Thursday, November 23, 2017

इंद्रसभा (1932 ) ....सबसे ज्यादा गानों वाली पहली भारतीय संगीतमय फिल्म

इंद्रसभा (1932 )
हमारे देश में गीतों के बिना फिल्में अधूरी मानी जाती हैं हिंदी सिनेमा की कई फिल्मों ने अपने गीत-संगीत के दम पर ही कामयाबी हासिल की है कोई यह कल्पना भी नहीं कर सकता है कि 1 जनवरी 1932 में आयी श्याम श्वेत फिल्म ‘इंद्रसभा’ में 71 गाने थे भारत में सबसे ज्यादा गीतों वाली फिल्म इंद्रसभा टॉकी सिनेमा के शुरूआत में ही बनाई गई पहली भारतीय ध्वनिपूर्ण फ़िल्म 'आलम आरा' (1931) के कुछ ही समय बाद बनी फिल्म 'इंद्रसभा' में जितने गाने डाले गए थे, वह आज तक का एक कीर्तिमान है ये सारे गाने मोनो साउंड में थे जो विश्व-इतिहास में किसी भी बनी हुई फ़िल्म में सर्वाधिक हैं मास्टर निसार और कज्जन के अभिनय वाली इस फिल्म के निर्देशक जे.जे.मदान थे जे.जे.मदान साहेब को भारत में कई आधुनिक टाकीज़ बनाने और लाने का श्रेय जाता है इन्द्रसभा के संगीतकार वजीर खान और नागरदास नायक थे वजीर खान ने गानो की धुनें बनाई थी और नागरदास नायक ने उन्हें हारमोनियम के सहारे रिकॉर्ड किया था इस फिल्म गीतों में इस्लामी रवायत और रासलीला शैली ,ब्रिज की जानना भाषा और गजलों का गज़ब का मिश्रण था


इन्द्रसभा एक उर्दू नाटक और ओपेरा है जिसे लखनऊ के अवध दरबार से सम्बन्ध रखने वाले लेखक व कवि सैय्यद आग़ा हसन अमानत ने लिखा और जिसे मंच पर सबसे पहले सन् 1853 में प्रस्तुत किया गया यह उर्दू की सबसे पहली रचाई जाने वाली नाटकीय कृति मानी जाती है 1863 में इसे फ़्रीडरिख़ रोज़न (Friedrich Rosen) ने यूरोपीय पाठकों के लिए जर्मन भाषा में अनुवादित किया जिसे उस समय के समीक्षकों द्वारा भरपूर सराहा गया था 1932 में मदान थियेटर ने इसी ओपेरा पर आधारित फ़िल्म 'इन्द्रसभा' बनाई थी चूँकि मूल नाटक का नाम लोक-बोली के अनुसार 'इंदर सभा' था, अंत इस पर आधारित फ़िल्म का नाम संस्कृत-प्रथानुसार 'इन्द्र सभा' रखा गया पूरा नाटक काव्य-रूप में लिखा हुआ है इस नाटक में "31 ग़ज़लें, 9 ठुमरियाँ, 4 होलियाँ, 15 गीत, 2 चौबोले और 5 छंद सम्मिलित थे रोचक बनाने के लिए नाटक में पटाख़ों और नक़ाबों जैसी नाटकीय तकनीकों का प्रयोग किया गया यह ओपेरा दिव्यलोक में महराज इन्द्र के राजदरबार को पृष्ठभूमि बनाकर लिखा गया है और इसकी मुख्य कहानी एक परी (अप्सरा) और एक राजकुमार के बीच की प्रेमकथा है वैसे तो हसन अमानत ने यह नाटक अवध के राजदरबार में खेलने के लिए ही लिखा था लेकिन इसके गीत जल्द ही अवध की लोक-संस्कृति में प्रवेश कर गए और आने वाली कम-से-कम दो पीढ़ियों तक अवध के गीतकार और कलाकार इंदर सभा के गाने गाते रहे 'इन्द्रसभा'में पारसी थियेटर और यूरोपियन ओपेरा शैली का अदभुत समन्वय देखने को मिलता है

इन्द्रसभा' फ़िल्म जमशेदजी फ़्राम जे.जे मदन की मदान थियेटर' नामक कम्पनी ने बनाई थी यह 211 मिनट लम्बी थी निसार ,जहाँआरा, कज्जन और अब्दुक रेहमान "काबुली " इस संगीतमय फिल्म के मुख्य कलाकार थे ..." चमन को यूँ मेरे साकी ने मयखाना बना डाला कली को शीशा ऐ मय गुल को पैमाना बना डाला " जहाँआरा कज्जन का गाया ये गीत उस समय काफी मशहूर हुआ था कई फिल्म समीक्षक इसे हिंदी सिनेमा का पहला सुपरहिट गाना भी मानते है... "कटी रात मजे में सारी ", "कब से खड़ी हूँ तेरे द्वार", इन गानो में मानो कज्जन की अदाए साकार हो उठी....... कहा जाता है की कज्जन जहाँआरा की इन्ही अदाओं में फँस कर मशहूर सेठ करनानी ने उस ज़माने में 24 लाख में एक थियेटर ही खरीद लिया था कज्जन जहाँआरा के बारे में कहा जाता था की उसने अपनी साड़ी बनाने वालो को सख्त हिदायत दे रखी थी वो उनके लिए वो ही साड़ी बनाये जो हिंदुस्तान में कोई और ना पहनता हो कलकत्ते की सड़को पर कज्जन जहाँआरा बेगम जब शान से अपनी बग्घी में निकलती थी तो लोग उसकी एक झलक पाने को बेताब हो जाते थे अँगरेज़ वाइसराय से लेकर कई धन्ना सेठ और फिल्म निर्माता कीमती उपहार लेकर उनसे मिलने के लिए लाइन में खड़े रहते थे और हज़ारो दिलफेंक शोहदे उसकी खूबसूरती के दीवाने थे

अब आप 1932 में आई इस फिल्म इंद्रसभा के लिए क्या कहेंगे जब 211 मिनिट की इस फिल्म में 71 गाने ही थे तो आप सोच सकते है सवांद के लिए फिल्म में कितनी जगह बची होगी यानि हर दो मिनिट से भी कम समय में एक गाना ... ? इतने गाने आज तक किसी दूसरी फिल्म में नहीं आये आज जबकि फिल्मों में गानों की संख्या और स्तर दोनों ही घट रहा है, फिल्मे अब बिना गानो के रिलीज़ होती है गानो को सिर्फ अब फिल्म को प्रमोट करने के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है तो ऐसी संगीत प्रधान फिल्म के बारे में अब शायद सोचा भी ना जाये एक सुनहरा इतिहास रचने वाली फिल्म इन्द्र सभा' का नाम आज अतीत की गर्त में खो चुका है 'इन्द्र सभा' भारतीय हिंदी सिनेमा की अनमोल धरोहर है लेकिन अब इसका मूल प्रिंट अब उपलब्ध नहीं है बड़े दुःख की बात है की हम उसे आने वाली पीढ़ियों के लिए सहेज कर नहीं रख सके .....

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