Thursday, April 11, 2024

'मंगलसूत्र - (1981)' ..........अभिनेत्री रेखा के फ़िल्मी कॅरियर की एकमात्र हॉरर फिल्म ...

निर्माता रवि कुमार और निर्देशन बी.विजय की फिल्म 'मंगलसूत्र-(1981)'की सस्पेंस,हॉरर,थ्रिलर फिल्म है जो 10 अप्रैल 1981 को रिलीज हुई थी इस फिल्म में रेखा,अनंत नाग, ओम शिवपुरी,मदन पुरी, चाँद उस्मानी, प्रेमा नारायण ,जगदीप,शशि पुरी ,बीएम व्यास ,राजेंदर नाथ,केश्टो मुखर्जी,जयश्री टी ,गुड्डी मारुती मीना टी जैसे मशहूर सितारे थे फिल्म में पांच गाने थे जिनका संगीत आर.डी बर्मन ने तैयार किया था इनमे से 4 गानो को लिखा शायर निदा फाजली साहेब ने था लेकिन पांचवा गाना जो एक साधारण सा पेरोडी सांग्स था उसे राष्ट्र कवि प्रदीप ने लिखा था यह साधारण सा गाना 'जिया ललचाये राजा तोरे दर्शन को 'कवि प्रदीप की देश भक्ति के गीत लिखने वाली लेखनी से बिलकुल मेल नहीं खाता इसलिए यह दर्शको हैरान भी करता है फिल्म के गीतों को भी लता मंगेशकर ,दिलराज कौर,भूपिंदर सिंह ,आशा भोंसले ने अपने स्वर दिए थे इसके बावजूद भी ना तो फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाल कर पाई और ना ही आर.डी बर्मन का संगीत सुनने वालो पर अपना कोई खास जादू चला पाया 

बी.सुन्दर और स्नेहा लता वर्मा की लिखी Mangalsutra - (1981) की कहानी अनुसार फिल्म में विजय (अनंत नाग) अपने पिता मोहन (ओम शिवपुरी) के साथ एक समृद्ध जीवन जी रहा है और अपनी जिंदगी को इंजॉय कर रहा है विजय की शादी बचपन से ही एक मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की गायत्री प्रसाद (रेखा) से तय हो गई थी जो अपने पिता बद्री ( मदन पुरी ) और माँ सत्यवती (चाँद उस्मानी) के साथ माधवपुर में रहती है गायत्री और विजय एक-दूसरे से बेहद प्यार करते हैं जल्द ही दोनों शादी के बंधन बँध जाते है लेकिन शादी के बाद गायत्री पता चलता है कि विजय नास्तिक है जबकि वह खुद एक कट्टर आस्तिक है और भगवान शिव की उपासक है अपने गृहस्थ जीवन के सतरंगी सपने बुनने वाली गायत्री को अपनी सुहाग रात के दिन ही गहरे आघात का सामना करना पड़ता है जब उसे बिस्तर पर एक अलग ही विजय देखने को मिलता है जो बेहद कामुक है विजय अपनी पत्नी से प्यार करने की बजाय में उससे हमेशा शारीरिक सम्बन्ध बनाने के आतुर रहता है विजय अपनी पत्नी से सम्बन्ध बनाते समय अचानक हिंसक हो जाता है वो गायत्री से बिस्तर पर जबरदस्ती करने से भी गुरेज़ नहीं करता उसे हर रात बिस्तर पर जबरन भोगने के लिए एक बदन चाहिए बेशक वो उसकी पत्नी ही क्यों ना हो विजय के इस रूप को देख उसकी पत्नी हैरान है क्योंकि उसने हमेशा विजय को अपने से प्यार करने वाले सच्चे प्रेमी के रूप में देखा है फिर भी अपना विवाहित जीवन बचाने के लिए  शादी के बाद  गायत्री विजय के साथ अनमने ढंग से रिश्ता बनाये रखती है  

दोनों की जिंदगी में शादी से पहले और अब बाद में भी अजीबो-गरीब चीजें हो रही हैं उनके विवाह समारोह में भी कई दुर्घटनाएँ होती जिसमे विजय को एक भागती हुई भैंस द्वारा जान से मारने की कोशिश और मंडप में आग लग जाना शामिल था गायत्री को कुछ समझ नहीं आता यह सब क्यों हो रहा है ? गायत्री विजय की मुसीबतो के लिए उसके नास्तिक होने को जिम्मेदार मानती है जबकि विजय इसे उसका अन्धविश्वास कह खारिज कर देता है गायत्री विजय को काम से आराम करने और छुट्टी लेने की सलाह देती है लेकिन विजय उसे अनसुना कर देता है दरअसल विजय कुछ अलौकिक शक्तियो से परेशान है जो उस और गायत्री के जीवन में भ्रम पैदा कर रही है उनकी यह भयानक कोशिश  जारी रहता है कुछ दिन बीतने के बाद इन काली शक्तियों के नकरात्मक प्रभाव के कारण विजय गहरे सदमे में चला जाता है  परिवार के बाकी सदस्यों को पता चलने पर एक अनुभवी डॉक्टर से विजय की जांच करवाने के बाद उसका नियमित इलाज शुरू कर दिया जाता है लेकिन कोई उस की हालत में कोई फर्क नहीं पड़ता वह इन अलौकिक ताकतों से अब उबर नहीं पाता उसकी हालत और ख़राब हो जाती है अब परिवार के पास किसी तांत्रिक को बुलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाता है क्योंकि उन्हें अब यकीन है कि विजय पर किसी भूत-प्रेत का साया है गुज़ारे ज़माने के चरित्र अभिनेता बीएम व्यास ने तांत्रिक बजरंगी का यह रोल निभाया है वो अलग बात है कि वो बार बार अपने अभिनय से कालजयी  'रावण ' के रोल की याद दिलाते है जिसके लिए वो फिल्मो में मशहूर थे 


गायत्री और परिवार के बाकी सदस्यों को जल्द ही पता चल जाता है कि विजय का शरीर वास्तव में किसी कामिनी नामक लड़की के वश में है जिसके साथ उसने कथित तौर पर अपने कॉलेज के दिनों के दौरान रोमांस किया था जो उसकी प्रेमिका थी लेकिन हॉस्टल में कामिनी से शारीरिक सम्बन्ध बनाने के बाद विजय ने शादी करने से इनकार कर दिया विजय द्वारा शादी से इंकार करने के बाद कामिनी (प्रेमा नारायण ) ने आत्महत्या कर ली थी मरने के बाद प्रेत योनि में भटकती कामिनी की आत्मा अब अपना प्रतिशोध लेने और किसी भी कीमत पर गायत्री और विजय की शादी को तबाह करने की प्रतिज्ञा के साथ वापस आ गई है भले ही इसके लिए उसे गायत्री और विजय दोनों को जान से ही क्यों न मारना पड़े अब दुनिया की कोई भी ताकत उसे रोक नहीं सकती कामिनी उनकी शादी को तोड़कर  विजय को मृत रूप में वापस पाना चाहती है दूसरी और गायत्री ना चाहते हुए भी इस घटना क्रम में शामिल है जबकि उसका कोई दोष भी नहीं है विजय के इस अतीत से बेखबर गायत्री क्या अपने अपने सुहाग विजय को बचा पाती है ,क्या कामिनी को इंसाफ मिल पाता है ? यह जानने के लिए आप को 'मंगलसूत्र' देखनी पड़ेगी  


70 और 80 के दशक की मशहूर अभिनेत्री रेखा की यह एक मात्र हॉरर फिल्म है जो उन्होंने अपने फ़िल्मी कॅरियर में की थी उनका अभिनय शानदार है फिल्म में गायत्री के किरदार में उसे अपने अपने पति विजय को कामिनी से बचाना भी है क्योंकि वो उसका सुहाग है लेकिन उसके पति ने निर्दोष कामिनी के साथ जो किया एक औरत होने के कारण उसे अपने पति का साथ देने के लिए आत्मग्लानि भी महसूस हो रही है इस द्वंद्व चक्र में फँसी रेखा का अभिनय देखने के लिए आप एक बार 'मंगलसूत्र ' जरूर देखनी चाहिए बाकि इस फिल्म में ऐसा कुछ खास नहीं है जिसे लबे समय तक याद रखा जाये 

अभिनेत्री अरुणा ईरानी फिल्म 'मंगलसूत्र' (1981) में काम कर रही थीं वो कामिनी वाला रोल कर रही थी लेकिन, एक दिन अचानक उन्हें इस फिल्म से निकाल दिया गया कहा जाता है कि मशहूर एक्ट्रेस रेखा की वजह से अरुणा ईरानी को फिल्म से बाहर का रास्ता दिखाया गया था रेखा उनकी बहुत अच्छी दोस्त थीं फिर भी उन्होंने फिल्म से उन्हें निकलवा दिया रेखा के कहने पर ही फिल्म मेकर्स ने फिल्म से अरुणा ईरानी की छुट्टी की थी एक एक इंटरव्यू के दौरान खुद अरुणा ईरानी ने इस बात का जिक्र किया था 

फिल्म में अरुणा ईरानी पहली वाली लड़की का रोल निभा रही थी जो कि मर जाती है और मरने के बाद प्रेतात्मा बन जाती है जबकि रेखा दूसरी पत्नी के रोल में थीं मगर अरुणा ईरानी ये रोल निभा न सकी अरुणा ने जब फिल्म निर्माता और निर्देशक से इसकी वजह पूछी तो उन्होंने कहा

 ''रेखा जी नहीं चाहतीं कि आप इस फिल्म में काम करें'' 

कुछ समय बाद अरुणा ईरानी जब एक अन्य फिल्म के सेट पर रेखा से मिलीं तो उन्होंने इस बारे में सवाल किया इस पर रेखा ने यह बात कुबूल की कि उन्होंने अरुणा को फिल्म से बाहर निकलवाया था रेखा ने इसके पीछे की वजह बताते हुए अरुणा ईरानी से कहा था

'देखो अरुणा वो फिल्म ऐसी थी कि अगर उसमें जरा भी परफॉर्मेंस बदल जाती तो मैं एक वैम्प के रूप में नजर आती इसलिए मैं नहीं चाहती थी कि तुम इस फिल्म में काम करो 

अरुणा ईरानी ने रेखा से कहा  

'तुम मुझे फोन कर सकती थीं ,इस बारे में बात कर सकती थीं '

 इस पर रेखा ने अरुणा से माफी मांगी थी और अरुणा ने रेखा को माफ़ कर दिया इस तरह कामिनी वाला ये रोल बाद में 80 के दशक की हिंदी फिल्मो की सेक्स बॉम्ब कहे जाने वाली अभिनेत्री प्रेमा नारायण के हिस्से में आया 

कन्नड़ और हिंदी फिल्मो के अभिनेता अनंत नाग की वर्ष 1981 में आई यह दूसरी फिल्म है जो पारलौकिक दुनिया पर आधारित थी इससे लगभग एक महीने पहले 13 फरवरी 1981 को निर्देशक अरुणा-विकास की फिल्म 'गहराई ' रिलीज़ हुई थी और 10 अप्रैल 1981 को 'मंगल सूत्र' रिलीज हुई थी इन दोनों फिल्मो में खास बात यह थी कि अनंत नाग इन दोनों की फिल्मो में पारलौकिक दुनिया से आई काली शक्तियों से परदे पर जूझते दिखे लेकिन 'मंगल सूत्र' में आप उन्हें एक बेहद डरावने गेटअप में देखते है जिसके लिए उन्होंने आँखों के रंगीन कॉन्टेंट लेंस का सहारा लिया है ऐसा इसलिए भी जरुरी था क्योंकि जब कामिनी की आत्मा उसमे आती है तो उसकी आँखों का रंग बदला दिखाना था ऐसा इसलिए भी आवशयक था क्योंकि कामिनी का रोल करने वाली अभिनेत्री प्रेमा नारायण की आँखे भी नेचुरली भूरी थी अनंत नाग की आँखों के बदलते रंग से दर्शको को पता चलता है कि इसमें कामिनी की आत्मा आ गई है 

फिल्म में कुछ ऐसी बातें है जो एक फिल्म समीक्षक होने के कारण मुझे तर्कहीन भी लगी कहानी में विजय को अपने प्यार (गायत्री ) के प्रति वफादार,पवित्र पुरुष के रूप में दिखाया गया है जबकि वही विजय अपनी हवस की आग बुझाने के लिए कामिनी पर मोहित हो तुरंत उसके बिस्तर तक बड़ी आसानी से चला जाता है जब कामिनी की मौत हो जाती है और उसका भूत विजय के शरीर पर कब्ज़ा कर लेता है तब विजय बार-बार अपनी पत्नी गायत्री से बलात्कार क्यों करना चाहता है खासकर जब पत्नी उससे सम्बन्ध बनाने के लिए तैयार है ? कामिनी तो एक महिला थी तो फिर विजय के शरीर पर कब्ज़ा कर चुकी कामिनी एक अन्य महिला गायत्री से बलात्कार क्यों करना चाहती है रेखा (पत्नी) सिर्फ अपनी पवित्रता और मंगलसूत्र के आधार पर एक प्रेतात्मा पर विजय कैसे प्राप्त कर लेती है  ? नायक को अंत में बचाया जाता है क्योंकि वह स्वयं बचपन से ही पवित्र था और अपने प्यार के प्रति सच्चा था क्या उसे वास्तव बचाया जाना चाहिए ?  क्या वो माफ़ी के लायक था ? उसे अच्छी तरह से पता था कि उसकी शादी तय हो चुकी है और उसकी एक मंगेतर भी है फिर भी वो कामातुर हो कर कामिनी से शारीरिक सबंध बनाता है सिर्फ एक पुरुष होने नाते उसे इस अपराध बोध से आसानी से मुक्त क्यों कर दिया जाता है 

दूसरी और ठीक इसके विपरीत रेखा (पत्नी) बहुत धार्मिक महिला थी भगवान में विश्वास करती थी लेकिन उसका पति ऐसा नहीं करता था वह नास्तिक है आप ऐसे व्यक्ति से प्यार कैसे कर सकते हैं जो आपकी आस्था और ईश्वर से सम्बंधित मान्यताओं पर ही विश्वास नहीं करता ? ये कैसा प्यार है जहां आपके विचार और राय अलग-अलग हैं फिर भी आप ऐसे जीवन साथी के साथ रहना चाहते हैं जो आप पर आप के अपने ही बेडरूम में हिंसा भी कर रहा है ? ये समझ से परे है 

अब आप विडंबना देखिये आखिर कुछ बात तो है अपनी पुरानी हिंदी फिल्मो में हम और आप भी 1980 के दशक की ऐसी ही बचकानी फिल्में देखकर बड़े हुए हैं और आज उन फिल्मो की समीक्षा भी कर रहे है 

No comments:

Post a Comment