Sunday, July 15, 2018

अभिनेता 'दारा सिंह ' के अपने ही नाम से बनी फिल्म ' DARA SINGH - The Ironman '- (1964)


 ' DARA SINGH - The Ironman '- (1964)

एक समय था जब पुरानी दिल्ली के अमर ,मेजेस्टिक ,कुमार ,और मोती सिनेमा हालो में लगभग हर शुक्रवार को दारा सिंह की कोई न कोई फिल्म रिलीज़ होती थी भागीरथी प्लेस ,मोती सिनेमा के पीछे ज्यादातर फिल्म वितरकों के ऑफिस और घर होते थे जिसमे 'दारा फिल्म्स' का ऑफिस भी था ज्यादातर दारा सिंह की फिल्मे यही से वितरित होती थी उस समय ये सिनेमा हाल 35 MM की ही फिल्मे दिखते थे 70 MM परदे का चलन बाद में आया उस समय शीला दिल्ली का पहला 70 MM सिनेमा हाल था इन छोटे सिनेमा हालो पर दर्शक दारा सिंह की फिल्मे देखने टूट पड़ते थे ये फिल्मे प्राय C-ग्रेड की होती थी और इन फिल्मो में ज्यादातर दारा सिंह की नायिका मुमताज़ ,इंद्रा बिल्ली ,और निशि ही होती थी इन फिल्मो में एक कमाल की बात की बात ये थी की दर्शको को इनकी कहानी ,स्टारकास्ट ,संगीत से कोई मतलब नहीं होता था वो सिर्फ दारा सिंह के शारीरिक सौष्ठव और फाइट के दृश्य देखने ही आते थे और फिर फिल्म देखने के बाद रविवार को दर्शक मेजेस्टिक सिनेमा ( वर्तमान में भाई मतिदास संग्रहालय ) के सामने से लस्सी पीकर आज़ाद मैदान ( लालकिले के सामने ) होने वाले ' लाइव दंगल ' देखने के लिए रुख करते थे जिसके इश्तिहार सिनेमा हॉल के बाहर शो ख़त्म होने पर मिल जाते थे इन दंगलों में पहलवानो पर दांव लगते थे ये सिर्फ दारा सिंह के नाम का जादू था की दर्शक उनकी फिल्मे देखने खींचे चले जाते थे जबकि अभिनय के मामले में वो हमेशा उन्नीस ही थे ,वो लाख कोशिश करते पर उनकी डायलॉग डिलीवरी में पंजाबी भाषा का पुट आ ही जाता था उस दौर में हर छोटे बड़े फिल्म निर्माता ने उनके नाम और इमेज को खून भुनाया उनके नाम से फिल्मे बनी ...किंग कॉन्ग (1962) ,फौलाद ,रुस्तमे बगदाद (1963) ,आया तूफ़ान,जग्गा ,सेमसन (1964) ,टार्ज़न दिल्ली में ,राका ,शेरदिल ,रुस्तमे हिन्द (1965) ,डाकू मंगल सिंह (1966) ,आदि फिल्मो के नाम भी दारा सिंह की इमेज को ध्यान में रखते हुए ही चुने गए दारा सिंह सौभाग्यशाली थे क्योंकि ऐसा प्यार और सम्मान दर्शको ने बहुत ही कम कलाकारों को दिया है दारा सिंह ,मधुबाला ,जॉनी वॉकर,और आई.एस जोहर, महमूद जैसे विरले कलाकार है जिनकी पॉपुलेरिटी भुनाने के लिए फिल्मो के टाईटल उनके नाम पर रखे गए उन्होंने 16 फिल्मों में एक्ट्रेस मुमताज के काम किया, जिसमें 10 फिल्में सुपरहिट रहीं। उस वक्त दारा सिंह को एक फिल्म के लिए 4 लाख रुपए मिलते थे। एक्टिंग के साथ-साथ उन्होंने 7 फिल्में भी लिखी थीं। 1978 में आई फिल्म 'भक्ति में शक्ति' का लेखन और निर्देशन उन्होंने ही किया था .......आज दारा सिंह जी इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनका नाम एक मुहावरा बन गया है आज भी हम किसी तगड़े आदमी को देखते ही कह देते है .....''देखो भाई दारा सिंह आ गया '' ..आज इतने सालो के बाद भी ये उनके नाम का जादू नहीं तो और क्या है ?

1 comment:

  1. बहुत ही दिलचस्प और बढिया लेख लिखा है आपने और सारी बातें सच है। धन्यवाद

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