Wednesday, February 7, 2018

महान फ़िल्मकार "के.आसिफ" की वो मनहूस फिल्मे जो उनके जीते जी कभी पूरी न हो सकी...

के.आसिफ

हिंदी सिनेमा में मशहूर फिल्मकार के.आसिफ को एक ऐसी शख्सियत के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने तीन दशक लंबे सिने कैरियर में अपनी बेहद कम फिल्मों के जरिये दर्शको के दिल पर अमिट छाप छोड़ी..... के.आसिफ का मूल नाम कमरुद्दीन आसिफ था उन्होंने उत्तर प्रदेश के इटावा में एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम परिवार में पैदा हो कर सपनो की नगरी बम्बई तक का शानदार सफर तय किया के.आसिफ ने अपने सिने कैरियर में महज तीन-चार फिल्मों का निर्माण या निर्देशन किया लेकिन जो भी काम किया पूरी तबीयत और जुनून के साथ किया यही वजह है कि फिल्में बनाने की उनकी रफ्तार बेहद धीमी रहती थी और उन्हें इसके लिए आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ता था जब लोग उनसे इस बारे में पूछते तो के.आसिफ बस यही कहते। ......." सब हो जायेगा '.... यही कारण है की उनको महत्कांक्षी फिल्म "मुग़ल ए आज़म " (1960) पूरे दस सालो में पूरी हुई इस दौरान फिल्म के दिग्गज कलाकारों की मौत भी हुई उन्हें बदला भी गया .......के.आसिफ की सनक के कारण फिल्म के वितरक और फाइनेंसर भी पीछे हट गए ...... ब्लैक एन्ड वाइट से रंगीन फिल्मो का ज़माना आ गया लेकिन फिर भी के.आसिफ का जूनून ही कहेगे की मुग़ल ए आज़म पूरी हुई.... रिलीज़ हुई ...और अपना नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज भी करवा गई 

"मुग़ल ए आज़म " (1960)
1964 में मुग़ले आज़म सुपर हिट हो कर देश ही नहीं दुनिया में के आसिफ का परचम लहरा रही थी उनको जिम्मेदारी भी बढ़ गई थी और दर्शक उनसे मुग़ले आज़म से बेहतर फिल्म की अपेक्षा कर रहे थे लेकिन इतिहास अपने आप को दोहरा न सका मुगले आजम की सफलता के बाद के.आसिफ ने राजेन्द्र कुमार और सायरा बानो को लेकर ".सस्ता खून मंहगा पानी " का निर्माण कार्य शुरू कर दिया के.आसिफ पूरे जूनून और लगन से 'सस्ता खून मंहगा पानी' के निर्माण में जुट गए राजस्थान के खूबसूरत नगर जोधपुर में हो रही इस फिल्म की शूटिंग के दौरान बम्बई से आया एक दुबला पतला लड़का नए कलाकारों के साथ के.आसिफ से मिलने के लिए अपनी बारी आने का इंतजार करता रहता था और रोज़ निराश हो कर वापिस चला जाता इसी तरह लगभग दस दिन बीत गए और उसे मुलाकात करने का अवसर नहीं मिला वो लड़का किसी तरह आसिफ साहेब से मिलकर फिल्म में काम पाना चाहता था ...... आखिरकार एक दिन मौका देख वो लड़का आसिफ साहेब से मिलने में कामयाब हो गया वो लड़का आसिफ को अपने सामने देख कर चकित रह गया उसने सुना था की आसिफ से जो भी शख्श एक बार मिल लेता है उसका मुरीद हो जाता है आसिफ ने उस लड़के से पूछा ......"आप फिल्मो में काम करना चाहते है " ?  उस लड़के ने डरते  हुए कहा कहा ...'जी हाँ ' अपने काम में बेहद मसरूफ के.आसिफ ने उस लड़के को एक नज़र देखा और कहा ......"ये फिल्मे फिल्मे तुम्हारे बस की बात नहीं बम्बई लौट जाओ और अपनी पढाई पर ध्यान दो " यह सुनकर उस लडक़े की आंखों में आंसू आ गए और वो लड़का बम्बई वापिस लौट गया लेकिन उसने के.आसिफ की इस बात को जीवन भर याद रखा ...... क्या आप जानते है वो लड़का कौन था ? .......वो लड़का था हरिभाई जरीवाला जो बाद में हिंदी सिनेमा का हरफनमौला अभिनेता " संजीव कुमार " बना और आगे जाकर उसने के.आसिफ की फिल्म में काम भी किया

" सस्ता खून मंहगा पानी  "
"सस्ता खून मंहगा पानी " के कुछ हैंडमेड पोस्टर फ़िल्मी पत्र पत्रिकाओं में छप भी गए कुछ अंश शूट भी किये गए लेकिन अब "मुग़ल ए आज़म "वाला जमाना नहीं था कलाकारों में अब दलीप कुमार और पृथ्वी राज कपूर जैसा अनुशासन नहीं रहा फिल्म बनाना अब कला नहीं व्यवसाय था फाइनेंसर के.आसिफ जैसे शिल्पकार से अपने मन मुताबित काम करवाना चाहते थे जो उन्हें कतई मंजूर नहीं था आखिरकार कुछ दिन बाद के.आसिफ ने नए कलाकारों के नखरे और फाइनेंसर के अनावशयक हस्तक्षेप से तंग आ कर 'सस्ता खून और मंहगा पानी' बंद फिल्म बंद करने की घोषणा कर दी और गुरूदत्त और निम्मी को लेकर लैला मजनूं की कहानी पर आधारित "मोहब्बत और खुदा " का निर्माण कार्य आरंभ कर दिया लेकिन दुर्भाग्य से 10 अक्टूबर 1664 को गुरुदत्त की असमय आत्महत्या के बाद "मोहब्बत और खुदा " पर भी संकट के बादल छा गए गुरूदत्त की मौत के बाद के.आसिफ अपनी फिल्म के लिए एक ऐसे अभिनेता की तलाश में थे जिसकी आंखे रूपहले पर्दे पर बोलती हो जो पर्दे पर अपनी अदाकारी से अपनी छाप छोड़ जाए और उन्हें वो अभिनेता संजीव कुमार के रूप में मिला यह अभिनेता वही लडक़ा था जिसे के.आसिफ ने अपनी फिल्म 'सस्ता खून मंहगा पानी' की शूटिंग के दौरान बम्बई लौट जाने को कहा था ........... "मोहब्बत और खुदा " फिल्म की शूटिंग धीमी रफ़्तार से चलती रही लेकिन के.आसिफ का "मोहब्बत और खुदा "बनाने का सपना भी पूरा नहीं हो सका........क्योंकि खुदा को कुछ और ही मंजूर था

"मोहब्बत और खुदा " के सेट पर के.आसिफ
"लव एन्ड गॉड "- ( 1986 )
9 मार्च 1971 को दिल का दौरा पडऩे से निर्माता निर्देशक के.आसिफ इस दुनिया को अलविदा कह गये उनकी असमय मौत के बाद उनकी महात्वाकांक्षी फिल्म "मोहब्बत और खुदा का निर्माण भी बंद हो गया आधी अधूरी फिल्म फिल्म डिब्बे में बंद हो गई एक अरसे बाद आसिफ साहेब की बेगम अख्तर ने उनकी फिल्म को पूरा करने का बीड़ा उठाया उनकी मदद के लिए हाथ भी बढ़े निर्माता के.सी बोकाडिया के सहयोग से लगभग 22 साल बाद "मोहब्बत और खुदा को अंग्रेज़ी नाम "लव एन्ड गॉड " के नाम से 27 मई 1986 को रिलीज़ किया गया ये के.आसिफ की पहली फिल्म थी जो पूरी तरह रंगीन थी फिल्म में अच्छा खासा पैसा लगा था......लेकिन अब समय 1964 वाला नहीं था लिहाज़ा संगीतकार नौशाद, गीतकार कुमार बाराबंकी और फिल्म के संवाद लिखने वाले वजाहत मिर्जा मुग़ले आज़म का इतिहास दोहरा न सके ......लव एन्ड गॉड बुरी तरह फ्लॉप हो गई और सबसे बड़ी विडंबना ये रही की फिल्म के नायक संजीव कुमार भी इस को देखने के लिए अब इस दुनिया में नहीं थे 6 नम्बर 1985 को वो भी दुनिया छोड़ कर जा चुके थे  'लव एन्ड गॉड 'को संजीव कुमार के निधन के बाद पूरा किया गया था संजीव कुमार के  फुटेज लंबे शॉट्स के साथ उपयोग किए गए थे। और यहां तक कि कुछ दृश्यों में उनके बॉडी डबल का इस्तेमाल किया गया था। सुदेश भोसले ने अपने मिमिक्री टेलेंट का उपयोग करते हुए संजीव कुमार के लिए संवाद डब किये जब आप इस फिल्म को देखते हैं तो आप आसानी से वास्तविक संजीव और उनके बॉडी डबल के बीच अंतर कर सकते हैं  "लव एन्ड गॉड " फ्लॉप हो गई इस प्रकार "मुग़ल ए आज़म " जैसी कालजयी फिल्म देने वाले वाले के.आसिफ की लव एन्ड गॉड पर मनहूस होने का ठप्पा लग गया इतिहास में इस फिल्म के साथ सिर्फ ये दर्दनाक याद ही जुडी हुई है की हमारे देश के दो बेहतरीन अभिनेताओं गुरु दत्त और संजीव कुमार के साथ साथ खुद इसे बनाने वाले निर्माता निर्देशक के.आसिफ को भी "लव एन्ड गॉड "लील गई


 गुरुदत्त फिल्म "मोहब्बत और खुदा " में

No comments:

Post a Comment