Saturday, November 25, 2017

निकाह’ (1982)......जब निर्माता बी.आर चोपड़ा को भारी विरोध के चलते फिल्म का टाइटल बदलना पड़ा

आज तक हम फिल्मों को मनोरंजन की नजर से देखते आएं है, लेकिन सच यह है कि हर फिल्म हमें कोई न कोई संदेश जरुर देती है। कहते है कि फिल्में समाज का आईना होती है और समाज की समस्याओं को लोगों के सामने पर्दे पर उतारती है। बॉलीवुड में शायद ही ऐसा कोई मुद्दा बचा होगा जिस पर कि फिल्में न बनी हों। हाल ही में तीन तलाक मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुये इसे गैरकानूनी करार दिया है लेकिन बॉलीवुड के लिए तीन तलाक कोई नया मुद्दा नहीं है। तीन तलाक पर बॉलीवुड में कईं फिल्म बन चुकी है और अब भी बन रही है।......... तीन तलाक के मुद्दे पर अगर फि‍ल्‍मों की बात करें तो हमें सबसे पहले 1982 में आई सलमा आगा, राज बब्‍बर और दीपक पाराशर की फि‍ल्‍म' निकाह 'का नाम याद आता है। बीआर चोपड़ा की इस फि‍ल्‍म ने पहली बार इस प्रथा के कारण एक औरत की जिंदगी कैसे प्रभावित होती है इस पर रोशनी डाली थी। यह फिल्म सुपर डुपर हिट रही थी करीब 35 साल पहले बनी इस फिल्म को लेकर तब भी उतने ही विवाद उठे थे, जितने आज इस मुद्दे को लेकर उठ रहे हैं फिल्म ‘निकाह’ में हैदर ( राज बब्बर ) और निलोफर ( सलमा आगा ) कॉलेज में साथ-साथ पढ़ते हैं। हैदर एक पॉपुलर कवि है और वह दिल ही दिल में निलोफर से प्यार करता है। हालांकि उसे पता नहीं है कि निलोफर वसीम यानी (दीपक पराशर) को चाहती है। वसीम नवाब है। इसके बाद निलोफर और वसीम शादी कर लेते हैं। दूसरी ओर हैदर एक मैग्जीन में संपादक बन जाता है और वसीम भी अपने बिजनेस में काफी बिजी हो जाता है। शादी की पहली सालगिरह पर निलोफर एक पार्टी रखती है, जिसमें सारे मेहमान आ जाते हैं लेकिन वसीम किसी वजह से लेट हो जाता है। बाद में जब वसीम घर पहुंचता है तो सारे मेहमान जा चुके होते हैं। इस बात को लेकर निलोफर और वसीम में झगड़ा शुरू हो जाता है। .गुस्से में आकर वसीम निलोफर को तीन बार ‘तलाक तलाक तलाक’ कह देता है, जिसके बाद शरीयत के मुताबिक निलोफर का वसीम से तलाक हो जाता है। बाद में वसीम को अपनी भूल पर पछतावा होता है लेकिन वह कुछ नहीं कर सकता था। तलाक के बाद निलोफर भी हैदर की मैग्जीन में काम करने लगती है। इस दौरान निलोफर को एहसास होता है कि हैदर उसे चाहता है। इसके बाद हैदर और निलोफर निकाह कर लेते हैं। उधर वसीम निलोफर से कई बार उसे घर वापस आने के लिए कहता है लेकिन निलोफर तैयार नहीं होती। इसके वसीम खुद भी निलोफर को पाने के लिए काफी जद्दोजहद करता है लेकिन आखिरकार निलोफर हैदर के साथ ही रहती है

अचला नागर की लिखी इस फिल्म का नाम पहले तलाक '',तलाक , तलाक '' रखा गया था, लेकिन बाद में इसे बदल दिया गया। इसके पीछे भी एक कहानी है। फिल्म प्रदर्शित होती इससे पहले ही बीआर चोपड़ा ने फिल्म के नाम के बारे में अपने एक करीबी दोस्त से जिक्र किया.जैसे ही उस दोस्‍त ने फिल्म के नाम के बारे सुना तो उसने तुरंत बी.आर चोपड़ा से कहा- इस फिल्म का नाम बदलना बहुत जरूरी है जब चोपड़ा ने उनसे इसका कारण पूछा तो उन्‍होंने कहा,....'' यदि कोई मुस्ल‍िम दर्शक अपने घर फिल्म देखकर पहुंचेगा और पत्नी पूछेगी कौन सी फिल्म देखी तो इस फिल्म का नाम लेते ही उस जोड़े का तलाक हो जाएगा। इस तरह बहुत से रिश्ते टूटने का डर है। ''....इतना सुनने के बाद बीआर चोपड़ा ने उसकी सलाह पर अमल करते हुए फिल्म का नाम बदलकर ''निकाह ''कर दिया फिल्म रिलीज होने के बाद मुंबई के भिंडी बाजार इलाके में कुछ लोगों ने यह कहते हुए पोस्टर लगा दिए थे कि फिल्म में मजहब के खिलाफ चीजें दिखाई गई हैं। इतना ही नहीं कई मौलवियों ने तो फतवे जारी कर दिए थे। कुछ का कहना था कि इसमें तलाक तो दिखाया लेकिन 'हलाला 'के बारे में नहीं बताया गया। इसके बाद विरोध करने वाले मौलवियों को भी यह फिल्म दिखाई गई थी और बेहद मशकत के बाद कुछ दृश्यों को एडिट करने बाद फिल्म के प्रदर्शन का रास्ता साफ़ हुआ  इस विवाद का नतीजा ये हुआ की  'निकाह ' बॉक्स ऑफिस पर कामयाब रही                                                                 

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