जी ने बताया उससे महबूब खान संतुष्ट नहीं हुए बहस शुरू हो गयी और आखिरकार महबूब साहेब ने गुस्से मे शूटिंग का पेक अप कर दिया मीना जी सेट छोड़कर चली गईं उस दिन शूटिंग नही हुयी अक्सर शूटिंग में लेट होने पर उनकी महबूब खान के साथ असहमति पैदा हो गई विवाद बढ़ गया... ..महबूब खान ने मीना कुमारी के वालिद अलीबक्श को कहाँ की ...:"आप फाइनली डिसाइड करे की मीना मेरी फिल्म करेगी या कमाल अमरोही की "... ? इस किस्से को विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर जाये ....
https://pawanmehra73.blogspot.in/2018/01/blog-post.html

वालिद अलीबक्श ने अपनी बेटी को चेतावनी दी कि अगर वह कमाल अमरोही की शूटिंग के लिए गई तो उसके घर के दरवाजे उसके लिए हमेशा के लिए बंद हो जायेगे लेकिन अगले दिन मीना अपने पति कमल अमरोही की फिल्म की शूटिंग के लिए बॉम्बे टॉकीज के लिए रवाना हो गई एक तरफ बाप और एक तरफ पति की जिद में पिसती मीना कुमारी ने मजबूर बॉम्बे टॉकीज में अपने पति की फिल्म की शूटिंग की जब मीना कुमारी फिल्म 'दायरा ' की शूटिंग से वापस आईं तब उसके पिता ने दरवाजा खोलने से इनकार कर दिया मीना कुमारी ने अपनी कार का रास्ता बदल दिया और अपने वालिद से रिश्ता भी कमाल अमरोही उस समय बम्बई के सायन में रहते थे अगले दिन सवेरे सवेरे मीना जी के पास महबूब खान एक पैगाम पहुंचाया गया की "अमर " फ़िल्म मे अब वो नही हैं और दो दिन के बाद मीना जी की जगेह मधुबाला जी को ले लिया गया कमाल अमरोही की फिल्म 'दायरा 'मुकमल बनी और रिलीज़ भी हुई लेकिन सफल नहीं हो सकी अपने पति के घर पहुंचने के बाद भी मीना की जिदंगी में सुकून नहीं था जहां
मैरिड लाइफ बिगड़ने लगी थी,वहीं उनका करियर ऊपर उठने लगा था 1960 के दौरान
वे बड़ी स्टार बन गई थी इसी स्टारडम ने उनकी निजी जिदंगी में कड़वाहट भर
दी थी एक बार सोहराब मोदी ने अपनी फिल्म के प्रीमियर में मीना कुमारी और
कमाल अमरोही को बुलाया वहां चीफ गेस्ट महाराष्ट्र के राज्यपाल थे उनसे
परिचय कराते हुए सोहराब मोदी ने कहा .....
." ये मीना कुमारी हैं बेहतरीन अदाकारा और ये इनके पति हैं कमाल अमरोही " इस पर कमाल तमतमा गए उन्होंने तपाक से जवाब दिया
"मैं कमाल अमरोही हूं और ये मेरी पत्नी मीना कुमारी हैं " यह कह कर वह फंक्शन से निकल गए
मीना कुमारी की सफलता कमाल अमरोही को खटक रही थी दोनों के बीच कड़वाहट इस
कदर बढ़ गई कि अमरोही ने मीना कुमारी को फिल्में छोड़ने के लिए कहा। लेकिन
मीना ने इनकार कर दिया अमरोही ने मीना पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी थी
मीना ने भी इसका विरोध नहीं किया, लेकिन दोनों के संबंध फिर भी नहीं सुधरे
इसी बीच कमाल ने फिल्म
'पाकीजा' (1972 ) बनाने की सोची, लेकिन वे भी
आर्थिक तंगी से गुजर रहे थे मीना ने अपनी सारी कमाई देकर पति की मदद की
फिल्म बनने के दौरान दोनों के संबंध लगातार खराब होते गए नौबत तलाक तक
पहुंच गई थी। मीना की तबीयत भी खराब रहने लगी थी उनका इलाज कर रहे एक
डॉक्टर ने सलाह दी कि नींद लाने के लिए एक पेग ब्रांडी पिया करें डॉक्टर
की यह सलाह भारी पड़ी ये पेग बढ़ते गए और उन्हें शराब की लत लग गई इस बीच
'पाकीजा' का निर्माण भी रूक गया। लंबे अर्से बाद सुनील दत्त और नर्गिस ने
इसकी शूटिंग शुरू करवाई 14 साल बाद 4 फरवरी, 1972 को 'पाकीजा' स्क्रीन पर
आई और 31 मार्च, 1972 को मीना दुनिया को अलविदा कह गई
मीना
जी की आदत थी रोज़ हर वक्त जब भी खाली होती डायरी लिखने की वह छोटी छोटी
सी पाकेट डायरी अपने पर्स में रखती थी ,गुलजार जी ने एक बार पूछा उनसे कि
......."यह हर वक्त क्या लिखती रहती हो," तो उन्होंने जवाब दिया कि ........"मैं
कोई अपनी आत्मकथा तो लिख नही रही हूँ बस कह देती हूँ बाद में सोच के लिखा
तो उस में बनावट आ जायेगी जो जैसा महसूस किया है उसको उसी वक्त लिखना अधिक
अच्छा लगता है मुझे" ......... ...और वही डायरियाँ नज़मे ,गजले वह
विरासत में अपनी वसीयत में गुलजार जी को दे गई गुलजार जी ने मीना जी की
भावनाओं की पूरी इज्जत की उन्होंने उनकी नज्म ,गजल ,कविता और शेर को एक
किताब का रूप दिया |.....मीना जी का विश्वास गुलजार पर सही था
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1 अगस्त 1933 - 31 मार्च 1972 |
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