' चंद्रशेखर ' |
मशहूर अभिनेता 'चंद्रशेखर 'को आप सब जानते है आज भी उनके मन में
इंडस्ट्री के वर्तमान व भविष्य के लिए युवा और उत्साही विचार भरे हुए है वह
आज शायद इंडस्ट्री के एक अकेले मजबूत लिजेन्ड है और हमारा सौभाग्य है की
वो हमारे बीच है अपने बीते दिनों को याद करते हुए वो कहते है की ......."
संघर्ष से ही सफलता का रास्ता निकलता है जब उन्होंने फिल्मो में जाने सोची
तो उनकी तेलुगु इतनी अच्छी थी उसके बावजूद भी बाद भी बंगलौर में उन्होंने
तेलुगु फिल्मो में काम करने की असफल कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी वो लोग
मुझे बम्बई चले जाने की सलाह देते थे तो हम चले गए बम्बई पहले वहां सड़को की
खाक छानी तब भी कही जा कर मात्र डेड रुपये रोज़ पर जूनियर आर्टिस्ट का काम
मिला.".... फिल्म ‘बेबस’ में उन्हें बतौर सहायक-निर्देशक का काम मिला यही से उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट शुरू हुआ और राजकमल के 'व्ही शांताराम ' उन्हें मिल गए और उन्हें उनकी महत्वकांशी फिल्म 'सुरंग' ( 1953) का नायक बना दिया गया इसी फिल्म से वो इंडस्ट्रीज़ में पहचाने भी गए ‘बारादरी
(1955) बाग़ी सिपाही 1958) काली टोपी लाल रूमाल (1959) बरसात की रात (1960)
तेल मालिश बूट पॉलिश (1961) किंगकांग और चा चा चा (1964) उनकी यादगार फिल्मे है
काली टोपी लाल रूमाल (1959) |
फिल्म - अली बाबा का बेटा (1955) |
चंद्रशेखर साहेब रफी़ साहब को एक फरिश्ता इंसान मानते है 'चा चा चा (1964) )' के सभी नगमे रफी़ साहब ने ही गाऐ थे जो आज भी बेहद मशहूर है रफी़ साहब के सचिव ज़हीर साहब इस फिल्मे के गीतों की फीस ले चुके थे पर जब रफी़ साहब को फीस मिलने के बारे में पता चला तो उन्होंने ज़हीर साहब को फीस वापस करने को कहा लेकिन चंद्रशेखर के आग्रह पर बड़ी मिन्नतों के बाद उन्होंने उस रकम में से काफी कम रकम ही लेना स्वीकार किया ये रिश्ता आगे भी कायम रहा जब चंद्रशेखर जी की बेटी की शादी थी, और बारात दरवाजे पर आई तो बारात का इस्तक़बाल करने वालों में रफी़ साहब सबसे आगे थे यही नहीं चंद्रशेखर जी को स्पोर्ट्स का बड़ा शौक था और रफी़ साहब उनके लिये विदेशो से स्पोर्ट्स शर्ट्स खरीदकर ले आते थे जिसमे कई शर्ट्स उनके पास आज भी है 94 साल के चन्द्रशेखर साहब की आवाज़ आज भी उतनी ही बुलंद है जितनी उनके दौर की फिल्मों में सुनाई देती थी थ्री इडियट ( 2009 ) में उनका एक संक्षिप्त रोल भी किया था आज भी वह अपने दिन की शुरुआत सुबह पांच बजे योग से करते,अपना पसंदीदा नाश्ता करते हैं, टेलीफोन पर सवाल जवाब देते है, पार्क में जाते व दोस्तों से मिलते, पत्रकारों के सवाल के जवाब देते लेकिन रात को जल्दी खाना खा सो जाते हैं
फिल्म - शान ए हिन्द - 1960 |
उन्होंने लगभग 112 फिल्मे की है उनकी बीती ज़िन्दगी एक यादगार सफर रही आज भी उनकी दिमागी याददाश्त गज़ब की है और उन्हें वह हजारों लोग आज भी याद है जो उनके सफर में में हमराही बने वो कहते है की ....'' व्ही शांताराम से ने उन्होंने सीखा कि पैसे के मामलों को किस तरह सम्भालना चाहिए '' वह हमेशा ही भारतीय सिनेमा व टीवी के साथ जुड़े रहे हैं इंडस्ट्री की परेशानियां, आर्टिस्ट, निर्माता सब के साथ उनका विशेष लगाव था उनके बेटे अशोक शेखर एक टीवी फिल्म निर्माता है उनके पोते शक्ति अरोड़ा एक टीवी आर्टिस्ट है उनका हमेशा से यह मानना रहा है कि किसी भी काम में संतुष्टि मिलती है तो उस काम को करने में कोई शर्म नहीं होना चाहिए आज भी जब हम चंद्रशेखर जी को याद करते है तो सबसे पहले 'काली टोपी लाल रुमाल 'का माऊथ ऑर्गेन बजाता चंद्रशेखर याद आता है हम दुआ करते है की परवरदिगार चन्द्रशेखर जी को तंदुरुस्त रखे, ...सेहतमंद रखे.... उनकी जिंदगी आने वाली नस्लों के लिए एक मिसाल है चंद्रशेखर साहेब की जितनी तारीफ की जाये कम है उनका जीवन आज आने वाली पीढ़ी के लिए एक मिसाल है जिस वो प्रेरणा ले सकते है
( संपादित -16 जून 2021 )
अभिनेता चंद्रशेखर जी आज हमारे बीच नहीं रहे दुर्भाग्य से इस लेख को लिखने के 4 वर्ष बाद बाद अभिनेता चंद्रशेखर जी की मृत्यु 16 जून 2021 को ठीक जन्मदिन के 21 दिन पहले उस वक्त हो गई जब मुंबई में उनका परिवार उनका 98 वा जन्मदिन मनाने तैयारियां जोर शोर से कर रहा था
Pls. ask Chandrashekhar ji to write a book on Bollywood.
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