Tuesday, August 14, 2018

शम्मी कपूर .........बॉलीवुड का जंगली ' एल्विस प्रेस्ली ' जिसने हिंदी सिनेमा में गंभीर छवि वाले नायको की इमेज बदल कर रख दी ...

सिंगिंग-डांसिग स्टार  'शम्मी कपूर'

शम्मी के पिता पृथ्वीराज कपूर और मां रामशरणी इस बात से बहुत आहत थे कि राज कपूर के बाद हुए उनके दो भाई-बहन एक हफ्ते के अंदर ही चल बसे थे और उस समय शम्मी गर्भ में थे ऐसे में उन्हें डर सता रहा था वे अपने परिवार के अकेले बच्चे थे जिनकी डिलीवरी अस्पताल में हुई थी। उनके पैदा होने के बाद उन्हें राजकुमारों की तरह पाला गया। हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में शम्मी कपूर को हीरो की एक नई छवि गढ़ने का श्रेय दिया जाता है। उनसे पहले के हीरो संजीदा, रूमानी और गंभीर होते थे। शम्मी कपूर ने फिल्मों में आते ही इस छवि को चुलबुल और जिंदादिल शख्सियत में बदल दिया भारत के 'एल्विस प्रेसली' कहे जाने वाले शम्मी कपूर रुपहले पर्दे पर छा गए अपना कॉलेज छोड़कर बतौर जूनियर एक्टर शम्मी ने पिता पृथ्वीराज के साथ थिएटर करना शुरू कर दिया था थियेटर में काम करने की उन्हें 50 रुपये पगार मिलती थी उनकी मेहनत को लोगों ने सराहा और साल 1953 में उन्हें उनकी पहली फिल्म 'जीवन ज्योति' भी मिल गई, लेकिन शम्मी चल न सके वो राज कपूर के अभिनय की नकल करने वाले अभिनेता के तौर पर स्थापित होने लगे थे हालांकि कपूर नाम का फायदा उन्हें मिला और कई फिल्मों के फ्लॉप हो जाने के बावजूद भी इंडस्ट्री ने उन्हें कभी खारिज नहीं किया  तब उनके बड़े भाई राज कपूर के साथ ही देव आनंद और दिलीप कुमार छाए हुए थे। पारिवारिक पृष्ठभूमि होने के बावजूद शम्मी का फिल्म जगत में प्रवेश 'रेल का डिब्बा ' (1953 ) में मधुबाला, 'शमा परवाना' (1953) में सुरैया और' हम सब चोर हैं '(1956) में नलिनी जयवंत के साथ अभिनय करने के बावजूद शुरुआत में सफल नहीं रहा। उनकी शुरुआती फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रहीं। एक्ट्रेस नूतन उनकी चाइल्डहुड गर्लफ्रेंड थीं। दोनों ने फिल्म' लैला मजनू' (1953 ) में एक साथ काम किया था। शम्मी 6 और नूतन 3 साल की थी तब से ये दोनों दोस्त थें। ये फिल्म भी नहीं चली

शम्मी कपूर और  गीता बाली
शम्मी कपूर की जिंदगी में दो पत्नियां आईं। गीता बाली और नीला देवी...‘रंगीला रतन’ (1955 ) फिल्म निर्माण के दौरान। गीता बाली और शम्मी के नैन टकराए थे  शम्मी और गीता एक-दूसरे को पसंद करने लगे। दोनों साथ साथ इससे पहले एक फ्लॉप फिल्म मिस' कोका कोला '(1955 ) 'कर चुके थे  उस समय कपूर खानदान में एक अघोषित-सा नियम था कि फिल्म एक्ट्रेस से कोई शादी नहीं करेगा। इसलिए शम्मी और गीता बाली थोड़ा डरे हुए थे। उम्र में भी गीता, शम्मी से बड़ी थी और उस जमाने में इसे बेमेल जोड़ी माना जाता था। प्यार किया तो डरना क्या तर्ज पर शम्मी-गीता ने पहली मुलाकात के लगभग चार महीने बाद मुंबई के एक मंदिर में शादी कर ली और उसके बाद ही अपने परिवार को बताया। थोड़े दिन शम्मी और उनके घरवालों के बीच अनबन रही लेकिन बाद में सब कुछ सामान्य हो गया। ........शादी के बाद भी शम्मी की किस्मत नहीं चमकी और वह ऑन स्क्रीन पत्नी गीता बाली के साथ भी फ्लॉप हुए शम्मी की फिल्में जब एक के बाद एक फ्लॉप होने लगी तो वो निराश हो गए शम्मी को लगने लगा था कि शायद अभिनय उनके लिए नहीं है अभिनय की शुरुआत में ही वो एक ऐसा वक्त था जब शम्मी कपूर ने बॉलीवुड को अलविदा कहने का फैसला कर लिया था इसी निराशा में उन्होंने एक दिन गीता से कहा कि अगर उनकी अगली फिल्म फ्लॉप हुई तो वो फिल्मों से संन्यास लेकर असम के चाय बागान में मैनेजर की नौकरी संभाल लेंगे हालांकि तब गीता बाली ने उन्हें हौसला दिलाया और कहा कि '' वो इस फिल्म में अपना सबकुछ झोंक दें गीता बाली लगातार कहती रहीं कि शम्मी में स्टार बनने के सारे गुण हैं और इस फिल्म से उनकी किस्मत पक्का बदल जाएगी

तीसरी मंजिल - (1965 )

उन्होंने पचास के दशक में "डक-टेल " शैली में अपने बाल कटवाकर 'तुमसा नहीं देखा ' (1956) के साथ खुद को नए लुक में पेश किया। उसके बाद उन्हें सफलता मिलती गई देव आनंद के लिए 'पेइंग गेस्ट' और 'मुनीम जी' जैसी हिट फिल्में लिख चुके नासिर हुसैन के लिए बतौर निर्देशक ये पहली फिल्म थी ये बड़ा दांव था जो चल गया शम्मी ने तब एक इंटरव्यू में कहा था,"यंग ऑडियंस को मेरा काम पसंद आ रहा था और उनको मैं हीरो दिखने लगा था. वो फिल्म बहुत ज़रूरी थी, मेरे लिए और शायद हम सभी के लिए. मुझे पता था कि अब यहां से मुझे पीछे नहीं देखना है." इस फिल्म के बाद शम्मी कपूर की फिल्मों ने कमाल का बिज़नेस करना शुरू कर दिया और उनका एक ऑडियंस बेस बन गया.फिल्म राजकुमार ( 1964) की शूटिंग के दौरान हाथी ने उनका पैर तोड़ दिया था। दरअसल, वह हाथी के ऊपर बैठकर शूट कर रहे थे। ऐसे में अचानक ऐसा हादसा हुआ और उनको चोट पहुंची। उन्होंने लंगड़ा कर चलने का भी अपना एक वशिष्ट स्टाइल बना लिया जो पॉपुलर भी हुआ .....उजाला (1959 ) ,जंगली (1960 ) , प्रोफेसर (1962), दिल तेरा दीवाना (1961 ), ब्लफ मास्टर (1962 ) ,कश्मीर की कली  (1964 ), जानवर ,तीसरी मंजिल (1965 ) ,बद्तमीज़ (1966 ), अंदाज़ (1970 ), इन इवनिंग इन पेरिस , लाट साहेब (1967 ),  तुमसे अच्छा कौन है (1969) ,पगला कही का  (1970 ) ,जवान मोहब्बत (1971 )  शम्मी कपूर की वो फिल्मे थे जिसमे अच्छी कहानी के साथ साथ सुरीला संगीत भी था इनमे से ज्यादातर फिल्मो की शूटिंग कश्मीर की खूबसूरत वादियों में हुई थी ,लिहाज़ा बर्फीली वादियों में रफ़ी की आवाज़ में गाता और नायिका को अपनी झपकती आँखों से लुभाता शम्मी दर्शको के दिलो में बस गया शम्मी कपूर को पहाड़ी गाने और संगीत बेहद पसंद था सिर्फ इसलिए उन्होने नूतन के साथ  'लाट साहेब' फिल्म की थी जो अपने वशिष्ट कथानक के बावजूद उनकी कम चर्चित फिल्मो में से एक है जबकि 'ब्रह्मचारी ' (1968 ) ने उन्हें बेस्ट एक्टर का फिल्म फेयर अवार्ड  दिलवाया

 अमिता के साथ शम्मी कपूर 'तुमसा नहीं देखा ' (1956)


 शम्मी कपूर की दूसरी वाइफ नीला देवी
शम्मी अपनी पत्नी गीता बाली को बेहद चाहते थे। शादी के बाद बेटा आदित्य राज कपूर और बेटी कंचन का जन्म हुआ। 1965 में चेचक की वजह से गीता बाली की मृत्यु हो गई जिसका शम्मी को गहरा झटका लगा। उन्होंने अपने आप पर ध्यान देना छोड़ दिया। वजन बहुत बढ़ गया और इससे बतौर हीरो उनका करियर भी प्रभावित हुआ। शम्मी के बच्चे छोटे थे, इसलिए घर वालों ने दूसरी शादी का दबाव बनाया। शम्मी बमुश्किल राजी हुए। गीता की मृत्यु के चार वर्ष बाद 1969 में उन्होंने भावनगर की रॉयल फैमिली की नीला देवी से शादी की। शम्मी ने गीता के सामने शर्त रखी कि वे मां नहीं बनेंगी। उन्हें गीता के बच्चों को ही पालना होगा। नीला देवी मान गई। वे ताउम्र अपने बच्चों की मां नहीं बनी और गीता के बच्चों को ही अपना माना। शम्मी और नीला का यह त्याग उल्लेखनीय है। आदित्य राज कपूर ने भी फिल्म इंडस्ट्री में आने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। बेटी कंचन की शादी मनमोहन देसाई के बेटे केतन देसाई से हुई।



शम्मी कपूर को प्यार से 'बॉलीवुड का जंगली' और 'एल्विस प्रेस्ली 'के रूप में जाना जाता है शम्मी कपूर बड़े शौकीन मिजाज थे। भारत में जब इंटरनेट आने पर वह उसका इस्तेमाल करने वाले गिने-चुने कलाकारों में शामिल थे। शम्मी कपूर को भारत में इंटरनेट लाने के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने भारत में Ethical Hackers Association of India  की स्थापना में अहम् रोल निभाया शम्मी कपूर की लोकप्रियता का आलम ये है की अभी कुछ साल पहले ही बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान और उनकी पत्नी किरण राव ने ओशियन सिनेफैन नीलामी में फिल्मों से जुड़ी यादगार वस्तुओं के लिए दो लाख 38 हजार रुपये की बोली लगाई, जिसमें शम्मी कपूर की 88 हजार रुपये की जैकेट भी शामिल है। गुडगांव के किंगडम ऑफ ड्रीम्स ने किशोर कुमार की आवाज में रिकॉर्ड किए गए उनके आखिरी गीत के लिए 15.6 लाख रुपये की बोली लगाई। इस दौरान दर्शको का शम्मी कपूर को लेकर क्रेज़ देखने वाला था इस बोली में शामिल लोग शम्मी कपूर जैसे बाल रखकर और कपडे पहन कर पहुंचे थे

सायरा बानो के साथ शम्मी कपूर, जंगली- (1960 )

शम्मी कपूर ने अपनी फिल्मों में बगावती तेवर और रॉकस्टार वाली छवि से उस दौर के नायकों को कई बंधनों से आजाद कर दिया था। हिंदी सिनेमा को ये उनकी बड़ी देन थी। उनके जैसे किरदार दूसरा कोई नहीं निभा पाया। शम्मी कपूर ने अपने ही खानदान के बेटे रणवीर कपूर के साथ उन्होंने आखिरी बार फिल्म रॉकस्टार (2011 ) में स्क्रीन शेयर की थी ........ ....अपनी खास 'याहू शैली ' के कारण बेहद लोकप्रिय रहे शम्मी कपूर में 50 से ज्यादा फिल्मो में लीड रोल किये और लगभग 25 से ज्यादा फिल्मो में चरित्र अभिनेता के रूप में अपनी कला दिखाई  हिंदी फिल्मों के पहले सिंगिंग-डांसिग स्टार शम्मी कपूर को 7 अगस्त 2011 तबियत खराब होने पर मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया ..14 अगस्त, 2011 को अस्पताल में सुबह 5 बजकर 41 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली। शम्मी कपूर मेरे भी फेवरिट हीरो थे जब आज के दिन उनका निधन हुआ तो मुझे ऐसा लगा की कुछ पीछे छूट सा गया है बॉलीवुड फिल्मों में अपने विशिष्ट नृत्य और रोमांटिक अदाओं से अभिनेत्रियों का दिल जीतने वाले दिग्गज कलाकार शम्मी कपूर अपने पीछे ऐसी शैली छोड़ गए हैं, जिसे उनके प्रशंसक हमेशा याद रखेंगे।
 

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