'अमिन सायानी ' |
अगर आप पचास, साठ और सत्तर के दशक में रेडियो सुनते रहे हों तो 'बिनाका गीतमाला' के उस अनाउंसर को आज तक नहीं भूले होंगे जो बड़ी एनर्जी और मेलोडियस अंदाज में 'बहनों और भाइयो' कहता था अमीन सायानी का परिचय देने की ज़रूरत नहीं है बिनाका गीतमाला के ज़रिए हिंदुस्तान ही नहीं दुनिया भर के हिंदी भाषी और ग़ैर हिंदी भाषियों के दिलों पर राज़ करने वाले इस नायाब रेडियो प्रसारक को किसी परिचय की जरुरत भी नहीं जो लोग रेडियो की दुनिया को जानते हैं, उन्हें पता है कि 'अमीन सयानी ' किस शख्स का नाम है उनका जन्म 21 दिसंबर, 1931 को मुंबई में हुआ था पहले अमिन सायानी जी ने फिल्मों में हीरो बनने की कोशिश भी की कई कोशिशों के बाद भी उन्हें फिल्मों में मौका नहीं मिला इसलिए वो रेडियो अनाउंसर बन गया उनके भाई हामिद अंसारी ने ऑल इंडिया रेडियो बंबई ( मुंबई ) में उन्हें काम दिलवाया था लेकिन ये काम भी कोई इतना आसान नहीं था उस दौर में रेडियो सुनने वालों की तादाद ज्यादा थी उन दिनों रेडियो कार्यक्रम के लिए भी स्क्रिप्ट लिखनी पड़ती थी, रिहर्सल करना पड़ता था तब जाकर वे प्रसारण से जुड़ते थे और प्रसारित होते थे
अमीन सयानी 'की पहचान 'बिनाका गीतमाला' से तो होती ही है, लेकिन क्या आप जानते है की वे इसलिए भी जाने जाते हैं, क्योंकि उनकी वजह से आज के महानायक अमिताभ बच्चन रेडियो जॉकी नहीं बन पाए थे ........ ये किस्सा कोई कम मजेदार नहीं था जिसे वो कई बार सुना चुके है ......हुआ कुछ यू था 45 -46 साल पहले बिग बी मुंबई के रेडियो स्टूडियो में ऑडिशन देने पहुंचे थे सयानी को बताया गया कि कोई व्यक्ति उनसे मिलने आया है तो उन्होंने कहा, "मेरे पास उस पतले-दुबले व्यक्ति के लिए बिल्कुल समय नहीं है दरसअसल अमिताभ जी बिना अप्वॉइंटमेंट लिए सयानी से मिलने चले आये थे,जिस वजह से सयानी ने उनसे मिलने से मना कर दिया था और बिना आवाज सुने ही उन्हें रिजेक्ट कर दिया था इसके बाद भी वे कई बार स्टूडियो गए,लेकिन वे उनसे नहीं मिले और रिसेप्शनिस्ट से यह कहलवा दिया कि पहले समय लें, फिर आएं उस समय अमिताभ कोई बड़ा नाम नहीं थे फिर जब आनंद (1971) फिल्म रिलीज़ हुई तो उनको लोग पहचानने लगे 'आनंद' फिल्म का एक ट्रॉयल शो देखा तो वे बिग बी की आवाज से प्रभावित हुए, लेकिन तब भी उन्हें पता नहीं था कि वो अमिताभ ही थे, जो ऑडिशन के लिए आए थे सयानी ने एक इंटरव्यू में कहा था, " मुझे इस बात को लेकर खेद होता है, लेकिन मुझे लगता है कि जो हुआ, वह हम दोनों के लिए अच्छा हुआ। क्योंकि अगर अमिताभ का सिलेक्शन हो जाता तो मैं सड़क पर होता और उन्हें रेडियो पर इतना काम मिलता कि भारतीय सिनेमा अपने सबसे बड़े सितारे से वंचित रह जाता। "
आज अमिन सायानी जी को इस बात का बेहद अफ़सोस है की इस मौजूदा दौर में रेडियो एफएम की तादाद बढ़ गई, लेकिन ऑडियंस कम होती जा रही है अमीन सयानी जी ने कई फेमस फिल्मो जैसे 'तीन देवियां', 'भूत बंगला',(1965 ) 'बॉक्सर (1984) और 'कत्ल' (1986) में अनाउंसर का रोल किया है म्यूजिक उनके जीवन का अहम हिस्सा है।. रेडियो जगत की जानी-मानी हस्ती अमीन सायानी का मानना है की ,मैंने दो बहनों हिंदी और उर्दू का सहारा लेकर हिंदुस्तानी भाषा का प्रयोग किया है। वही भाषा दिलों को छूती है जो सीधी, सच्ची और सरल हो। अमीन सायानी को हिंदी रत्न सम्मान से भी नवाज़ा गया है उनका मानना है की उनके जीवन में संगीत वो मिठाई है जिसे सब मिल-बांटकर खाते हैं
उन्होंने 1960-62 के दौरान टाटा ऑयल मिल्स लिमिटेड के मार्केटिंग विभाग में भी काम किया था वहां वो मुख्य रूप से उनके बनाये टॉयलेट साबुन 'हमाम 'और' जय ' के ब्रैंड एक्जीक्यूटिव थे उनका परिवार भारत की आज़ादी के आंदोलन से गहरा जुड़ा हुआ था उनकी माता जी श्री कुसुम सायानी ने 1945 से 1960 तक महात्मा गांधी द्वारा शुरू की गई नव साक्षरकों के लिए "रहबर " नामक एक पाक्षिक पत्रिका को संपादित करने के लिए सहायता प्रदान की थी यह एक साथ देवनागरी ( हिंदी ), उर्दू और गुजराती लिपियों में प्रकाशित हुआ करती था इसको सरल भाषा में अनुवाद करने अमिन सायानी साहेब का भी योगदान था
उन्होंने रेडियो सिलोन के सबसे पसंदीदा प्रोग्राम 'बिनाका गीतमाला' (1952 से ) को लगातार 42 साल तक होस्ट किया 4 साल के गैप के बाद इसी प्रोग्राम को नए नाम से 'सिबाका गीतमाला' को भी होस्ट किया अमीन सयानी जी की आवाज़ में प्रसारित एक और कार्यक्रम "एस कुमार का फ़िल्मी मुकदमा" भी मशहूर हुआ था जो कोई सात साल तक लगातार प्रसारित हुआ आजकल के रेडियो जॉकी को देख कर अपना सर पीटने को दिल करता है तेज आवाज़ में डबल मिनिग बेहूदा जोक सुनाते इन रेडियो जॉकी से अमीन सायानी साहेब की तुलना तो कतई नहीं हो सकती अमीन सयानी साहब ने बिनाका प्रोग्राम, रेडियो सीलोन के 25 वर्ष पूर्ण होने पर सन् 1977 या 1976 में एक प्रोग्राम् दिया हमेशा की तरह जिसमे इयर वाइज फस्ट आने वाले 25 गाने पेश किये थे वो प्रोग्राम अभी भी यू ट्यूब में है जिसे सुनकर आप पुरानी यादे ,मधुर संगीत और अमीन सयानी साहब की जादुई आवाज का आनन्द उठा सकते हे मन को सकूँ और शांति देने वाला ऐसा संगीत अब कंहा ? अब तो शोर शराबा हे जो मन को अशांत ही करता हे, ये पाश्चात्य संगीत हे जिससे सिर्फ तन झूमता है लेकिन वो भारतीय,संगीत था जिससे आनंदित हो कर मन झूमता था
अमिताभ बच्चन के साथ अमिन सायानी |
आवाज की दुनिया के फनकार अमिन सायानी अपने भाई हामिद अंसारी के साथ |
उन्होंने 1960-62 के दौरान टाटा ऑयल मिल्स लिमिटेड के मार्केटिंग विभाग में भी काम किया था वहां वो मुख्य रूप से उनके बनाये टॉयलेट साबुन 'हमाम 'और' जय ' के ब्रैंड एक्जीक्यूटिव थे उनका परिवार भारत की आज़ादी के आंदोलन से गहरा जुड़ा हुआ था उनकी माता जी श्री कुसुम सायानी ने 1945 से 1960 तक महात्मा गांधी द्वारा शुरू की गई नव साक्षरकों के लिए "रहबर " नामक एक पाक्षिक पत्रिका को संपादित करने के लिए सहायता प्रदान की थी यह एक साथ देवनागरी ( हिंदी ), उर्दू और गुजराती लिपियों में प्रकाशित हुआ करती था इसको सरल भाषा में अनुवाद करने अमिन सायानी साहेब का भी योगदान था
उन्होंने रेडियो सिलोन के सबसे पसंदीदा प्रोग्राम 'बिनाका गीतमाला' (1952 से ) को लगातार 42 साल तक होस्ट किया 4 साल के गैप के बाद इसी प्रोग्राम को नए नाम से 'सिबाका गीतमाला' को भी होस्ट किया अमीन सयानी जी की आवाज़ में प्रसारित एक और कार्यक्रम "एस कुमार का फ़िल्मी मुकदमा" भी मशहूर हुआ था जो कोई सात साल तक लगातार प्रसारित हुआ आजकल के रेडियो जॉकी को देख कर अपना सर पीटने को दिल करता है तेज आवाज़ में डबल मिनिग बेहूदा जोक सुनाते इन रेडियो जॉकी से अमीन सायानी साहेब की तुलना तो कतई नहीं हो सकती अमीन सयानी साहब ने बिनाका प्रोग्राम, रेडियो सीलोन के 25 वर्ष पूर्ण होने पर सन् 1977 या 1976 में एक प्रोग्राम् दिया हमेशा की तरह जिसमे इयर वाइज फस्ट आने वाले 25 गाने पेश किये थे वो प्रोग्राम अभी भी यू ट्यूब में है जिसे सुनकर आप पुरानी यादे ,मधुर संगीत और अमीन सयानी साहब की जादुई आवाज का आनन्द उठा सकते हे मन को सकूँ और शांति देने वाला ऐसा संगीत अब कंहा ? अब तो शोर शराबा हे जो मन को अशांत ही करता हे, ये पाश्चात्य संगीत हे जिससे सिर्फ तन झूमता है लेकिन वो भारतीय,संगीत था जिससे आनंदित हो कर मन झूमता था
कहते है की बिनाका संगीत माला के प्रसारण के समय अक्सर पार्को और खुली जगहों पर एक ऊँची जगह पर रेडियो रख दिया जाता था और अमीन सायानी साहेब को सुनने को वाले आस पास इकठ्ठा हो जाते थे सायानी साहेब का सुरीली आवाज़ में 'भाइयो और बहनो 'कहना ही कानो में रस घोल देता है ........ खुदा उन्हें लंबी उम्र अदा फरमाये....
( लगभग दशकों से भारत के रेडियो की आवाज बनकर हमें मन्त्र मुग्ध करने वाली अमीन सायानी जी की आवाज़ अब हमेशा के लिए खामोश हो गई है ' बहनो और भाइयो ' के उद्घोष वाली आवाज़ अब कभी सुनाई नहीं देगी यह पोस्ट लिखने के सात वर्ष बाद दशकों तक रेडियो की बुलंद आवाज रहे 'अमीन सयानी ' जी का निधन हो गया 20 फ़रवरी 2024 मंगलवार शाम उन्हें हार्ट अटैक आया था उन्हें एचएन रिलायंस अस्पताल ले जाया गया जहां 7 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया ....'अमीन सयानी 'जी का नाम आवाज़ की दुनिया का एक मिथक बन कर हमेशा रहेगा
'सुहानी यादे बीते सुनहरे दौर की और से हम 'अमीन सयानी जी ' की आत्मा की शांति के लिए हम बड़े दुःखी ह्रदय से भगवान से प्रार्थना करते है ...ईश्वर भारत की इस महान आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे ....🙏.))
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