Friday, December 1, 2017

किशोर दा की वो अधूरी ख्वाहिश....जो पूरी न हो सकी..

अशोक कुमार अपने छोटे भाई किशोर कुमार के साथ 
किशोर कुमार ने कभी भी संगीतकार नौशाद के साथ काम नहीं किया ये बात अहम इसलिए है क्योंकि 1950 से लेकर 60 के दशक की शुरुआत तक हिंदी सिनेमा के संगीतकारों की लिस्ट में नौशाद का नाम पहले नंबर पर था नौशाद के मनपसंद गायक लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी थे !मोहम्मद रफी से उन्हें खास लगाव था किशोर कुमार भी गायक बनने का सपना लेकर लगभग उसी दौर में फिल्म इंडस्ट्री में आए थे ये वो दौर था जब मोहम्मद रफी का डंका बजता था शुरुआती सालों में एक गायक के तौर पर किशोर की कोई खास पहचान नहीं बन पाई उस दौर में किशोर के बारे में कुछ संगीतकारों का ये भी मानना था कि किशोर ने शास्त्रीय संगीत की विधिवत शिक्षा नहीं ली है इसलिए उन्हें संपूर्ण गायक नहीं कहा जा सकता बल्कि कई लोग तो किशोर कुमार को 'शोर कुमार 'भी कहते थे इसके बावजूद एस.डी बर्मन, हेमंत कुमार जैसे संगीतकारों के साथ काम करने का मौका तो मिला, लेकिन किशोर को इंतजार था कि नौशाद उन्हें कब बुलाएंगे। ...?  ये मौका आया भी .. फिल्म 'सुनहरा संसार '(1975 ) में उन्हें नौशाद साहेब के साथ काम करने का मौका मिला भी लेकिन दुर्भाग्यवश फिल्म में इस गाने का इस्तेमाल नहीं किया गया उसके बाद फिर कभी ऐसा मौका नहीं आयाऔर किशोर कुमार की मौसिकी के जादूगर नौशाद के साथ दुबारा काम करने की आरज़ू ही रही

एक बार किशोर कुमार की पत्नी लीना चंदरवरकर उनसे कहा कि...." जब आप गाना छोड़ देंगे तो लोग आपको भूल जाएंगे। जो नजरों से ओझल हो जाता है, वो लोगों की सोच से भी दूर चला जाता है" ..... किशोर ने उनसे कहा कि..... " तुम तो घर की मुर्गी दाल बराबर समझती हो लोग मुझे कभी नहीं भूलेंगे क्योंकि मैं अपने गीतों के जरिए उनके दिल तक पहुंच गया हूं। खुशी हो या गम मेरे गीत उन्हें हर मौके पर याद आएंगे." ...ये बताया जाता है कि किशोर कुमार को अपनी मौत का पहले से ही आभास हो गया था उस दिन उन्होंने बड़े ही प्यार से अपने घर पर मटन बनाया और अपने बड़े भाई अशोक कुमार जी को फ़ोन किया की...." आप मेरे घर आ जाये मैंने आप के लिए मटन बनाया है और आज आपका जन्म दिन भी है".... लेकिन अशोक कुमार जी ने किशोर कुमार के आग्रह को ये कह कर टाल दिया की ...." फिर कभी आऊंगा " किशोर कुमार ने अशोक कुमार जी से गुस्से में कह दिया  ......"अगर आज आप नहीं आये तो मेरा मरे का मुंह देखेंगे"..... और ऐसा ही हुआ जब अशोक कुमार उनके घर पर पुहंचे तो वो इस दुनिया से जा चुके थे उनको जीवन भर इस बात का मलाल रहा बाद के सालो में अशोक कुमार जी जब तक जीवित रहे कभी भी अपना जन्मदिन नहीं मनाया क्योंकि उनके जन्मदिन के ही दिन उनके प्यारे किशोर की मृत्यु हुई थी .......किशोर कुमार अपने जीवन की अंतिम घड़ी अपने परिवार के साथ बिताना चाहते थे इसलिए उन्होंने अपने परिवार के किसी भी सदस्य को घर से बाहर नहीं जाने दिया और अपने परिवार के बीच उन्होंने अपना दम तोड़ा किशोर ने अपने निधन से कुछ दिन पहले सच कहा था कि ."मैं एक दिन मरूंगा,उसके बाद लोग मुझे ढूंढते रह जाएंगे,.लेकिन मैं किसी को नहीं मिलूंगा.”......

किशोर अकसर स्टेज शो में दर्शको का अभिवादन हाथ जोड़ कर 'किशोर कुमार खंडवा वाले ' का नमस्कार से करते थे उन्हें अपने गृह नगर खंडवा से बेहद प्रेम थे उनकी इच्छा फिर से खंडवा में बसने की थी वो अपने दोस्तों से मजाक में कहते थे ''दूध जलेबी खाएँगे ,खंडवा में बस जायेगे '' किशोर कुमार ने एक इंटरव्यू में कहा था कि-......."कौन मूर्खों के इस शहर (बंबई) में रहना चाहता है, जहां कोई दोस्त नहीं। हर कोई आपका इस्तेमाल करना चाहता है। क्या आप यहां किसी पर भरोसा कर सकते हैं ? क्या कोई आपका दोस्त है? मैं इन सबसे दूर चला जाऊंगा। अपने खंडवा में। वो मेरे पुरखों का घर है। इस बदसूरत शहर में कौन रहना चाहता है?"  ......ज़ाहिर है, उनकी ये बातें उनके भीतर की बेचैनी और तड़प को दिखाता है कि मुंबई में रहते हुए भी इतनी कामयाबी के बाद भी वो कितने अकेले थे! ...वो मधुबाला से कहते थे मैं दर्ज़न भर बच्चे पैदा करके उन्हें खंडवा की गलियों में घुमाना चाहता हूँ लेकिन उनकी ये आखरी ख़्वाइश कभी पूरी न हो सकी उनकी मौत मुंबई में हुई  .......खंडवा में उनका बचपन बीता था। उनका इस शहर से इतना लगाव था कि वे अपनी अंतिम इच्छा में कह गए थे कि उनका अंतिम संस्कार खंडवा में ही हो। खंडवा में ही किशोर कुमार का अंतिम संस्कार किया गया। यहीं पर उनका स्मारक बना हुआ है। आज किशोर कुमार हमारे बीच नहीं है लेकिन वो दुनियावालों को अपने गानों की ऐसी सौगात दे गए है जो उन्हें हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रखेगी। किशोर कुमार की पुण्यतिथि पर खंडवा के लोग उन्हें ख़ासतौर पर याद करते है किशोर कुमार की समाधि पर सुबह से लोगों का मेला लग जाता है इनमें लोकल लोगो के आलावा बाहर से भी काफी लोग आते है किशोर कुमार के चाहने वाले उन्हें यहाँ आज भी उनके प्रिय 'दूध-जलेबी ' का भोग लगाते है और उन्हें याद करते है

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