मधुबाला 14 फ़रवरी 1933 - 23 फ़रवरी 1969 |
वेलेंटाइन डे और अभिनेत्री मधुबाला का जन्मदिन एक ही दिन आता है 1940 के
दशक में मधुबाला ऐसी ही हीरोइन थी जिसकी खूबसूरती को लोग आज भी नहीं भूल
पाए हैं मधु इतनी खूबसूरत थीं कि उनका चेहरा खिले हुए फूल की तरह दिखता था उन्हें जो भी देखता था बस दीवाना हो जाता था पहली भारतीय एक्ट्रेस थीं जिन्होंने बॉलीवुड के साथ हॉलीवुड में तहलका मचा रखा था ये बात 1950 से भी पहले की है। मधुबाला को अमेरिकी पत्रिका थिएटर आर्ट्स ने इनवाइट किया था। इस मैगजीन में मधुबाला पर फुल पेज आर्टिकल निकला था। आर्टिकल का टाइटल था 'The Biggest Star in the World' इस आर्टिकल में भारत में मधुबाला की लोकप्रियता के बारे में बताया गया था मधुबाला एक पठान परिवार से ताल्लुक रखती थीं मधु के पिता अताउल्लाह खान उनके लिए बहुत सख्त मिज़ाज़ थे मधुबाला का असली नाम मुमताज जहां बेगम था मधु 11 भाई-बहनों में से पांचवें नंबर की थीं जब मधुबाला छोटी थीं तब उनकी एक रिश्तेदार नजूमी ने भविष्यवाणी करते हुए कहा था कि ...."ये लड़की बहुत नाम, बहुत पैसा और बहुत शोहरत कमाएगी लेकिन इसकी जिंदगी में कभी खुशियां नहीं आएंगी लेकिन इसको कभी सच्चा प्यार नहीं मिलेगा " साथ ही उन्होंने मधु की कम उम्र में मौत होने की भविष्यवाणी भी कर दी थी आगे चलकर ये सारी भविष्यवाणियां सच साबित हुईं 1942 में फिल्म 'बसंत' से बतौर चाइल्ड एक्टर अपना करियर शुरू किया था बेहतरीन अदाकारा बेमिसाल हुस्न की मलिका मधुबाला से शादी का प्रस्ताव मिलने
पर ऐसा शायद ही कोई व्यक्ति होता जो उसे ठुकराने का ख्याल तक अपने
दिल में ला पाता लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में एक शख्स ऐसा भी था जिसने इस
मशहूर अदाकारा से मिले विवाह प्रस्ताव को काफी सोच, विचार के बाद
ठुकराने का हौसला दिखाया था ....वह शख्स थे संगीतकार ...एस.मोहिन्दर
एस.मोहिन्दर के नाम से आज की पीढी़ शायद ही परिचित हो। उन्होंने 1940 से
1960 के दशक में कुछ चुनींदा फिल्मों में बेहतरीन संगीत दिया था और कैरियर
के शिखर पर वह अमेरिका में बस गए थे। 'शीरीं फरहाद' फिल्म में उनके
स्वरबद्ध गीत काफी लोकप्रिय हुए थे। इनमें लता मंगेशकर का गाया और मधुबाला
पर फिल्माया ''गुजरा हुआ जमाना आता नहीं दोबारा हाफिज खुदा तुम्हारा '' सदाबहार
गीतों में शामिल है मधुबाला ने लंबे-ऊंचे कद के खूबसूरत एस.मोहिन्दर के सामने शादी का प्रस्ताव रखा था जबकि वह अच्छी तरह से जानती थीं कि एस
मोहिन्दर का सुखमय वैवाहिक जीवन है और उनके बच्चे भी हैं। मधुबाला ने उनकी
पत्नी के गुजारे और उनके बच्चों की पढा़ई-लिखाई के लिए हर महीने आर्थिक
सहायता के रूप में भारी-भरकम रकम देने की पेशकश भी की थी। एस.मोहिन्दर मधुबाला से मिले विवाह प्रस्ताव को एकदम नहीं ठुकरा पाऐ। वह
कई दिन तक इस पर विचार करते रहे और आखिरकार अपनी जिन्दगी का सबसे अहम
फैसला करते हुए उन्होंने मधुबाला से 'नहीं' कहने की हिम्मत जुटा ही
ली एस.मोहिन्दर के मधुबाला के पिता से दोस्ताना और उनके परिवार से
घरेलू ताल्लुकात थे मधुबाला प्रोडक्शन में बनी फिल्म '' नाता ''(1955) में उन्हें
संगीतकार चुने जाने से पता चलता है कि उनके और मधुबाला के पिता के बीच किस
कदर दोस्ती थी। एस मोहिन्दर ने ही मधुबाला के पिता और शीरीं फरहाद के
निर्माता के बीच पैसे के लेन-देन के विवाद को सुलझाने और एक बंगाली हीरोइन
की जगह
मधुबाला को यह फिल्म दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी शीरीं
फरहाद से जुडे़ कुछ रोचक प्रसंग हैं। मधुबाला फिल्म के संगीत से
इस कदर प्रभावित हुई थीं कि उन्होंने अपनी व्यस्त शूटिंग के बाद एस.मोहिन्दर के घर जाकर उत्कृष्ट संगीत रचनाओं के लिए उनका आभार व्यक्त किया
था एस मोहिन्दर ने "गुजरा हुआ जमाना आता नहीं दोबारा " गीत में
कुछ जगहों पर ऊंचे स्वर रखे थे जिस पर लता मंगेशकर को एतराज था लेकिन
उन्होंने यह कहकर उन्हें शांत कर दिया कि " मैंने लता को बुलाया है किसी और
को नहीं।" फिल्म के एक युगल गीत में हेमंत कुमार को उन्होंने अभिनेता
प्रदीप कुमार के कहने पर लिया था। बोलती हुई आंखें, मन मोहने वाली
मुस्कान दुनिया मधुबाला को ''वीनस ऑफ इंडियन सिनेमा'' कहती थी उनकी तुलना
हॉलीवुड की मशहूर हीरोइन मर्लिन मुनरो से करती थी लेकिन इस खुशरंग
चेहरे के पीछे का दर्द बहुत कम लोग जानते हैं एक तरफ सफलता उनके कदम चूमने को तैयार थी तो दूसरी ओर गंभीर बीमारियां काल बनकर उनके साथ चल रही थीं। मधुबाला को इस काल का अहसास भी नहीं था। मधुबाला को 1952 में फिल्म 'बहुत दिन हुए' की शूटिंग के दौरान पता चला कि उनके दिल में छेद है दिल में छेद होने के साथ उनके फेफड़ों में भी परेशानी थी। इसके अलावा उन्हें एक और गंभीर बीमारी थी जिसमें उनके शरीर में ज्यादा मात्रा से खून बनने लगता था और ये खून उनकी नाक और मुंह से बाहर आता था ये खून तब तक निकलता रहता जब तक कि उसे शरीर से ना निकाल लिया जाए एक वक्त वे बॉलीवुड की हॉट
प्रोपर्टी हुआ करती थीं मधु के बारे में कहा जाता था की वो जिस भी डायरेक्टर या हीरो के साथ काम करती थीं उन्हें उससे प्यार हो जाता था। मधुबाला को जो पसंद आता था उसे वो गुलाब और लव लेटर देकर प्रपोज कर देती थीं लेकिन उन्हें कभी मुकम्मल मोहब्बत नहीं मिली।जब मधुबाला बीमार थीं और लंदन
में इलाज के लिए जाने की प्लानिंग कर रहे थे। उस दौरान गायक और अभिनेता रहे किशोर कुमार ने
उनको प्रपोज किया। 60 के दशक में मधुबाला ने फिल्मों में काम करना काफी कम कर दिया था। 'चलती
का नाम गाड़ी' (1958) और 'झुमरू' (1961) के निर्माण के दौरान ही मधुबाला किशोर कुमार के
काफी करीब आ गई थीं।मधुबाला के पिता ने किशोर कुमार को सूचित किया कि मधुबाला इलाज के लिए लंदन
जा रही हैं और वहां से लौटने के बाद ही उनसे शादी कर पाएंगी लेकिन
मधुबाला को अहसास हुआ कि शायद लंदन में ऑपरेशन होने के बाद वे जिंदा नहीं
रह पाए और यह बात उन्होंने किशोर कुमार को बताई। इसके बाद मधुबाला की इच्छा
पूरी करने के लिए किशोर कुमार ने मधुबाला से शादी करने का निर्णय लिया मधुबाला के पिता चाहते थे कि मधुबाला डॉक्टर्स की राय लें और पूरी तरह ठीक होने के बाद
ही शादी करे लेकिन दिलीप साहब के व्यवहार से गुस्साई मधुबाला ने तुरंत
किशोर कुमार से 27 साल की उम्र में साल 1960 में शादी कर ली किशोर पहले से ही शादी शुदा थे किशोर कुमार से विवाह करने के बाद भी मधुबाला बांद्रा उपनगर स्थित पाली हिल
के अरेबियन विला नामक अपने घर पर ही रहा करती थीं क्योंकि किशोर के घरवाले शादी के खिलाफ थे शादी के बाद
मधुबाला की तबीयत और ज्यादा खराब रहने लगी। एक बार फिर से मधुबाला ने फिल्म
इंडस्ट्री की ओर रुख किया लेकिन निर्माणधीन फिल्म 'चालाक' के पहले दिन की शूटिंग में
मधुबाला बेहोश हो गई और बाद में यह फिल्म बंद कर देनी पड़ी। हालांकि इस
बीच उनकी 'पासपोर्ट', 'झुमरू','बॉयफ्रेंड','हॉफ टिकट' (1961) और 'शराबी' (1964) जैसी
कुछ फिल्में प्रदर्शित हुईं।
बॉलीवुड के सबसे खूबसूरत चेहरों में से एक मधुबाला या मुगल-ए-आजम की अनारकली की दास्तां भी बहुत अजीब और दुखदाई रही वर्ष 1960 में जब 'मुगल-ए-आजम' प्रदर्शित हुई तो फिल्म में मधुबाला के अभिनय से दर्शक मुग्ध हो गए हालांकि बदकिस्मती से इस फिल्म के लिए मधुबाला को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार नहीं मिला। लेकिन सिने दर्शक आज भी ऐसा मानते हैं कि मधुबाला उस वर्ष फिल्म फेयर पुरस्कार की हकदार थीं। बीमारी के बाद भी मधुबाला के.आसिफ की फिल्म मुगले आज़म 'में व्यस्त थीं। मधुबाला की तबीयत काफी खराब रहा करती थी। मधुबाला अपनी नफासत और नजाकत को कायम रखने के लिए घर में उबले पानी के सिवाय कुछ नहीं पीती थीं। उन्हें जैसमेलर के रेगिस्तान में कुएं और पोखरे का गंदा पानी तक पीना पड़ा। मधुबाला के शरीर पर असली लोहे की जंजीर भी लादी गई लेकिन उन्होंने 'उफ' तक नहीं की और फिल्म की शूटिंग जारी रखी। मधुबाला का मानना था कि 'अनारकली' के किरदार को निभाने का मौका बार-बार नहीं मिलता। मधुबाला जैसे ही लंदन से इलाज़ करवा वापिस आईं जैसे ही डॉक्टर्स ने बताया अताउल्लाह खान को बता दिया कि वे ज्यादा दिनों तक नहीं जी पाएंगी
तब किशोर ने मुंबई के कार्टर रोड में बंगला खरीद, मधुबाला को वहां नर्स और ड्राइवर के साथ छोड़ दिया चार महीने में
एक बार वे मधु से मिलने आया करते थे उन्होंने मधुबाला का फोन उठाना भी बंद कर
दिया था। उन दिनों मधुबाला ने तैयार होना भी छोड़
दिया था। वह हर वक्त नाइट गाउन में रहती थीं। आखिरी दिनों में उनके पति
किशोर कुमार ने भी उन्हें छोड़ दिया था। मधुबाला ने जिंदगी के तमाम रंज-ओ-गम अपनी मुस्कराहटों के पीछे
छिपा लिए। वो
चाहे दिलीप कुमार से मुहब्बत में मिला दर्द हो या फिर किशोर कुमार से शादी
के बाद तबाह हुई जिंदगी।..... दर्द चाहे जिस हद तक गुजरा,... मधुबाला ने
जमाने के सामने आह तक नहीं भरी दिनों दिन मधुबाला की हालत गिरती जा रही थी
मधुबाला तड़पती रहतीं और दर्द कम होने का नाम ही नहीं लेता था। मधुबाला को उनकी बीमारियों ने इस कदर जकड़
लिया था कि 9 सालों तक वो बिस्तर पर ही पड़ी रहीं। हालत इतनी
खराब थी कि डॉक्टर रोज घर आते और मधुबाला के शरीर से कई बोतल खून निकालकर
ले जाते ताकि खून निकलना बंद हो जाए। हर वक्त वो खांसती रहतीं। एक वक्त ऐसा
भी आया जब मधुबाला का सांस लेना दूभर हो गया और हर चार घंटे में उन्हें
ऑक्सीजन देनी पड़ती थी। मधुबाला इस बात से बेहद दुखी
थीं कि उनसे कोई भी मिलने नहीं आता था जब वे बीमार और मरने की कगार पर
थीं, तो कोई भी उनका हाल जानने नहीं आया। मधुबाला अपने आखिरी
दिनों में सिर्फ हड्डियों का ढांचा भर रह गई थी मृत्यु से कुछ समय
पहले ही मधुबाला ने यह दिया था कि वह दोबारा इस दुनिया में आना चाहती हैं
और पुन: अभिनेत्री ही बनना चाहती हैं उनकी सबसे बड़ी इच्छा थी कि वह भारत
में ही जन्म लें जब तक
फिल्मों में काम करती रहीं
अकेलेपन से जूझ रही मधुबाला ने 23 फरवरी, 1969 को 36 साल की उम्र
में अपने प्राण त्याग दिए मधुबाला की मौत बेहद दर्दनाक थी। मुगल-ए-आजम और महल जैसी फिल्मों में अपनी अदाकारी का जादू बिखेरेने वाली
अभिनेत्री मधुबाला का घर अब एक भूतहा खंडहर में तब्दील हो गया है मधुबाला मोहब्बत के महीने फ़रवरी में ही
इस दुनिया में आई और इसी फ़रवरी में दुनिया से रुखसत भी हुई ...न मुहब्बत
मिली,न घर बसाने की
ख्वाहिश पूरी हुई।.... ये मधुबाला जैसी हसीन शख्सियत के साथ जिंदगी की
दगाबाजी न थी तो क्या थी...? यथार्थ भी कभी कल्पनाओं से परे जाता है और उसका यही रहस्य जीवन को राेमांचक बनाता है मधुबाला का जीवन ऐसी कविता है जिसके आखिरी अंतरे तो लिखे ही नहीं गए मधुबाला की कशिश का रहस्य ये था कि उनके चेहरे पर बला की मासूमियत नजर आती थी मादकता और मासूमियत का यह अनोखा संगम मधुबाला की लोकप्रियता का अंत तक रहस्य ही रहा
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