हिंदी सिनेमा की वीनस मधुबाला |
मधुबाला के गुजरने के सालों बाद भी उनका सौंदर्य निर्विवाद रूप से अतुलनीय
माना गया है बीच के वर्षों में जब कोई भी अभिनेत्री अपने रंग-रूप से
दर्शकों पर छाई तब उसकी तुलना मधुबाला के सौंदर्य को मानकर तय की गई मधुबाला के हुस्न और अदाकारी विशेषकर उसकी होठों को दांत से दबाती हुई मुस्कान आज भी सिनेप्रेमियों को भूलती नहीं है देश के सिनेमा को दूसरी मधुबाला कभी नहीं मिल सकती इसलिए कभी किसी
अभिनेत्री का रंग-रूप उससे मिलाया गया, कभी आँखें, कभी मुस्कान और कभी
सुघड़ नाक.....मधुबाला के समकालीन कलाकारों, निर्देशकों ने हमेशा कहा है
एक अनस्पर्शित सुकोमल फूल जैसी मधुबाला के चाहने वालों में निरंतर वृद्धि
हुई है, जबकि समय बीतने के साथ फिल्म कलाकारों के प्रति क्रेज घटता है
मधुबाला इस संबंध में अपवाद कही जा सकती हैं मधुबाला के ऐसे ही एक
चाहने वाले थे मशहूर इतालवी-अमेरिकन निर्देशक "फ्रैंक कैपरा"
फ्रैंक कैपरा |
ये बात कोई 1953 के जुलाई माह की है .....चूँकि अब भारत की फिल्मे विदेशो
में धूम मचा रही थी राजकपूर (1951) की "आवारा " तो रशिया की अघोषित
राष्ट्रिय फिल्म बन चुकी थी अंतराष्ट्रीय फिल्म जगत में भारत अपने पैर
मजबूती से जमा रहा था इसी कारण अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फिल्म निर्माता
निर्देशकों को भारत की फिल्मो में अब दिलचस्पी थी और उनका भारत आना जाना
लगा रहता था इसी लिए फ्रैंक कैपरा बम्बई आये हुए थे फ्रैंक कैपरा
एक मशहूर इतालवी-अमेरिकन निर्देशक है, जिन्हे ' इट्स अ अण्डरफुल लाइफ
(1946) "और " मिस्टर स्मिथ गोस टू वाशिंगटन (1939 ) "जैसी फिल्मों के लिए
पूरी दुनिया में जाना जाता है फ्रैंक कैपरा ने बहुत सारे अवार्ड्स
जीते हैं ,और उनकी गिनती दुनिया के बेहतरीन डाइरेक्टर्स मे आज भी होती है मशहूर इतालवी-अमेरिकन निर्देशक फ्रैंक कैपरा जब बम्बई आये तो उनका ज़ोरदार
स्वागत किया गया खुद सदाबहार हीरो देवानन्द उनको एयरपोर्ट लेने गए और उनके
आग्रह पर फ्रैंक कैपरा कुछ दिन उनके घर भी रुके अब किस्सा
कुछ यूँ हुआ की देव साहेब के घर पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रिंट
मिडिया के बहुत से रिपोटर आये हुए थे फ्रैंक कैपरा उनके सवालो के जवाब दे रहे थे अचानक उनकी नजर एक पत्रकार के
हाथ में पकड़ी MOVIE TIME नाम की एक मैगज़ीन पर पड़ी जिसके कवर पेज पर
अभिनेत्री मधुबाला की एक दिलकश तस्वीर छपी हुई थी फ्रैंक कैपरा
ने जब मधु की फोटो को देखा तो देखते ही रह गये उन्होंने तुरंत देव साहेब से
पूछा ......"ये कौन है....? क्या ये इतनी ही खूबसूरत है जितनी इस तस्वीर
में दिख रही है .....? देवानंद से उन्हें मधुबाला के बारे में जब
विस्तार से बताया की ये भारत की एक मशहूर अभिनेत्री है तो फ्रैंक कैपरा मधुबाला से मिलने को बेक़रार हो उठे उन्होंने देव साहेब से आग्रह किया की वो उन्हें मधुबाला से मिलवा
दे देव साहेब ने इसकी जिम्मेदारी अपने एक पत्रकार मित्र को सौंपी
उन पत्रकार महोदय ने फ्रैंक के आग्रह पर मधुबाला से मीटिंग का इंतजाम किया
मधुबाला से फ्रैंक की मीटिंग बम्बई के होटल ताज में फिक्स की गई और मधुबाला
को फ्रैंक कैपरा के साथ लंच का औपचारिक निमंत्रण भेजना बाकी था
फ्रैंक कैपरा |
उस समय मधुबाला से मिलना उनके वालिद अताउल्लाह खान के बिना संभव नहीं था जब इस मीटिंग के लिये मधुबाला के वालिद अताउल्लाह खान को फोन
किया गया तो खान साहेब ने इस मीटिंग मे कोई दिलचस्पी ही नही दिखाई.बार बार
आग्रह करने पर उन्होंने पीछा छुड़ाने के लिए यहाँ तक कह दिया ......"मधुबाला
कांटे छुरी से खाना नही खा सकती ,इसलिये वो ताज होटल नही आ सकतीं कृपा
उन्हें परेशान न करे " .......उस पत्रकार ने अताउल्लाह खान को समझाने की
बहुत कोशिश की मगर वो अपने फ़ैसले पर अडे रहे नतीजा मधुबाला और
मशहूर इतालवी-अमेरिकन निर्देशक फ्रैंक कैपरा की ये मीटिंग नहीं हो सकी
फ्रैंक कैपरा इस बात से बेहद हताश और निराश हुए और लेकिन जब उन्हे मधु से
मिलने और उन्हे रुबरू देखने का कोई रास्ता नही नज़र आया तो उन्होंने बुझे
मन से अपने देश लौटने का फैसला किया लेकिन जाते जाते उन्होंने उस
पत्रकार से मार्मिक निवेदन किया की वो उन्हें उस मैगज़ीन की कॉपी दे दे
जिसके फ्रंट पेज उन्होंने मधुबाला की तस्वीर पहली बार पहली देखी थी उस पत्रकार ने उन्हें वो मैगज़ीन उपलब्ध करवा दी गई फ्रैंक
कैपरा अपने देश लौटते हुए वो मैगजिन का वो संस्करण अपने साथ ले गये जिस पर मधु की
तस्वीर छपी हुयी थी
देवानंद के साथ फ्रैंक कैपरा |
हालाँकि फ्रैंक कैपरा की मुलाकात मधुबाला से कभी नहीं हो सकी पर काफी सालो तक उन्होंने उस मैगज़ीन को संभाले रखा ...............तो ये था हिंदी फिल्मो की वीनस मधुबाला की खूबसूरती और दिल्कश हुस्न का जादू जो सरहदों की जद में भी कैद न हो सका ग्रीक भाषा में सौंदर्य की देवी को 'वीनस' कहा जाता है ..........3 सितम्बर 1991 को कैलिफोर्निया में 95 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से फ्रैंक कैपरा का देहांत हो गया जबकि मधुबाला उनसे पहले ये बेरहम दुनिया छोड़ का जा चुकी थी मृत्यु से पूर्व मधुबाला ने अपनी बहन से कहा था कि ..."जब उसे जरा काम की समझ आई तो ऊपर वाले ने कहा - बस ....तुम दुनिया छोड़ दो ".....वाकई खुदा ने मधुबाला को इतनी छोटी सी उम्र बक्श कर बेइन्ताह नाइंसाफ़ी की ......
पवन मेहरा
(सुहानी यादे ...बीते सुनहरे दौर की ...)
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