सरदार हज़ारा सिंह 'नागी.' ,1918-1971
हम अकसर किसी गीत के हिट होने का श्रेय उसके संगीतकार ,गीतकार या गाने वाले स्वर को देते है लेकिन किसी गीत भी गीत के हिट होने के पीछे इनके आलावा साज़ बजने वाले साजिंदों का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है लेकिन उनका को ज्यादा प्रचार नहीं मिलता वो चुपचाप अपने बेहतरीन काम को मुकम्मल करते है जो संगीत को बनाता है भारतीय फिल्म संगीत के अनगिनत वादक कलाकारो में एक समय का जाना माना नाम है 'सरदार हज़ारा सिंह ' जिन्होंने अपनी धुनों के कई रिकॉर्ड तो प्रस्तुत किये ही, पर मूल गानों में भी उनका मह्त्वपूर्ण योगदान रहा है ओ पी नैयर, सचिन देव बर्मन ,शंकर जयकिशन के वे ख़ास गिटार वादक रहे थे "ये चाँद सा सा रोशन चेहरा ", "पुकारता चला हूँ "," आओ हुज़ूर तुमको " हिंदी फिल्मों के कई अविस्मरणीय गीतों के पीछे का जादू स्टील इलेक्ट्रिक गिटारवादक सरदार हज़ारा सिंह ही थे
1918 में कराची में पैदा हुए हजारा सिंह जी को संगीत सीखने की बेहद इच्छा थी उन्हें नहीं पता था कि उन्हें सिर्फ सीखने और संगीत उपकरणों को बजाने की इच्छा सीधे मुंबई ले जाएगी जहां उन्हें अपने जीवन के सबसे बड़े अवसर मिलेंगे और यही कारण है कि वे शिक्षा के लिए ज्यादा समय नहीं निकल पाए 1947 के विभाजन के बाद हजारा सिंह जी मुंबई के गिरगाँव के एक गेस्ट हाउस में रहे और अपने लक्ष्य के प्रति लगन से काम किया हवाई गिटार उसकी सबसे बड़ी ताकत थी हजारा सिंह ने स्वयं ने डबल कॉर्ड्स का गिटार बनाया वो दिन में कई कई घंटे रियाज करते थे और इसका प्रयोग फ़िल्मी गानों में किया इस गिटार से दो धुन (Double Tuning) निकलती बॉलीवुड में कई अविस्मरणीय गानो के लिए उन्होंने डबल गिटार बजाया जो उन्होंने अपने हाथों से बनाया गया था
अपने बनाये खास डबल कॉर्ड्स वाले गिटार पर घण्टों प्रैक्टिस करते अपनी कला का प्रदर्शन करते ही और कई फिल्मों में धुनें बिखेरीं जिनमें तारीफ करूं क्या उसकी-( कश्मीर की कली ), बदन पे सितारे लपेटे हुए-( प्रिंस ), आजा आजा में हूं प्यार तेरा ( तीसरी मंजिल ),और भी कई गीत रहे 1958 में प्रदर्शित हुई सस्पेंस थ्रिलर फ़िल्म 'हावड़ा ब्रिज 'के सभी गीत अत्यधिक लोकप्रिय हुए मुख्य अभिनेत्री मधुबाला पर फिल्माये सभी गीतों की आवाज़ आशा भोंसले ने दी किन्तु एक गीत जो क्लब में फिल्माया हेलन पर गीता दत्त की आवाज़ में अन्य सभी गीतों पर हावी हुआ वह था 'मेरा नाम चीन चीन चु' गीत के शुरुवात में गिटार की धुन हजारा सिंह की ही थी फ़िल्म किस्मत (1968) के दो गीत 'आंखों में कयामत में काजल' और 'लाखों हैं यहां दिलवाले' सम्पूर्णतः हवाईयन गिटार पर ही आधारित है इन गानों की लोकप्रियता में यदि ओ.पी नय्यर के संगीत का कमाल है तो एस हजारा सिंह को कमतर न समझा जाएगा वैसे इस फ़िल्म की कहानी भी उस व्यक्ति की है जो गिटार बजाता है फिल्म में यही गिटार उसकी परेशानी का सबब बनती है ......वैसे तो उन्होंने कई तरह के वाद्य सीखे थे लेकिन इलेक्ट्रिक गिटार ,हवाईयन गिटार दोनों पर हाजरा सिंह जी का समान अधिकार था जिससे उन्होंने कई तरह के प्रयोग भी किये लेकिन किसी दूसरे वाद्य यंत्र के प्रति उन्हें कोई खास लगाव नहीं था हार्मोनियम जरूर उनकी दूसरी पसंद थी
हंसमुख कलाकार सरदार हज़ारा सिंह का संगीत से भरा हुआ सफर ज्यादा लम्बा नहीं था मात्र 53 वर्ष की आयु में ही 1971 में हार्ट अटैक से सरदार हजारा जी की उंगलिया गिटार पर थम गई और काल के क्रूर हाथो ने हिंदी फिल्म संगीत का एक नायाब हीरा हमसे छीन लिया 1966 में उनका एकल एल्बम जारी हुआ 1969 में जारी बारह टॉप हिट हिंदी फिल्मों की धुनों का एलबम बहुत लोकप्रिय हुआ और 1971 में मृत्यु से पहले दो और एल्बम भी आये जिन्हे पसंद किया गया उनके रिकार्ड्स आज भी गिटार सीखने वाले वाली नई उम्र की पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत्र है आज भी इनकी धुनें संगीत प्रेमी याद करते हैं।आज भी रेडियो सीलोन, विविध भारती पर इनकी धुनों का प्रसारण होता रहता है उन्होंने संगीतको सवारने वाली अपनी प्रतिभा को आपने वाली नस्लों में हस्तांतरित भी किया उनके बेटे 'ठाकुर सिंह नागी' असाधारण 'सैक्सोफोन' बजाते है उनको इस वाद्य यंत्र में महारत हासिल है
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