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'प्रपंच पाश’ - A Throw of Dice (1929) |
फोटोग्राफी और सिनेमा के जन्म के साथ ही भारत में इसके दीवाने पैदा हो
गए थे इसीलिए इसके विकास क्रम में भारत अपने पाश्चात्य हमराहों से पीछे
नहीं बल्कि कई मामलों में आगे रहा है सिनेमा के जन्म की कहानी
भारत में बेहद दिलचस्प ढंग से शुरू होती है और जन्म से जवानी तक की यात्रा
और अहम किरदारों के सुनहरे पल इसके साक्षी रहे हैं दादा साहब
फाल्के ने इंडिया की पहली फुल लेंथ फीचर फिल्म रिलीज की और देश में ही
फिल्म बनाने का रास्ता साफ़ कर दिया दादासाहब की ये फिल्म इण्डिया की
पहली साईलेंट फिल्म नही है असल में इस वक्त ब्रिटेन और अमेरिका में बन रही
कई शोर्ट और साईलेंट फ़िल्में इण्डिया में दिखाई जा रही थीं 1912
में दादा साहब तोरने ने पहली इन्डियन मूवी
"श्री पुंडलिक " रिलीज की मगर इस
फिल्म में ब्रिटिश टेक्नोलोजी की काफी मदद ली गयी थी और फिल्म की मिनिमम
टाईम लिमिट 40 मिनट से कम की थी ठीक अगले साल दादा साहब ने पूरी
तरह इण्डिया में बनी पहली फूल लेंथ मोशन पिक्चर का
''राजा हरीश चंद्र ''
प्रीमियर किया 3 मई 1913 को ये फिल्म लोगों को देखने के लिए मुम्बई के
"कोरोनेशन सिनेमा" में रिलीज की गयी पूरी तरह से स्वदेशी फिल्म का ये असर
हुआ के मूक फिल्मों में तकनीकी दिक्कतें होते हुए भी लगभग 1250 फ़िल्में बनी
जो हमारी अनमोल धरोहर है
हिंमाशु राय मूक युग के महान फिल्मकारों
में से एक माने गए है उनके साथ जब पटकथाकार के रूप में निरंजन पाल और
निर्देशक के रूप में जर्मन निर्देशक फ्रांज ऑस्टन जुड़े तो इन दोनो की ये
शानदार और भव्य कृति ‘प्रपंच पाश’ बनी थी, ‘प्रपंच पाश’ हिमांशू राय
जी की फ्रांज ऑस्टीन के साथ तीसरी भारतीय फिल्म है बुद्ध के जीवन
पर बनी ‘लाइट ऑफ एशिया-प्रेम संन्यास ' (1925) में बुद्ध की भूमिका हिमांशु राय
ने खुद निभाई। इस फिल्म ने हिमांशु राय की ख्याति पूरी दुनिया में फैला दी
हिमांशु राय ने इसके बाद ‘शिराज’ (1928 ) और ‘प्रपंच पाश’ (1929) बनाईं हिमांशु राय
ने बाद में मशहूर अभिनेत्री देविका रानी से शादी की बहुत से लोग मानते है
की इन दोनों की फिल्म कर्मा (1933 ) में भारतीय सिनेमा का पहला चुम्बन
दृश्य फिल्माया गया था हिमांशु राय और देविका रानी का ये चुम्बन दृश्य लगभग
चार मिनट लंबा था और इसने उस समय हंगामा मचा दिया था लोगों का कहना था ये
वल्गर है लेकिन ‘प्रपंच पाश’ जैसी मूक फिल्म में चारु राय और सीता
देवी के बीच पहला चुम्बन दृश्य फिल्माया गया था इस फिल्म में एक नहीं
बल्कि दो चुम्बन दृश्य है सीता देवी का असली नाम रीनी स्मिथ था वो एक
एंग्लो इंडियन लड़की थी उनके "फोरेन लुक्स " की वजह से लोग उनकी फिल्मे पसंद
करते थे साफ़ रंग और बेहद काले बालो की वजह से वो आकर्षक दिखती थी प्रपंच पाश में रीनी स्मिथ के गदराए शरीर को ऐसे कपड़े पहनाए गए थे, जिसका
मुख्य उद्देश्य अंग प्रदर्शन था

A Throw of Dice ( ‘प्रपंच
पाश’) हिंमाशु राय की एक शानदार मूक फिल्म है जिसे जर्मनी में जन्मे
निर्देशक फ्रांज ऑस्टीन के निर्देशक में बनाया गया था ब्रिटिश काल
होने के वजह से इसे अंग्रेजी नाम 'A Throw of Dice ' दिया गया ताकि हिंदी
दर्शको के साथ साथ इसे विदेशी दर्शक भी देखे ‘प्रपंच पाश के सबटाइटल
अंग्रेजी में है जैसे की उस दौर में होते थे Max Jungk और निरंजन
पाल की कहानी पर बनी ‘प्रपंच पाश भारतीय महाकाव्य महाभारत के एक प्रकरण पर आधारित है ये एक काल्पनिक राज्य के दो राजाओं की कहानी है राजा
सोहत
(हिमांशु राय) और राजा रंजीत
(चारु रॉय) चचेरे भाई है राजा सोहत
अपने युवा चचेरे भाई को मारने और उसके हिस्से का राज्य हड़पने का अवसर खोजता
रहता है दोनों के लिए जुआ उनके जुनून का हिस्सा है और दोनों ही एक
विद्वान साधु
(शारदा गुप्ता ) की बेटी सुनीता
(सीता देवी) से प्यार करते है
सीता देवी बहुत खूबसूरत है लेकिन सुनीता रंजीत से ही प्यार करती
है और शादी करना चाहती है सुनीता किस से शादी करगी ये तय करने के लिए
दोनों एक जुए का दांव रखते है जो ये जुआ जीतेगा खूबसूरत सुनीता उसकी
होगी और हारने वाला जुआ जीतने वाले का गुलाम होगा सोहत धोखे से जुआ
जीत जाता है और रंजीत उसका गुलाम बन जाता है काफी यत्न के बाद सुनीता
सोहत के धोखे और झूठ का पर्दापाश करती है और अंत में सुनीता और रंजीत एक हो
जाते है

हिमांशु राय ने 16 अगस्त 1929 को ‘प्रपंच पाश’ को बड़े
पैमाने पर भारत में जब रिलीज़ किया तो सिनेमा प्रेमियो की की ख़ुशी देखने
लायक थी लंबी लंबी लाइनों में लग कर उन्होंने ये फिल्म बार बार देखी इसके
जर्मनी वर्जन के लिए अलग से जर्मन भाषा में पोस्टर बनाये गए थे अभिनेता-निर्माता हिमांशु राय ने इंडो-जर्मन की मैत्री के रूप में फ्रांज
ऑस्टीन के साथ मिल कर फिल्मो का निर्माण किया बाद में फ्रांज ऑस्टीन हिटलर
की नाजी पार्टी के सदस्य बन गए ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारियों द्वारा उन्हें
गिरफ्तार कर के द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक जेल में रखा गया लगभग
10,000 जूनियर आर्टिस्टों ,1000 घोड़ों और 50 हाथियों , बाघो ,
सांपो,हिरणो के साथ ‘प्रपंच पाश’ फिल्म को राजसी लुक देने के उस समय
राजस्थान के जयपुर ,उदयपुर ,आमेर ,चितौड़ के किलो और मैसूर के शाही घरानों
से में इस की आउटडोर शूटिंग की गई जोकि एक बेहद खर्चीला काम था फिल्म को भव्य बनाने के लिए इसे 35 MM पर शूट किया गया इसके लिए
हिमांशू राय ने जर्मनी से उपकरण ख़रीदे थे तब कही जा कर ये 74 मिनट की
शानदार मूक फिल्म फिल्माई जा सकी बेहतरीन कैमरा वर्क की वजह से उस समय
के वन्य दृश्य बेहद सूंदर फिल्माए गए है जिसका आगे आने वाले समय में
फिल्मो में बेहतर इस्तेमाल किया गया सेट और शॉट अपने विशाल आकार
में प्रभावशाली रहे हैं फिल्म का अद्भुत छायांकन, वेशभूषा, संरचना और
सौंदर्य काबिले तारीफ है यह उस समय वास्तव में बेहद कठिन काम था लेकिन
इस फिल्म का एक बड़ा नकारात्मक पहलू यह है कि यहाँ फिल्म काले और सफेद में
है आप महलों और मुख्य पात्रो की उज्ज्वल वेशभूषा रंगीन नहीं देख पाते लेकिन फिल्म का ब्लैक एन्ड वाइट होना भी अखरता नहीं है

भारतीय मूक सिनेमा के इस महाकाव्य को एक लंबे समय से भूला दिया गया था A Throw of Dice ( ‘प्रपंच पाश’) 1945 के बाद से ब्रिटिश फिल्म संस्थान
(बीएफआई) के अभिलेखागार में पड़ी थी 2006 में भारत की आजादी की 60 वीं
वर्षगांठ के सम्मान में फिल्म को रिस्टोर कर फिर से रिलीज़ करने का निर्णय
लिया गया इस के प्रिंट को डिजिटल किया गया मूल फिल्म के संगीतकार
तो Willy Schmidt-Gentner थे लेकिन इसे रिस्टोर डिजिटल वर्जन में भारतीय
मूल के ब्रिटिश संगीतकार नितिन साहनी ने संगीत दिया है 31 अगस्त 2007
को इसे डिजिटल करके री रिलीज़ किया गया 13 जून 2008 को टोरंटो,
ओंटारियो, कनाडा में Luminato समारोह में ब्रिटिश भारतीय संगीतकार नितिन
साहनी ने लाइव आर्केस्ट्रा के साथ फिर से रिलीज़ किया गया ठीक बिलकुल उसी
तरह जैसे की उस समय में मूक फिल्मो को लाइव ऑर्केस्टा के साथ टाकीज़ में
दिखाया जाता था 30 जुलाई 2008 को संयुक्त राज्य अमेरिका के शिकागो,
में ग्रांट पार्क संगीत समारोह के दौरान भी इसे दिखाया गया प्रपंच पाश’
का 25 अप्रैल 2013 को दिल्ली के सिरी फोर्ट सभागार में भी प्रीमियर हुआ था

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सीता
देवी (रीनी स्मिथ )
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जर्मन वर्जन |
इसके फिर से डिजिटल करके रिलीज होने पर न्यूयॉर्क टाइम्स की
समीक्षा में कहा गया है ....."ये फिल्म भारत के मूक फिल्मो के दौर का एक
अनमोल रतन है" भारत के कलाप्रेमी दर्शको को मूक फिल्मो के सुनहरे दौर की
प्रपंच पाश’ जरूर देखनी चाहिए प्रिंट रिस्टोर करने और डिजिटल होने के
कारण इसके प्रिंट में अद्भुत गुणवत्ता आ गई है प्रिंट क्रिस्टल क्लियर
है इसकी DVD भी जारी की गई है फिल्म का मूल सार ये है की कि जुआ
आपको दुःख में ले जाता है "
हिमांशु रॉय ,चारु रॉय ,मोधू बोस, शारदा
गुप्ता ,लाला बिजॉय किशन ,चिकोरी चक्रबर्ती और आकर्षक
सीता देवी के अभिनय
से सजी प्रपंच पाश’ A Throw of Dice को इसकी भव्यता के हिसाब से आप मूक
फिल्मो की
" मुग़ल ए आज़म " भी कह सकते है ये एक अच्छी शुरुआत है की पुरानी
जर्जर फिल्मो को रिस्टोर कर के डिजिटल किया जा रहा है ताकि आने वाली पीढ़िया
हिंदी सिनेमा के उस सुनहरी दौर को फिर से देख सके इससे दुलर्भ जर्जर
फिल्मे सरंक्षित भी हो रही है इस प्रयास का स्वागत किया जाना चाहिए
ये एक अच्छी और
शानदार पहल है ये प्रयास आगे भी जारी रहने चाहिए ताकि हमारी भावी पीढ़ियां इस सुनहरे बीते इतिहास से अवगत हो सके
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31 अगस्त 2007
को इसे डिजिटल करके कनाडा में लाइव आर्केस्ट्रा के साथ फिर से रिलीज़ किया |
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