'मुग़ले-ए-आज़म '(1960 ) |
आज भी लगभग सभी फिल्म प्रेमियों के पास 'मुग़ले-ए-आज़म '(1960 ) को लेकर सुनाने को एक कहानी है क्योंकि मुग़ले-ए-आज़म भारतीय सिनेमा के इतिहास की मात्र फिल्म ही नहीं एक 'अमर ग्रंथ है ' इस कालजयी फिल्म को बनाने में के.आसिफ के जूनून से आप सभी अच्छी तरह से वाकिफ है ...... मुग़ले-ए-आज़म के हर किरदार को अगर आप देखे तो कोई भी किसी से कमतर नहीं है कई बार इन किरदारों ने अपने अभिनय को जीवंत बनाने के लिए अपनी जान तक को भारी जोखिम में डाला जिसके बारे में मैं अपने पिछले लेखो में विस्तार से चर्चा कर चुका हूँ .........अकबर के बिना फिल्म मुग़ले-ए-आज़म की कल्पना बेमानी है इस अमर किदार को हमारे फिल्म इंडस्ट्रीज़ के बड़े पापा यानि की 'पृथ्वी राज कपूर साहेब ' ने जिस शिद्दत से निभाया है वो कबीले तारीफ है हालाँकि मुग़ले-ए-आज़म से पहले भी भारत की पहली बोलती फ़िल्म आलमआरा (1931) में 24 साल की उम्र में अलग-अलग आठ दाढ़ियां लगाकर जवानी से बुढ़ापे तक की भूमिका निभाकर भी पृथ्वी राज कपूर साहेब ने अपने अभिनय का लोहा मनवाया था फिर ठीक दस साल बाद सोहराब मोदी की 'सिकंदर' (1941) में सिकंदर की बेमिसाल भूमिका उन्होंने जिस तरह निभाई.वो भी इतिहास में दर्ज़ है
के.आसिफ के लिए अकबर का ये
किरदार कितना मायने रखता था इस बात का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते है की
इस फ़िल्म की स्टार कास्ट में पृथ्वीराज कपूर का नाम दिलीप कुमार और
मधुबाला से पहले आता है इसको लेकर दिलीप कुमार और मधुबाला में एक तरह से
नाराज़गी भी थी. जब दलीप कुमार जी ने के.आसिफ से पूछा की ....."फिल्म की
नामावली में किसका नाम पहले आएगा ? ".....तो आसिफ साहेब ने दो टूक शब्दों
में ट्रैजडी किंग को कह दिया ...... '' मैं मुगले आज़म बना रहा हूं,
सलीम-अनारकली नहीं मेरी इस फ़िल्म का केवल एक हीरो है और वो है ''अक़बर दी
ग्रेट." उसका नाम ही पहले आएगा " ..... पृथ्वी राज कपूर साहेब ने भी इस
किरदार को अमर बनाने के लिए जी जान एक कर दिया गर्म रेत पर नंगे पांव चले ,
रेगिस्तान की भयंकर गर्मी में कई किलो की भारी पोशाके और कवच पहने और
युद्ध के दृश्यों में कई बार गर्मी से हाथी के बेकाबू होने के बाद भी बिना
डुप्लीकेट के स्टंट सीन किये .......एक बार पृथ्वी राज कपूर साहेब ने एक
साक्षात्कार में कहा यह की अकबर के किरदार को करते वक्त उन्हें कई रूहानी
अनुभव हुए जब वो अकबर के गेटअप के होते थे तो उन्हें लगता था की कोई अदृश्य
शक्ति उनसे ये सब करवा रही है एक बार जब मुगले ए आज़म के निर्माता
और फाइनेंसर शापोजी जी ने के.आसिफ की सनक से परेशान होकर सोहराब मोदी जी को
कहा ".....आप मुग़ले-ए-आज़म को निर्देशित करे मैं तो आसिफ से तंग आ गया हूँ
........तो सोहराब मोदी जी ने शापोजी जी को समझते हुए कहा ......'' मैं इस
फिल्म को निर्देशित नहीं कर सकता आपकी मुग़ले-ए-आज़म के.आसिफ जैसा कोई
जुनूनी ही बना सकता था आप उस पर विश्वास करे वो इतिहास रचने जा रहा है इस कहानी के बारे में विस्तार से जानने के लिए लिंक को क्लिक करे
https://pawanmehra73.blogspot.in/2018/01/blog-post_24.html
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बड़े गुलाम अली खां साहेब को कैसे के.आसिफ ने अपनी इस फिल्म में गाने के
लिए जबरन मुंहमांगे पैसे दे कर मजबूर कर दिया वो किस्सा आप सब को पता है बड़े गुलाम अली खान के उस किस्से को विस्तार से जानने के लिए लिंक पर क्लिक करे .https://pawanmehra73.blogspot.in/2018/02/blog-post_10.html.......
कुछ ऐसा ही पृथ्वी राज कपूर जी के साथ भी हुआ था जब बात उनके मेहनताने की आयी तो आसिफ जी ने उन्हें अनुबंध के तौर पर लिफाफे में चेक दिया था जो कोरा था आसिफ जी ने सम्मान पूर्वक उसमे कोई भी रकम ही नहीं भरी पृथ्वी राज कपूर जी मुस्कुरा कर रह गए
कुछ ऐसा ही पृथ्वी राज कपूर जी के साथ भी हुआ था जब बात उनके मेहनताने की आयी तो आसिफ जी ने उन्हें अनुबंध के तौर पर लिफाफे में चेक दिया था जो कोरा था आसिफ जी ने सम्मान पूर्वक उसमे कोई भी रकम ही नहीं भरी पृथ्वी राज कपूर जी मुस्कुरा कर रह गए
"जहां इतना कुछ लिखा है, वहां रक़म भी लिख देते- पृथ्वीराज कपूर ने मज़ा लेते हुए चुटकी ली
आसिफ़ जी बोले- पहले तो यह बताइए इसमे कुल रक़म कितनी लिखूं." ?
पृथ्वीराज जी ने कहा,..... "क्या तुम नहीं जानते."
के. आसिफ़ ने कहा, "जानता तो पूछता नहीं."
पृथ्वीराज कपूर ने कहा, "अच्छा तो फिर कोई रक़म भी लिख लो, मुझे मंज़ूर होगा."
के.आसिफ़ ने कहा, "नहीं दीवानजी, ऐसा मत कहिए सबने अपनी क़ीमत लगाई दिलीप कुमार, मधुबाला, दुर्गा खोटे फिर आप क्यों..?"
पृथ्वीराज कपूर ने कहा,.... "नहीं मेरी क़ीमत तुम ख़ुद लगाओगे."
"ये धृष्टता मैं नहीं कर सकता, दीवानजी."मैं भी तो अभी तक अपनी क़ीमत नहीं
लगा पाया अच्छा आप यह तो बता सकते हैं राज ने आवारा में आपको क्या दिया"
.आसिफ कानो को हाथ लगाते हुए बोले
"पचास हज़ार."
"तो मैं पचहत्तर हज़ार लिख दूं."
पृथ्वी राज साहेब ने हाथ जोड़ कर हँसते हुए कहा ..." जैसा तुम ठीक समझो." ..
बात यहीं ख़त्म नहीं होती मेहनताना तय हो गया था लेकिन के. आसिफ़
कांट्रैक्ट के बदले में एडवांस रक़म देना चाहते थे के. आसिफ़ ने जब
पृथ्वीराज को चेक पर एडंवास की रक़म लिखने को कहा तो पृथ्वीराज कपूर ने
केवल एक रूपये लिखा ...के.आसिफ़ भावुक हो गए तो पृथ्वीराज ने कहा....
"आसिफ़, मैं आदमियों के साथ काम करता हूं, व्यापारियों या मारवाड़ियों के साथ नहीं.".........
पृथ्वी राज कपूर |
"
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