Wednesday, December 20, 2017

जब ओम प्रकाश और मधुबाला के पिता अताउल्लाह खान में ठन गई.....


गेटवे ऑफ़ इंडिया (1957 ) के प्रीमियर पर भूतपूर्व प्रधानमंत्री मोराजजी देसाई के साथ निर्माता अभिनेता ओम प्रकाश , कमाल अमरोही , मीना कुमारी के साथ

ग़ज़ब की टाईमिंग..... बिंदास और नेचुरल एक्टिंग ...अपनी उंगलियों से अभिनय करने वाले कॉमिक और चरित्र अभिनेता ओम प्रकाश जी को कॉमेडी में अपनी जबरदस्त टाइमिंग के लिए आज जाना जाता है  ऐसे आर्टिस्ट बहुत कम हुए हैं जिनकी मौजूदगी से फिल्म के परदे पर ही नहीं बल्कि फिल्म के सेट हलचल रहती थी .. ..कहकहे गूंजते थे ओम प्रकाश ने 307 फिल्मों में काम किया कॉमेडी किंग महमूद भी उन्हें अपना गुरु मानते थे ओम प्रकाश का सरनेम 'बक्शी ' था और उन्होंने संजोग (1961), जहाँआरा (1964) और गेटवे ऑफ़ इंडिया (1957) जैसी फ़िल्में भी प्रोड्यूस की थीं आज जो किस्सा मैं आपको बताने जा रहा हूँ वो फिल्म गेटवे ऑफ़ इंडिया (1957) से जुड़ा है जब उनकी जिद के आगे मशहूर अभिनेत्री मधुबाला के पिता की भी एक न चली


सेट पर मधुबाला का जन्मदिन सेलिब्रेट करते अभिनेत्री निशि के साथ ओम प्रकाश और मधुबाला के वालिद अताउल्लाह खान 

गेट वे ऑफ़ इंडिया' ओम प्रकाश ने न सिर्फ़ प्रोड्यूस की बल्कि खुद लिखी और डायरेक्ट भी कीं  'गेट वे ऑफ़ इंडिया' एक रात की कहानी है नायिका घर से भागी हुई है पर्स में लाखों के ज़ेवरात हैं तमाम शातिर लुटेरे और सफ़ेदपोश लूटने के लिये तैयार हैं जैसे-तैसे वो इनसे जान बचाती हुई सही जगह पहुंचती है बीच बीच में कहानी में कई मोड़ आते है फिल्म में मधुबाला-भारत भूषण-प्रदीप कुमार,.जॉनी वॉकर ,चंद्रशेखर ,अनीता गृहा ,सुन्दर और मनोरमा जैसे जैसे बड़े सितारे थे जिस वक़्त इस फिल्म की कहानी का आईडिया ओम प्रकाश जी के दिमाग में आया, तो उसी वक़्त उन्होंने तय कर लिया कि उनकी इस फिल्म में हीरोईन मधुबाला ही होगी अब उस वक़्त मधुबाला को साईन करना कोई आसान काम तो था नहीं पहले आप मधुबाला के अब्बा अताउल्लाह खान से मिलिए ...उन्हें तफ़सील बताईये .....वही फीस तय करंगे.... और बाकी की शर्तें भी उन्हीं की होंगी और अगर उनकी इनायत हुई तो तभी मधुबाला आपकी फिल्म कर सकेगी

ख़ैर ....ओम प्रकाश भी ठान कर समय लेकर पहुँच गए मधुबाला के पिता से मिलने उन्होंने अताउल्लाह खान से मुलाकात कर फिल्म की कहानी सुनाई लेकिन अताउल्लाह खान ने अपना फरमान सुना दिया ...."मधु सेट पर सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक उपलब्ध रहेगी ".अब ओम प्रकाश के पेशानी पर बल पड़ना स्वभाविक था क्योंकि ओम प्रकाश को तो मधुबाला की ज़रूरत रात के वक़्त थी क्योंकि फिल्म की कहानी रात की थी और वो उसे रात में ही बॉम्बे के अलग अलग लोकेशन पर फिल्माना चाहते थे उन्होंने ये समस्या अताउल्लाह खान को बताई लेकिन अताउल्लाह खान ने साफ़ बोल दिया ..मधु रात के समय शूटिंग नहीं कर सकती ये नामुमकिन है.''. ओम प्रकाश ने बहुत मिन्नतें कर समझाया कि फ़िल्म के सारे किरदार हीरोईन के इर्द गिर्द घूमते हैं मधु के कैरियर की शानदार ये फ़िल्म साबित होगी। मधु की किसी किस्म की तकलीफ़ नहीं होगी आराम फ़रमाने के लिए ताज होटल में सबसे उम्दा सुईट बुक करा देने का वादा भी ओम प्रकाश जी ने किया लेकिन अताउल्ला टस से मस नहीं हुए। ..ओम प्रकाश समझ गए कि सीधी उंगली से घी नहीं निकलेगा उन्होंने अताउल्ला खान से मधुबाला को मिलने की ख्वाईश ज़ाहिर की अताउल्ला खान से सटाक जवाब मिला "मधु किसी सूरत में नहीं मिल सकती आप जल्दी से चाय-नाश्ता ख़त्म कर वापिस जा सकते है मधु आप की फिल्म नहीं कर सकती और वो घर पर भी नहीं है" अताउल्ला खान ने टालने के लिए ओम प्रकाश से झूठ कह दिया ओम प्रकाश भी भांप गए की अताउल्ला खान उनसे झूठ बोल रहे है लेकिन ओम प्रकाश भी ठहरे परले दरजे के ज़िद्दी ठान कर आये थे कि मधुबाला से मिल कर ही जाऊंगा। .....ओम प्रकाश पालथी मार कर फर्श पर ही पसर गए और कहा की " चाहे सारी रात मधुबाला का इंतज़ार करना पड़े। वो उनसे मिलकर ही जायेगे अगर उनकी नापसंद होगी तो मैं ये फ़िल्म ही नहीं बनाउँगा " अताउल्ला खान के सामने बड़े विचित्र हालात पैदा हो गए


मधुबाला ,चंद्रशेखर फिल्म के एक दृश्य में 

वो अभी सोच ही रहे थे की इस मुसीबत से कैसे छुटकारा पाया जाये की ....अभी कोई 15 मिनट भी नहीं गुज़रे होंगे कि मधुबाला कमरे में दाख़िल हुई अताउल्लाह को सांप सूंघ गया.....ओम प्रकाश को फर्श पर बैठा देख हैरान रह गई खैर उन्होंने ओम प्रकाश साहेब को सोफे पर बैठने को कहा अपने पिता का मुंह देख वो माजरा समझ गई क्योंकि ओम प्रकाश जी गेटवे ऑफ़ इंडिया के रोल के लिए पहले उनसे जिक्र कर चुके थे औपचारिक बातचीत के बाद ओम प्रकाश ने मधुबाला को कहानी सुनाई उनके किरदार के बारे तफ्सील से बताया मधुबाला ने बड़े ध्यान से सब सुना और अपने अब्बा की तमाम दलीलों और फ़िक्र को ख़ारिज कर दिया। काम के लिए सिर्फ़ हामी ही नहीं भरी अपनी मेहनताने की रक़म भी कम कर दी .............अब अताउल्लाह का मुंह देखने लायक था उन्होंने मधु को सुरक्षा का हवाला देकर फिल्म न करने को कहा लेकिन मधुबाला ने ओम प्रकाश जी से शूटिंग की डेट तय करने को कह दिया अताउल्ला खान मन मसोस कर रह गए अताउल्ला खान को यह सब पसंद नहीं आया। लेकिन कुछ बोले नहीं शायद यह सोच कर कि कमाऊ बेटी की बड़ी ज़िद दबाने के लिए छोटी ज़िद मान लेने में कोई बुराई नहीं है। फिल्म बनी भी एक गाना बहुत ही लोकप्रिय हुआ था. ."दो घडी वो जो पास आ बैठे हम जमाने से दूर जा बैठे."..

 
'गेट वे ऑफ इंडिया -1957

आलोचकों और समीक्षकों ने फिल्म को सराहा भी लेकिन दुर्भाग्य से 'गेट वे ऑफ इंडिया' को बॉक्स ऑफिस पर कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली ज़ाहिर है सबसे ज्यादा ख़ुशी अताउल्ला खान को ही हुई लेकिन ये मलाल शायद उन्हें भी ताउम्र रहा होगा की जहाँ बड़े से बड़ा सितारा और फिल्म निर्माता भी की उनकी मर्जी के बिना मधुबाला से नहीं मिल सकता था वही ओम प्रकाश मधुबाला के वालिद अताउल्ला खान से अपनी जिद मनवाने में कामयाब रहे 

3 comments:

  1. गुजरे हुए जमाने की बहुत ही अच्छी जानकारी दी गई है।

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  2. Aap ke lekh se bahot jankari milti hai.dil khush ho ja ta hai.🌹❤️🙏

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