हिंदी सिनेमा में आने वाली स्नातक अभिनेत्रियों में दुर्गा खोटे के बाद 'लीला चिटनिस 'का नाम बड़े गर्व से लिया जाता ये ऐसी अभिनेत्रियां थी जो सम्पन्न परिवारों की पृष्ठभूमि से होने बावजूद पढ़-लिख कर ग्रेजुएट होने के बाद अभिनय के क्षेत्र में आई जबकि उनसे पहले आने वाली वाली अभिनेत्रियां ज्यादा शिक्षित नहीं थे वह कर्नाटक के धारवाड़ में एक मराठी भाषी परिवार में पैदा हुई थीं उनके पिता अंग्रेजी साहित्य प्रोफेसर थे। लीला चिटनिस ने ग्रेजुएशन के बाद ही थिएटर ज्वाइन कर लिया था इस थिएटर में वे मराठी नाटकों के लिए एक्टिंग किया करती थी। अभिनय की दुनिया में उन्होंने प्रवेश तब किया जब उनके चार
बच्चे थे दरअसल उन्होंने 15-16 की उम्र में ही अपनी उम्र से कई साल बड़े डॉ.
गजानन शादी कर ली थी .....शादी जल्दी हुई तो बच्चे भी जल्दी हो
गए ...लेकिन ये बेमेल शादी ज्यादा चली नहीं फिर दोनों में तलाक हो
गया .. घर चलाने के लिए लीला पढ़ाने लगीं उसके बाद उन्होंने अभिनय में
प्रवेश किया उन्होंने प्रभात पिक्चर्स, पुणे और रणजीत मूवीटोन में काम किया। लीला चिटनिस ने आज़ादी की लड़ाई में पति
गजानन के साथ हिस्सा भी लिया था उन्होंने क्रांतिकारी मानवेंद्र नाथ राय को भी अपने घर में ब्रिटिश पुलिस की निगाह से बचाकर रखा था
जिस दौर में लीला चिटनिस फिल्मों में आई थी उस दौर में किसी भी अभिनेत्री
के लिए वहां जगह बनाना बहुत मुश्किल काम था बावजूद इसके लीला चिटनिस ने देविका रानी जैसी सुंदर अभिनेत्रियों के सामने खुद को स्थापित किया था। और साथी कलाकारों के साथ काम भी किया। बॉम्बे टॉकीज़ के हिमांशु राय ने उन्हें तीन साल के लिए
साइन कर लिया इस दौरान चिटनिस ने प्रमुख भूमिकाओं में ‘कंगन’ (1939),
‘बंधन’ (1940) और ‘झूला’ (1941) जैसी फिल्में कीं ये सारी फिल्मे तब की ब्लॉकबस्टर्स साबित हुईं अब फिल्मो में चिटनिस की कास्टिंग हीरो जितनी ही प्रमुखता से होने लगी लीला चिटनिस देविका रानी जैसी विरल सुंदर थी उन्होंने हिमांशु राय की पत्नी व अभिनेत्री देविका रानी के लगभग बराबर मुकाम
पा लिया था अभिनेता अशोक कुमार के साथ उनको जोड़ी खूब चली लेकिन बॉम्बे टाकीज़ की मालकिन देविका रानी को अपने प्रिय नायक
अशोक कुमार के साथ लीला चिटनीस की नजदीकी खटक गई देविका रानी अपने स्टूडियो
में एक कठोर प्रशासक मानी जाती थी कई बार वो हिमांशु राय की भी नहीं सुनती थी बॉम्बे टाकीज़ के अशोक कुमार और अन्य कलाकारों से नजदीकी का खामियाज़ा लीला चिटनीस को भुगतना पड़ा और उन हाथ से कई फिल्मे निकल गई ......लेकिन ये लीला चिटनीस की विनम्रता थी की वो अपने प्रेस में दिए गए हर साक्षात्कार में हिमांशु राय की ख़ूबसूरत अदाकारा पत्नी देविका रानी की तारीफ ही करती थी और कहती ....''देविका रानी ने उनकी बहुत मदद की '' वे देविका रानी को एक चार्मिंग और प्यारी महिला बताती थीं जिन्होंने उन्हें बहुत कुछ सिखाया ......अशोक कुमार जैसे बड़े एक्टर ने भी एक बार कहा था ....''उन्होंने अभिनय की कुछ बारीकियां लीला चिटनिस से सीखीं है '' लीला चिटनीस असल जीवन में एक शिक्षित, प्रगतिशील, कामकाजी महिला की मिसाल
थीं वैसे ही फिल्मों में भी उन्होंने प्रभावशाली जगह बना ली वे अपनी ही
तरह शिक्षित दोस्तों के साथ मिलकर सार्थक फिल्में बनाने की कोशिश कर रही
थीं जैसे 1935 में उन्होंने ‘धुंआधार’ जैसी फिल्म बनाई जो नहीं चली बाद
में वे फिल्में करती गईं चार साल बाद आई ‘संत तुलसीदास’ ने उन्हें स्थापित
कर दिया उन्होंने कई फिल्मो में पाश्व गायन भी किया 'बंधन ' फिल्म में गाया '' कैसे छिपाओगे अब तुम '' आज भी याद किया जाया है
1934 में लक्स साबुन का विज्ञापन जिसमे पहली बार किसी भारतीय अभिनेत्री को जगह मिली |
श्री सत्यनारायण (1935 ) ,इंसाफ़ (1937 ), कंगन (1939 ),बन्धन ( 1940 ), आवारा (1951), नया दौर (1957), काला बाज़ार, घूँघट (1960) ,हम दोनों (1961), गंगा जमुना (1961), वक़्त, गाइड (1965) ,फूल और पत्थर (1966), सत्यय शिवम सुन्दरम (1978) फिल्मे उनके अभिनय की याद हमें दिलाती रहेगी लीला चिटनिस ने अपनी जिंदगी के 52 सालों तक अभिनय किया 93 साल की उम्र में 14 जुलाई 2003 में लीला चिटनिस का अमेरिका में अपने बेटे के घर पर निधन हो गया था।
लीला चिटनीस 1912 - 2003 |
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