Thursday, November 30, 2017

हम लोग" (1984 ).....भारतीय टेलीविजन का पहला हिंदी सोप ओपेरा धारावाहिक ...

हम लोग" (1984).

अगर आप को याद हो तो 7 जुलाई 1984 की गर्मी भरी शाम से बसेसर राम और उनकी फैमिली ने ज्यादातर ने ब्लैक एंड वाइट टेलीविजन के माध्यम से भारतीय परिवारों के डॉइंग रूम में दस्तक दी थी और शीघ्र ही अत्यंत लोकप्रिय हो गए भारतीय दर्शकों को यह धारावाहिक अत्यन्त पसन्द आया इसके चरित्र विख्यात हो गए व लोगों कि रोज़मर्रा कि बातचीत का मुद्दा बन गए।

आज लगभग 35 सालो के बाद भी बड़की ,छुटकी, दादी ,नन्हे और लल्लू जैसे चरित्रो को भारतीय परिवार भूल नहीं पाए  "हम लोग" 1980 के दशक के भारतीय मध्य-वर्गीय परिवार व उनके दैनिक संघर्ष और आकांक्षाओं की कहानी थी 156 ऐपिसोड में चले इस सीरियल को मनोहर श्‍याम जोशी ने लिखा था दूरदर्शन के प्रसिद्ध और लोकप्रिय धारावाहिकों- 'बुनियाद', 'नेताजी कहिन', 'मुंगेरी लाल के हसीं सपने', 'हम लोग' आदि के कारण वे भारत के घर-घर में प्रसिद्ध हो गए थे मनोहर श्याम जोशी ने यह नाटक एक आम भारतीय की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी को छूते हुए लिखा था, इसलिये लोग इससे अपने को जुड़ा हुआ अनुभव करने लगे मनोहर श्याम जोशी हमारे दौर की एक साधारण शख़्सियत थे 1984 में जब भारत के राष्ट्रीय चैनल दूरदर्शन पर उनका पहला धारावाहिक "हम लोग" प्रसारित होना आरम्भ हुआ इस धारावाहिक के किरदार जैसे कि लाजो जी, बडकी, छुटकी, बसेसर राम का नाम तो जन-जन की ज़ुबान पर था "हम लोग" को आप भारतीय टेलीविजन का पहला सोप ओपेरा धारावाहिक भी कह सकते जिसे दूरदर्शन ने पेश किया दूरदर्शन उस समय एक मात्र चैंनल होता था तब अधिकतर भारतीयों के लिये टेलीविज़न एक विलास की वस्तु के जैसा था. हम लोग धारावाहिक के अंत में दर्शक दादा मुनि अशोक कुमार की अलग अलग विशेष अंदाज़ में कही गई टिपण्णी का विशेष इंतज़ार करते थे ..आज लगभग 35 सालो के बाद भी "हमलोग " धारावाहिक की यादे भुलाये नहीं भूलती ....'हम लोग '7 जुलाई  1984 से 17 दिसम्बर 1985 तक प्रसारित हुआ था

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