Friday, September 15, 2023

देवआनंद की फिल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा ' के बदनाम गाने 'दम मारो दम' के बनने की दिलचस्प कहानी ...

  

वर्ष 1971 में आई देवआनंद की फ़िल्म हरे ''हरे रामा हरे कृष्णा '' के गाने ‘दम मारो दम...’ को आज भी एक कल्ट गाना माना जाता है यह सुपरहिट गाना उस समय भारतीय युवा पीढ़ी का एंथम बन गया था उस वक्त की पीढ़ी इस गाने को रिकॉर्ड पर लाउडस्पीकर के जरिये सुन-सुन कर बड़ी हुई लेकिन ये गाना उस समय ऑल इंडिया रेडियो पर बैन हो गया था क्योंकि कई लोगों को लगता था कि इसमें ड्रग्स वगैरह का सेवन है जो युवा पीढ़ी को नशे के प्रेरित कर सकता है बावजूद इसके आशा भोंसले का गाया ये गाना हिट बहुत बड़ा हिट साबित हुआ इस गाने ने रातों रात अभिनेत्री ज़ीनत अमान को भी स्टार बना दिया लेकिन क्या आप जानते है कि आनंद बख़्शी का लिखा ये गाना उस समय लभगभ फ़िल्म ''हरे रामा हरे कृष्णा'' से हटा ही दिया गया था...?


जीनत अमान और देवआनंद  'हरे रामा हरे कृष्णा ' के एक दृश्य में 

देवआनंद 1970 में आई अपनी फ़िल्म 'प्रेम पुजारी' की विफलता के बाद बेहद हताश थे और कुछ दिनों के लिए नेपाल में थे उनके जर्मन दोस्त का फोन आया कि वो भी अपनी एक डाक्यूमेंट्री की शूटिंग के लिए काठमांडु में आया हुआ है जब देवआनंद उस दोस्त से मिले तो उन्होंने देव को नेपाल में उस जगह के बारे में बताया जहां विदेश से लोग आकर ''हिप्पी पार्टीज'' करते हैं, नशा करते हैं देव साहब भी उत्सुकतावश उस नए माहौल को देखने के लिए उस जगह पहुंच गए उन दिनों युवाओं में हिप्पी बनने का क्रेज़ था उन्होंने देखा कि वहाँ जवान लड़के-लड़कियां नशे में झूम रहे हैं गांजा, अफ़ीम पीना, मौज-मस्ती करना, सिगरेट के धुँए में ग़ुम,माथे पर टिका लगाए,गले में गेंदों की फूल वाला माला पहने,एक दूसरे को चिल्लम पकड़ाते,आसमान को ताकते जैसे ध्यान कर रहे हों ये सभी हिप्पी लड़के और लड़कियाँ पूरी तरह नशे में धुत थे...

तभी अचानक देवानंद की नज़र एक लड़की पर पड़ी वो देखने में विदेशी नहीं लग रही थी वहां के एक होटल के वेटर से देवआनंद ने उस लड़की के बारे में पूछा वेटर ने अगले दिन देव साहब से उस लड़की की मीटिंग तय कर दी लड़की का नाम था जसबीर लेकिन वो वेस्टर्न कल्चर प्रभाव में अपने आपको 'जेनिस' कहती थी वो लड़की कनाडा की रहने वाली थी और अपने घर से भाग कर नेपाल आई थी क्योंकि उसकी मां उस पर पाबंदी लगाती थीं जसबीर के माँ-बाप का तलाक़ हो चुका था और पिता पंजाब में कहीं रहते थे जैनिस को लगता था कि उसके माँ-बाप ने उसका अच्छे से ख़्याल नहीं रखा और न ही वो आज की नई पीढ़ी को समझते हैं इसलिए वो कुछ पैसा चुराकर घर से भाग आई और अब हिप्पी बन गई .... जेनिस की कहानी सुनते-सुनते देव साहब को अपनी नई फिल्म की कहानी का आइडिया दिमाग में आने लगा और उन्होंने ठान लिया कि वो जेनिस की जिंदगी और इस हिप्पी कल्चर पर अपनी नई फिल्म बनाएंगे 

देवआनंद 'हरे रामा हरे कृष्णा' की स्क्रिप्ट के साथ नेपाल से लौटे और साथ में ये फैसला भी कर चुके थे कि उनकी फ़िल्म लंदन या पेरिस में नहीं पूरी की पूरी काठमांडू में ही बनेगी देवआनंद पहले से ही 1968 की अमेरिकी साइकेडेलिक फिल्म 'Psych-Out' से प्रभावित थे उसमे उन्होंने जेनिस की यह सच्ची कहानी भी जोड़ दी। देवआनंद का नेपाल के शाही परिवार के साथ काफ़ी अच्छा रिश्ता था उन दिनों नेपाल नरेश थे राजा महेंद्र और उन्होंने तुरंत नेपाल नरेश से मिलकर फ़िल्म की कहानी सुनाई देवआनंद ने उनसे नेपाल में किसी भी जगह शूट करने की अनुमति माँगी राजा महेंद्र ने देव आनंद से नेपाल में कुछ दिन और रुकने को कहा और उन्हें अन्नपूर्णा पहाड़ी के बीच बसे अपने भाई प्रिंस बसुंधरा के स्टाइलिश होटल भेज दिया और देवआनंद को वहाँ शांति से फ़िल्म की कहानी विस्तार से लिखने को कहा इसके बाद उन्हें नेपाल में कही भी शूट करने की अनुमति भी मिल गई  

अब फिल्म की स्टार कास्ट फ़ाइनल करने बम्बई पहुंचे देवआनंद ने जेनिस के किरदार के लिए नई अभिनेत्री की तलाश शुरू कर दी .... जिस समय जब नवकेतन की टीम और देव साहब 'हरे रामा हरे कृष्णा' की कास्टिंग कर रहे थे फिल्म निर्माता अभिनेता ओ.पी रल्हन ने उन्हें जीनत अमान के नाम का सुझाव दिया दरअसल में 70 के दशक में ओपी रल्हन जीनत ने 'हलचल' फिल्म में एक छोटा से रोल दिया था जीनत को जसबीर और जैनिस के किरदार के लिए स्क्रीन टेस्ट के लिए बुलाया गया पीले रंग की फ्रॉक पहने जीनत को देव साहेब ने देखते ही जसबीर @ जैनिस के रोल में कास्ट कर लिया .... लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई थी फिल्म 'हलचल' की असफलता के बाद जीनत का परिवार देश छोड़ने के लिए तैयार था वो माल्टा जाना चाहते थे लेकिन देव साहब ने जीनत की माँ को रोकने की कोशिश की उस समय फिल्म को बनकर तैयार होने में करीब दो या तीन साल  का समय लगता था और जीनत परिवार  लम्बे समय भारत में रुकना नहीं चाहता था लेकिन देव साहब ने वादा किया कि फिल्म की शूटिंग जल्दी पूरी लेंगे और फिल्म जल्द ही सिनेमाघरों में रिलीज होगी जीनत के परिवार ने देव के आश्वासन के बाद देश छोड़ने का अपना इरादा बदल दिया

,देवआनंद,किशोर साहू ,मुमताज़ और अचला सचदेव 'हरे रामा हरे कृष्णा ' के एक दृश्य में 

अपनी फिल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा' में जेनिस पर देव आनंद एक जबरदस्त हिप्पी गाना चाहते थे जिसे हिप्पी ड्रग एडिक्ट पर फ़िल्माया जाना था लिहाजा ज़रूरत थी कि गाने में एक तरह का नशीलापन हो,गाना थोड़ा सा सेंशुएस भी हो देव साहेब ने इस गाने को लिखने का जिम्मा गीतकार आनंद बक्शी साहेब को दिया गया 'हरे रामा हरे कृष्णा' के लिए संगीत बनाने का काम पहले सचिन देव बर्मन को दिया गया था लेकिन वो हिप्पी संस्कृति और नशे पत्ती के सख्त नफरत थी और इस गाने में तो खुलेआम ड्रग्स का सेवन करते दिखाया गया था इसलिए उन्होंने देव साहेब के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया लेकिन उनके बेटे आर.डी बर्मन की राय अलग थी और उन्होंने इस मौके का फायदा उठाने का फैसला किया संगीतकार आर.डी बर्मन ने तुरंत एक धुन बनाई जो सभी को पसंद आई आर.डी बर्मन आनंद बख्शी के साथ बैठे और उनसे गाना शुरू करने से पहले कुछ शब्द देने को कहा यह आनंद बख्शी ही थे जिन्होंने इस गाने के लिए पुराने वाक्यांश 'दम मारो दम मिट जाए गम' को मुखड़ा के रूप में इस्तेमाल किया आर.डी बर्मन ने आनंद बख्शी से इस धुन और मुखड़े पर गाना पूरा करने को कहा गाना लाजवाब बना था हर किसी को यकीन हो गया था कि यह गाना युवा वर्ग का क्रेज बन जाएगा



इससे ठीक पहले यह उसी समय की बात है जब ये गाना अभी तैयार नहीं हुआ था आशा भोंसले नेपाल में घूम रही थीं और एक कैफ़े में उन्हें एक परिचित चेहरा दिखाई दिया क़रीब जाने पर उन्होंने देखा कि वो आर.डी बर्मन थे नेपाल के कैफ़े में आरडी बर्मन कई तरह के स्पूल सुन रहे थे उन्होंने आशा भोंसले को भी सुनाया उनमें कोई गाना नहीं था, ना कोई बोल थे, सिर्फ़ तरह तरह की आवाज़ें थीं आरडी बर्मन ने वो सारे स्पूल ख़रीद लिए इसके ठीक एक महीने बाद उन्होंने आशा को यह गाना' दम मारो दम 'गाने के लिए ऑफ़र किया आशा को भी गाना बहुत ही पसंद आया दरअसल डांस वर्जन वाला "हरे रामा हरे कृष्णा ’’उषा उत्थुप (बुरी लड़की जेनिस के लिए) और आशा भोंसले ‘’दम मारो दम’’ (अच्छी लड़की जसबीर के लिए ) का युगल गीत माना जाता था लेकिन अंत में, उन दोनों गानो को सूची से बाहर कर दिया गया और बाद में आशा भोसले ने अकेले इस गाने को गाया लेकिन इस गाने की रिकॉर्डिंग के दो दिन बाद ही पंचम ने फ़ोन करके बोला कि... 

 ''तुम्हारा ये गाना फ़िल्म से हटा दिया गया है''.


मुमताज़ ,देवआनंद ,और मुमताज़ बेगम 'हरे रामा हरे कृष्णा ' के एक दृश्य में 

दरअसल देव आनंद इस गाने से डर गए थे देवआनंद अपने एक अन्य गाने "राम का नाम बदनाम ना करो '' से पहले कुछ ऐसा ही जोशीला गाना चाहते तो जरूर थे लेकिन इस गाने की हाई एनर्जी को देखकर उन्हे डर था की यह गाना उनके मुख्य गाने ''राम का नाम बदनाम न करो ''पर भारी पड़ जाएगा इसलिए उन्होंने ''हरे रामा हरे कृष्णा ''को फिल्म से हटाने का निर्णय किया उन्होंने तय किया कि वे इस गाने को केवल रिकॉर्ड डिस्क पर रखेंगे लेकिन फिल्म में नहीं

इस गाने की फिल्म में शामिल न करने की बात सुनते ही आशा जी निर्देशक देवानंद के घर चली गई और उनसे कहा कि...  

''ये गाना बहुत अच्छा है और आप प्लीज़ इसे मत हटाइए''. 

आशा के बार-बार आग्रह करने पर देव बोले-.... 

 ''आप कह रही हैं तो मैं गाने को फिल्म में रख लेता हूँ ''

कई दिनों के विचार विमर्श के बाद जीनत अमान पर फिल्माए इस गाने का एक छोटा संस्करण अलग से फिल्म में रखा गया 

 


ज़ीनत अमान के वेस्टर्न किरदार की आवाज़ बनने के लिए जिस आवाज़ की ज़रूरत थी उसे आशा जी ने उसी सहजता से गाया इस गाने के लिए आशा जी ने फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक पुरस्कार जीता,आज भी दम मारो दम... आशाजी के टॉप दस गानों में माना जा सकता है गायक भूपिंदर ने गाने में गिटार बजाया है जहाँ इस गीत ने गीतकार आनंद बख्शी को एक बहुमुखी गीतकार के रूप में प्रस्तुत किया और उनके करियर को आकार दिया वही इससे संगीतकार राहुल देव बर्मन के करियर को भी बढ़ावा मिला देव आनंद के डायरेक्शन में बनने वाली दूसरी फिल्म 14 जनवरी को रिलीज़ हुई 'हरे रामा हरे कृष्णा' साल 1971 की सबसे बड़ी हिट फिल्म साबित हुई जीनत अमान स्टार बन गई जीनत अमान ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और इंडस्ट्री में अपनी मजबूत जगह बनाई जीनत अमान ने इस रोल के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार भी जीता  


देव साहेब की फिल्म ''रामा हरे कृष्णा विदेशो से आई ''हिप्पी संस्कृति'' के कारण भारत में युवा वर्ग में पनप रहे पतन पर आधारित थी इसका उद्देश्य नशीली दवाओं के खिलाफ संदेश देना था और साथ ही इसमें जेनिस के माता पिता के जरिये तलाक जैसी पश्चिमीकरण से जुड़ी कुछ समस्याओं को भी दर्शाया गया है नेपाल के सबसे बड़े नेपाली संगीतकार रंजीत गज़मेर ने इस फिल्म में मदल की भूमिका निभाई आर.डी. बर्मन ने उन्हें बॉलीवुड फिल्मों में मौका दिया क्योंकि उन्होंने रंजीत का संगीतबद्ध नेपाली गीत "कांचा रे कांचा" सुना था इस गाने के बोल और उनकी रचना को हिंदी में 'कांची रे कांची रे' के रूप में फिर से लिखा गया जिसे किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने गाया था हरे रामा हरे कृष्णा फ़िल्म में 'कांची रे कांची रे' वाला गाना मुमताज़ और देव आनंद पर था और उसकी शूटिंग नेपाल के तिब्बतन रिफ़्यूजी कैंप में हुई थी

देव आनंद और ज़ीनत अमान की फ़िल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा' की लगभग पूरी शूटिंग नेपाल में हुई थी जब ज़ीनत अमान के साथ 'दम मारो दम गाने' की शूटिंग नेपाल के काष्ठ मंडप मंदिर के पास रात को हुई थी तो उस रात बहुत ज़बरदस्त भीड़ जुट गई थी देव आनंद की 'हरे रामा हरे कृष्णा' नेपाल के अलग-अलग मंदिरों, चौराहों और मेलों को ख़ूबसूरती के साथ परदे पर दिखाती है जब ये फ़िल्म शूट हुई थी आप समझ लीजिए कि पूरा काठमांडू ही इसमें शामिल हो गया था कई नेपाली कलाकारों ने भी इसमें काम किया ....... फ़िल्म की ज़्यादातर शूटिंग नेपाल के मशहूर स्वयंभू मंदिर के आसपास और भक्तपुर में हुई है 'हरे रामा हरे कृष्णा' के बाद बहुत से भारतीय पर्यटक नेपाल आने लगे और गाइड उनको गर्व से वो जगह दिखाते हैं जहाँ 'दम मारो दम गाना शूट' हुआ था बाद में यह इलाक़ा नेपाल में आए 2015 के ज़बरदस्त भूकंप में नष्ट हो गया लेकिन अब नेपाल सरकार ने उसे दोबारा बनाया है इस तरह देवानंद की 'हरे कृष्णा हरे राम' की विरासत नेपाल में आज भी ज़िंदा है इस गाने के अब तक कई रिमिक्स आ चुके है फिल्म 'भूल-भूलैया 'सीरीज़ की दो फिल्मो (2007-2022) ने इस गाने को फिर से लोगो की जुबान पर चढ़ा दिया इस फिल्म में 'हरे कृष्णा हरे राम' फिल्म के मशहूर गाने को आज के अभिनेता अक्षय कुमार और कार्तिक आर्यन पर फिल्माया गया है जिसे आज की युवा पीढ़ी ने पसंद किया  ये दोनों फिल्मे भी हिट रही 




     

1 comment:

  1. बहुत-बहुत acchi jankariyan hai Kash aaj ke film maker bhi ISI Prakar se soche aur picture banaen

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