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संजीव कुमार जी ने जब 1960 में फिल्मालय बैनर की फिल्म 'हम हिन्दुस्तानी'(1960)
के जरिये एक छोटी सी भूमिका से सुनहरे परदे पर दस्तक दी तब उस समय देवानंद,
राजकूपर, राजेंद्र कुमार जैसी कलाकारों के साथ दिलीप कुमार साहेब भी उस
दौर में छाए हुए थे बावजूद इसके संजीदा अभिनय करने वाले संजीव कुमार ने न
सिर्फ खुद को स्थापित किया बल्कि
फिल्मकारों को यह संदेश भी दिया कि कुछ भूमिकाएं सिर्फ वहीं कर सकते हैं
अभिनय मे एकरूपता से बचने और स्वंय को चरित्र अभिनेता के रूप में भी
स्थापित करने के लिए संजीव कुमार ने अपने को विभिन्न भूमिकाओं में पेश
किया.... हरिभाई ने अपनी उम्र से कहीं ज़्यादा बड़ी उम्र के किरदार निभाए
और अपने अभिनय का लोहा मनवाया है दो बार नेशनल अवॉर्ड जीतने वाले संजीव
कुमार ने कभी भी चॉकलेट ब्वॉय की इमेज में खुद को बांधे नहीं रखा, वो
'डायरेक्टर्स डिलाइट' थे और शायद इसलिए जब किसी मुश्किल और उम्रदराज़ रोल
की बात होती थी तो सबसे पहले निर्माता निर्देशक उन्हें अप्रोच करते
थे.....संजीव जब मुंबई में थिएटर कर रहे थे तभी उन्होंने 22 साल की उम्र
में एक 60 साल के आदमी का किरदार निभाया था गुलज़ार ने उन्हें थिएटर के
दिनों में एक्टिंग करते देखा था और इसलिए उन्होंने कोशिश,(1973) आंधी और मौसम
(1975) जैसी फिल्मों में संजीव को उनकी उम्र से ज़्यादा दिखने वाले किरदार दिए
हिंदी सिनेमा के लेजेंडरी अभिनेता संजीव कुमार जी आज हमारे बीच नहीं है
लेकिन 'हरिभाई' के चाहने वाले आज भी उन्हें 'फाईनेस्ट एक्टर' के तौर पर
जानते हैं.अगर उनकी असल ज़िन्दगी की बात करे तो शायद वहां आप को एकदम विपरीत
परिस्थिया नजर आती है चाहे मामला मोहब्बत का हो या घर खरीदने का उनको
नाकामी ही मिली ....संजीव कुमार जी मुंबई में अपना एक बंगला खरीदना चाहते
थे जब उन्हें कोई बंगला पसंद आता और उसके लिए पैसे जुटाते तब तक उसके भाव
बढ़ जाते. वो फिर से पैसो का इंतजाम करते यह सिलसिला कई सालों तक
चला......आखिर जब पैसा जमा हुआ, घर पसंद भी आया तो पता चला की वह प्रॉपर्टी
कानूनी पचड़े में फंसी है संजीव जी ने सोचा की मामला अदालत में
है जब निपट जायेगा तो वो इस बंगले को खरीद लेंगे लेकिन नियति का लिखा कौन
टाल सकता था उससे पहले वह चल बसे पर अपने फैन्स के दिल से आज तक न
निकल पाए संजीव कुमार फिल्मी दुनिया के श्रेष्ठ हरफनमौला किरदारों में से
एक थे पर उनके साथ समस्या यह रही कि हर दौर में कोई न कोई बड़ा सितारा उनके
हिस्से की पब्लिसिटी लूटता रहा उनको अपने अभिनय का श्रेय उतना नहीं मिला
जितने के वो हक़दार थे
संजीव जी के परिवार का एक अभिशिप्त इतिहास
था की लोग 50 साल की उम्र से पहले ही दम तोड़ देते थे संजीव कुमार जी भी
दिल की एक बीमारी से पीड़ित थे और ये बीमारी उनके घर में सभी को थी उनके
छोटे भाई का देहांत उनसे पहले हो गया था और उन्हें बहुत बड़ा धक्का लगा था
जिसकी वजह से उन्हें भी ज़्यादा ना जी पाने का डर बैठ गया वो हमेशा कहते थे
कि ...‘मेरे परिवार में कोई भी आदमी पचास साल पूरे नहीं कर पाया, मैं भी
नहीं कर पाऊंगा।‘ ...पर्दे पर अक्सर गंभीर किरदार निभाने वाले संजीव कुमार असल
ज़िन्दगी में भी संजीदा थे जिन महिलाओं के साथ भी उनका अफ़ेयर रहा उन पर
संजीव बहुत शक़ किया करते थे उन्हें लगता था कि वे उन्हें नहीं उनके पैसों
को चाहती हैं इसी धारणा के चलते उनकी शादी नहीं हो पाई संजीव कुमार ने
विवाह नहीं किया कई नायिकाओं के साथ उनके किस्से जरूर सुनने को मिले पर
अंततः उन्होंने शादी नहीं की........ सुलक्षणा पंडित के साथ उनकी शादी की
बात लगभग पक्की हो गई थी, पर शादी नहीं हो सकी हेमा मालिनी के साथ भी
संजीव कुमार का नाम जुड़ा संजीव कुमार का जीवन बहुत लंबा नहीं रहा 6 नवम्बर
1985 में जब वह 47 साल के थे तब दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई
उनका खानदानी अभिशाप सत्य साबित हुआ वो भी अपने जीवन के पचास साल पूरे नहीं
कर पाए ....
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