राजकपूर, देव आनंद और दिलीप कुमार के बीच बहुत गहरी मित्रता थी उनको हमारी हिंदी सिनेमा की "त्रिमूर्ति " भी कहा जाता था आपस में कड़ी परिस्पर्धा होते हुए भी तीनो महान कलाकार एक दूसरे से हर दुःख सुख साँझा करते थे जिसकी मिसाल आज कल देखने पर नहीं मिलती ये तीनों जब भी मिलते तो खूब बाते करते कुछ बातें उनकी फ़िल्मों की होती तो कुछ उनकी निज़ी ज़िन्दगी की इतना ही नहीं राजकपूर साहब आर.के स्टूडियो में अपना मेकअप रूम किसी और को इस्तेमाल नहीं करने देते थे लेकिन सिर्फ देव साहब को ही इज़ाज़त थी कि उस मेकअप रूम को इस्तेमाल कर लें राजकपूर के आर.के स्टूडियो में देव साहब की कई फ़िल्मों की शूटिंग हुआ करती थी लेकिन देव आनंद और राजकपूर दोनों ने एक साथ किसी भी फिल्म में काम नहीं किया
दलीप कुमार और सायरा बानो के विवाह की घोषणा से सिने-जगत में खुशी की लहर
दौड़ गई थी निकाह परंपरागत मुस्लिम रीति से हुआ।बरात की अगुवाई पापा
पृथ्वीराज कपूर ने की थी। दूल्हे मियाँ सेहरा बाँधकर घोड़ी पर चढ़े थे और
आजू-बाजू राज कपूर, देव आनंद चल रहे थे। इस विवाह का खूब प्रचार हुआ था और
बड़ी संख्या में लोग आए थे। संगीत और आतिशबाजी की धूमधाम के बीच जोरदार
दावत हुई थी। राजकपूर दलीप कुमार की शादी में घोड़ी की लगाम पकड़ कर झूम झूम
के नाचे थे
दिलीप कुमार की शादी के बाद जब सायरा बानो जी अपने कमरे में दिलीप
साहब का इंतज़ार कर रही थीं तब दिलीप साहब को राजकपूर और देव साहब
उन्हें उनके कमरे के बाहर तक छोड़ने गए थे दिलीप साहब की देवानंद और राज
कपूर दोनों से दोस्ती थी। लेकिन राज साहब के साथ उनके बड़े नज़दीकी
रिश्ते थे। दोनों ही पाकिस्तान के पेशावर शहर में एक ही मोहल्ले, एक ही
सड़क के रहने वाले थे। एक ज़माने में दिलीप कुमार भारत के सर्वश्रेष्ठ
फ़ुटबॉल खिलाड़ी बनने का सपना देखते थे.खालसा कॉलेज में उनके साथ पढ़ने
वाले राज कपूर जब पारसी लड़कियों के साथ फ़्लर्ट करते थे तो तांगे के एक
कोने में बैठे शर्मीले दिलीप कुमार उन्हें बस निहारा भर करते थे दोनों ने
एक साथ अभिनेता का सपना भी देखा ..... बिलकुल भाइयों जैसा रिश्ता था
उनका...और ये रिश्ता तब भी नहीं टूटा जब फिल्म 'संगम (1964 ) में राजकपूर कपूर दलीप कुमार को साइन करने गए और उन्होंने तल्खी के साथ उनकी फिल्म में काम करने से मना कर दिया


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